लोकसभा चुनाव के करीब आते ही चुनावी सर्वेक्षण का दौर भी शुरू हो गया है। Times Now-VMR के ताजा सर्वे में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए है। इसके मुताबिक यदि अभी चुनाव होते हैं तो बिहार और झारखंड में वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले बीजेपी की सीटें कम हो सकती हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी और सहयोगी दलों (NDA) को 31 सीटें आई थीं, जबकि इस सर्वे में इस गठबंधन को 25 सीटें मिलने के आसार जताए गए हैं। इस तरह एनडीए को बिहार में 6 सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं, झारखंड में भी बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए को तत्‍काल चुनाव होने पर पिछले चुनाव के मुकाबले 6 सीटों का घाटा उठाना पड़ सकता है। वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव में एनडीए को 12 सीटें आई थीं। बता दें कि बिहार में लोकसभा की कुल 40 और झारखंड में 14 सीटें हैं।

बिहार और झारखंड में कुल मिलाकर 54 सीटें हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी और सहयोगी दलों को 43 सीटें आई थीं। पिछले चुनाव में बीजेपी ने बिहार में रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा के साथ गठजोड़ किया था। इस बार कुशवाहा की पार्टी एनडीए से बाहर हो चुकी है और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) एक बार फिर से राजग में शामिल हो गया है। ऐसे में सर्वे के नतीजे इस लिहाज से चौंकाने वाले हैं कि जदयू का कुशवाहा की पार्टी से ज्‍यादा प्रभाव है, इसके बावजूद बिहार में एनडीए को 6 सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। दूसरी तरफ, तेजस्‍वी यादव की राष्‍ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के बीच चुनावी गठजोड़ होने पर उन्‍हें पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले ज्‍यादा सीटें मिल सकती हैं। वर्ष 2014 के चुनावों में आरजेडी और कांग्रेस के हिस्‍से में कुल मिलाकर 10 सीटें आई थीं। लेकिन, अभी चुनाव होने पर इस गठजोड़ को 15 सीटें मिल सकती हैं।

बीजेपी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में सत्‍ता में वापसी करने के प्रयास में जुटी है। वहीं, विपक्षी दल भी लामबंद होने लगे हैं। खासकर राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस पार्टी भी सत्‍ता में वापसी के लिए पूरा प्रयास कर रही है। विपक्षी पार्टी जहां राहुल गांधी की अगुआई में प्रचार में जुटी है, वहीं बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह लगातार रैलियां कर रहे हैं। बीजेपी और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्‍व अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इस बीच, दोनों दलों के शीर्ष नेता चुनाव की औपचारिक घोषणा से पहले ही प्रचार के मैदान में उतर चुके हैं।