भानु प्रताप तिवारी
Lok Sabha Election 2019: कुशीनगर 2019 के आम चुनाव में यह इलाका लहर और उदासीनता के बीच की स्थिति में दिख रहा है। गांवों के बीच भी नजरिया बदला हुआ है। कहीं हवाई हमला तो कहीं बेरोजगारी, बाढ़, खेती के मुद्दे हावी हो रहे हैं। जाति समीकरण की दावेदारियां मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही हैं। जमीनी मुद्दे इस त्रिकोण में फंसते नजर आ रहे हैं। कुशीनगर भगवान बुद्ध की निर्वाण स्थली है। यहां पर भगवान बुद्ध ने हिरण्यवती नदी का पानी पीकर अंतिम सांस ली थी। अचरज की बात है कि इस नदी का संरक्षण यहां कभी बड़ा मुद्दा नहीं बना। कभी जाति, कभी धर्म, कभी लोकलुभावन वादे तो कभी चुनावी लहरों ने यहां चुनावी फैसले सुनाए। इस बार भी कुछ ऐसी ही तस्वीर यहां उभर रही है।
सियासी तरकशों में जातियों के पैने तीर सजे हैं। किसानों की बदहाली, बेरोजगारी, उद्योगों की जरूरत और तालीम के इंतजामों की मांग तो है, लेकिन उन पर जातीय चोले ओढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सम्मान निधि, हवाई हमला, न्याय के 72 हजार, उज्ज्वला, बेरोजगारी, बेघरों को घर, सौभाग्य की बिजली को जातीय खेमों में बांट कर प्रशंसा या निंदा मिल रही है। इस चुनाव में 17 लाख से ज्यादा मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर कुशीनगर को आगे बढ़ाने में लगे हैं।
यद्यपि इस सीट पर भाजपा ने अपने सांसद का टिकट काटा है। राजेश पांडेय 2014 में सांसद चुने गए थे। उन्होंने मनमोहन सरकार में कद्दावर मंत्री रहे आरपीएन सिंह को हराया था। इस बार जिताऊ उम्मीदवार की खोज भाजपा को पूर्व विधायक विजय दुबे तक ले गई। दुबे योगी आदित्यनाथ की हिन्दू युवा वाहिनी से जुड़े रहे हैं। राज्यसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस को दरकिनार कर भाजपा का साथ दिया। उम्मीद थी 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उन्हें उम्मीदवार बनाएगी। पर ऐसा नहीं हुआ। तबसे खामोश बैठे विजय दुबे को भाजपा ने आम चुनाव में उतारा है। कांग्रेस ने इलाके में जाने-पहचाने चेहरे पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह को उतारा है। गठबंधन में यह सीट सपा के खाते में गई। जिसने यहां एनपी कुशवाहा पर दांव लगाया है।
उत्तरी पूर्वांचल में यह अकेली सीट है जहां जबरदस्त त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। इलाका ब्राह्मण और मौर्य-कुशवाहा वोटरों की बहुलता वाला है। गठबंधन ने यहां एनपी कुशवाहा को उतार कर भाजपा की रफ्तार रोकने की कोशिश की है। साथ ही मुसलिम, यादव, दलित समीकरण के साथ मुख्य मुकाबले में है। कांग्रेस के आरपीएन सिंह इलाके के प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से हैं। उनके पिता सीपीएन सिंह इस क्षेत्र से सांसद व केंद्रीय मंत्री रह चुके थे। आरपीएन सिंह इस क्षेत्र से सांसद भी रहे हैं। ऐसे में तीनों उम्मीदवारों के बीच एक-एक वोट की जंग है।
समस्याएं
कुशीनगर को रेल लाइन से जोड़ने की मांग लंबे समय से चली आ रही है। 2016 के रेल बजट में सरदारनगर से कुशीनगर होते हुए पडरौना तक रेल लाइन का सर्वे करने की व्यवस्था हुई। पूर्वोत्तर रेलवे ने इस रूट का सर्वे कराते हुए विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेज भी दी है। पर इसके बाद बजट में वित्तीय स्वीकृति न मिलने के कारण मामला अधर में लटका हुआ है। इसी तरह कुशीनगर में बाढ़ की समस्या विकराल है। हर साल बाढ़ में खड्डा के रेता क्षेत्र के दर्जनों गांव जिले से कट जाते हैं। तमकुहीराज क्षेत्र के एपी तटबंध के किनारे पिपराघाट के चार पुरवे, विरवट कोहन्वलिया का एक पुरवा, बाघाचौर के दो, अहिरौलीदान के पांच पुरवे सम्ेत 12 पुरवों का अस्तित्व समाप्त होने से इन गांवों की 4 हजार आबादी एपी तटबंध पर रह रही है। तबाही मचाने वाली नदी बड़ी गंडक 2009 से लगातार कटान कर लोगों को बेघर कर रही है।
पड़रौना व कठकुईयां की बंद पड़ी चीनी मिल कपड़ा मंत्रालय के अधीन रही। पडरौना चीनी मिल वर्षों से बंद पड़ी है। लोकसभा चुनाव 2014 में पडरौना में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सरकार बनने के एक साल के अंदर इसे चालू कराने का वादा किया था। इसी बीच कोर्ट के आदेश पर एक दर्जन से अधिक बार चीनी मिल को नीलाम करने का जिला प्रशासन ने प्रयास किया। पर खरीददार न मिलने से मामला अधर में लटका हुआ है।
एक बार फिर लोकसभा चुनाव में कुशीनगर के प्रमुख चुनावी मुद्दे में शामिल है।

