लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश को दो नेताओं के जिम्मे दे दिया है। जिसमें एक नाम है ज्योतिरादित्य सिंधिया और दूसरा नाम है प्रियंका गांधी। ऐसे में राहुल गांधी ने दोनों नेताओं के बीच भी सीटों को भी बंटवारा कर दिया है। जहां पूर्वी यूपी की कमान संभाल रहीं प्रियंका गांधी को 41 लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी मिली है तो वहीं पश्चिमी यूपी की जिम्मेदारी संभाल रहे ज्योतिरादित्य को 39 लोकसभा सीटें मिली हैं।
समझें कानपुर बुंदेलखंड का गणित: बता दें कि कानपुर बुंदेलखण्ड में 10 लोकसभा सीटे हैं। जिसमें से प्रियंका के पास चार लोकसभा सीटों का प्रभार है तो सिंधिया के पास 6 सीटों का। वहीं शनिवार को राहुल ने यूपी ईस्ट और वेस्ट प्रभारियों के लिए 5 सचिव के नामों की घोषणा की है। 5 सचिवों के बीच 80 लोकसभा सीटों का बंटवारा भी कर दिया है। राहुल ने यूपी ईस्ट प्रभार प्रियंका की 41 लोकसभा सीटों के लिए सचिव बाजीराव खाड़े और सचिन नायक को सचिव पद की जिम्मेदारी सौपी हैं। वहीं पश्चिम यूपी प्रभारी सिंधिया की 39 लोकसभा सीटों के लिए राणा गोस्वामी, धीरज गुर्जर, रोहित चौधरी को सचवि पद दिया है।
किसके पास कानपुर बुंदेलखंड की कौनसी सीट: बता दें कि कानपुर बुंदेलखंड की झांसी, हमीरपुर, बांदा, जालौन की लोकसभा सीटों की प्रभारी राहुल की बहन प्रियंका हैं। प्रियका के सचवि बाजीराव खाडे झांसी, हमीरपुर, बांदा और जालौन लोकसभा सीटों का कामकाज देखेंगे। वहीं सिंधिया के सचिव कानपुर, अकबरपुर, कन्नौज, फर्रुखाबाद, ईटावा का कार्यभार संभालेंगे। इसके साथ ही मिश्रिख लोकसभा सीट का काम धीरद गुर्जर के पास है।
मोदी लहर में कानपुर बुंदेलखंड में मिली थीं 10 में से 9 सीटें: 2014 के चुनाव की बात की जाए तो मोदी लहर के दौरान कानपुर बुंदेलखंड की 10 लोकभा सीटों में से 9 सीटों पर कमल खिला था। सिर्फ कन्नौज की एक सी ऐसी थी जिसपर सपा ने कब्जा किया था। गौरतलब है कि उस सीट पर अखिलेश की पत्नी डिंपल ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में कानपुर बुंदलेखंड की 52 सीटों में से 47 सीटें भाजपा के पास हैं। यही वजह है कि कानपुर बुंदलेखंड भाजपा का मजबूत किला माना जाता है।
समझें सीटों के बंटवारे का गणित: दरअसल कानपुर बुंदलेखंड की हमीरपुर, बांदा, झांसी, जालौन लोकसभा सीटें प्रियंका गांधी को मिली हैं। इन सीटों पर ब्राह्मण, मुस्लिम और क्षत्रिय वोटरों के साथ ही ओबीसी वोटर्स की संख्या भी सबसे अधिक है। ऐसे में अगर प्रियंका जातीय कार्ड खेल गईं तो जीत पक्की है। वहीं मुस्लिम वोटर्स को पहले से ही कांग्रेस के पक्ष में माना जा रहा है।
क्षत्रिय सीटों की जिम्मेदारी सिंधिया को: ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास ईटावा, कानपुर, अकबरपुर, कन्नौज, फरुखाबाद, मिश्रिख जैसी सीटों का प्रभार है। ये सभी सीटें क्षत्रिय बहुल हैं। बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कानपुर, फर्रुखाबाद, अकबरपुर, झांसी की सीटें कांग्रेस के खाते में थीं।
कानपुर बुंदलेखंड से थे 2009 की मनमोहन सरकार में तीन केंद्रीय मंत्री: बता दें कि 2009 की कांग्रेस सरकार में कानपुर बुंदलेखंड से तीन केंद्रीय मंत्री थे। झांसी से आदित्य जैन, फर्रुखाबाद से सलमान खुर्शीद और कानपुर से श्रीप्रकाश जायसवाल।
