लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के गठबंधन को लेकर काफी उठा-पटक वाली स्थिति रही। दोनों दल गठबंधन को मुकम्मल नहीं होने के लिए एक दूसरे पर आए दिन आरोप भी लगाते हैं। लेकिन, कांग्रेस विरोधी और भ्रष्टाचार विरोधी लहर पर सवार होकर सत्ता में आने वाली AAP ने जब उसी कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने की कवायद तेज की तो चारो तरफ से सवाल भी उठने लगे। अब स्थिति यह है कि AAP और कांग्रेस के प्रवक्ता गठबंधन की कवायद पर सवालों का जवाब नहीं दे पा रहे हैं। TV9 भारतवर्ष के एक डिबेट शो में जब एंकर ने AAP प्रवक्ता से उनके विरोधाभासी पहल पर सवाल पूछे तो प्रवक्ता फंसते नज़र आए। साथ ही साथ कांग्रेस प्रवक्ता से भी जब पूछा गया कि जिस AAP ने उनके खिलाफ बिगुल फूंका और सत्ता से बाहर किया उससे हाथ मिलाने के पीछे क्या मजबूरी रही। हालांकि दोनों प्रवक्ताओं को घिरता देख बीजेपी प्रवक्ता ने चोर-चोर मैसेरे भाई कहना शुरू कर दिया।

शो के एंकर अजीत अंजुम ने जब AAP प्रवक्ता से पूछा कि 2012,13 और 14 में कांग्रेस के खिलाफ उन्होंने आंदोलन किए। अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचारी बताते हुए अनशन भी किए। लेकिन, जिस कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए उसी के साथ गठबंधन के लिए लालायित क्यों थे? इस सवाल के जवाब में AAP प्रवक्ता ने कहा कि उनके पास कार्रवाई के हथियार छीन लिए गए। दिल्ली सरकार के हाथ से एंटी करप्शन ब्यूरो को हटा लिया गया। हालांकि, इस मुद्दे पर कांग्रेस के प्रवक्ता से भी सवाल पूछे गए। लेकिन, सवालों से घिरे प्रवक्ता मुद्दे को भटकाते दिखाई दिए। ऐसा नहीं है कि बीजेपी प्रवक्ता के पास सेफ जोन था। बीजेपी प्रवक्ता से भी पूछा गया कि वह भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाती रही, फिर कार्रवाई के नाम पर अभी तक क्या किया। ऐसे में बीजेपी के प्रवक्ता कांग्रेस और AAP को चोर-चोर मौसेरे भाई ही कहते रहे।

दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की काफी कोशिश की। मीडिया में यह बात सामने आई कि कांग्रेस का एक धड़ा केजरीवाल के साथ हाथ मिलाने के पक्ष में नहीं था। इसके बाद केजरीवाल ने कहा कि अगर बीजेपी दिल्ली में ज्यादा सीटें जीतती है तो इसकी गुनहगार कांग्रेस होगी। वहीं कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने साफ किया कि वह पार्टी के नेताओं के कहने पर केजरीवाल के साथ हाथ मिलाने के लिए राजी हो गए थे। यहां तक सीट बंटवारे को लेकर 4-3 का समीकरण भी तैयार हो गया। लेकिन, बीच में अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा और पंजाब में गठबंधन का दबाव डालना शुरू कर दिया। इसी वजह से गठबंधन मुमकिन नहीं हो पाया।