महेश केजरीवाल
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने महिलाओं को 40 फीसद टिकट का दांव भले ही खेला है, लेकिन पार्टी के लिए यह राह इतना आसान नहीं दिख रहा है। प्रियंका के इस रणनीति लेकर कांग्रेस में भी खलबली मची हुई है। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में खोई हुई साख को फिर से हासिल करने के लिए महिलाओं पर दांव खेला है।
‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ अभियान चलाकर प्रियंका गांधी कुछ समय से यूपी में विपक्षियों पर हमलावर दिख रही हैं। महिला सशक्तिकरण से लेकर महिला उत्पीड़न को लेकर प्रियंक ा गांधी ने कई कार्यक्रम भी किए हैं। जानकार मानते हैं कि 40 फीसद महिला उम्मीदवारों में कितने जीतेंगी, इसमें संशय है। लेकिन इतना तय है कि पार्टी के लिए महिला मतदाताओं से एकजुटता का लाभ मिलेगा और वोट बैंक भी बढ़ेगा। कार्यकर्ताओं में यह भी चर्चा है कि कांग्रेस शासित पंजाब में भी इसी प्रकार से महिलाओं को भागीदारी मिलेगी।
प्रियंका गांधी के इस फैसले को लेक र बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने इसे चुनावी नाटकबाजी करार देते हुए ट्वीट किया है कि ‘कांग्रेस जब सत्ता में होती है तो इन्हें दलित, पिछड़े और महिलाएं याद नहीं आतीं। अब जब इनके बुरे दिन हट नहीं रहे हैं, तो पंजाब में दलित की तरह यूपी में इन्हें महिलाएं याद आ रही हैं।’
वर्तमान में कांग्रेस के पास जाति या धर्म के आधार पर मतदाताओं का कोई खास आधार नहीं है। ऐसे में कांग्रेस ने चुनाव में महिलाओं को 40 फीसद टिकट देने का फैसला सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। ऐसे में बाकी चार चुनावी राज्यों को लेकर भी कांग्रेस के फैसले का विपक्षी पार्टियों को इंतजार है। यूपी विधानसभा में अभी 44 महिला विधायक हैं। यानी महिलाओं की भागीदारी 10 फीसद है। इसमें कांग्रेस के केवल दो विधायक हैं। कांग्रेस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अतिरिक्त कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो प्रचार-प्रसार में दम
खम दिखा सकें।
यूपी कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा है कि प्रियंका गांधी ने महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए यह कदम उठाया है। जो लोग आलोचना कर रहे हैं उन्होंने महिलाओं को तो अपने यहां पूरा प्रतिनिधित्व नहीं दिया है और अब जब कांग्रेस ने इस दिशा में कदम उठाया है तो भाजपा, आरएसएस और सपा के लोग नुक्ताचीनी कर रहे हैं।