बीरबल शर्मा
Lok Sabha Election 2019: हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट पर जंग दिनों दिन रोचक होती जा रही है। कई कारणों से भाजपा इस सीट को आसान मान रही है मगर छह दशक से राजनीति में जड़ें जमाए हुए पंडित सुखराम परिवार के साथ सीधा मुकाबला होने के कारण उसे हर कदम फंूक-फूंक कर रखना पड़ रहा है। डेढ़ साल पहले अपने मंत्री बेटे अनिल शर्मा व पोते आश्रय के साथ भाजपा में आए 93 साल के पंडित सुखराम ने 32 साल के पोते को कांग्रेस में लाकर टिकट भी दिला दिया और अब उसके लिए इस उम्र में पसीना भी खूब बहा रहे हैं।
वीरभद्र सिंह जिनके साथ हमेशा उनका छत्तीस का आंकड़ा रहा है से भी मान मनौव्वल कर रहे हैं, उनके साथ गलबहियां डालने के चित्रों को प्रचार के होर्डिंगों पर सजा रखा है ताकि उनके जनाधार को अपने पोते के लिए इस्तेमाल किया जा सके। वीरभद्र सिंह कांग्रेस की जनसभाओं में ही सुखराम को खरा खोटा सुनाकर असमंजस पैदा किए हुए हैं भले ही उन्होंने इस क्षेत्र के कई विधानसभा हल्कों में प्रचार करके कांग्रेस उम्मीदवार के लिए समर्थन मांगा है।
उधर, भाजपा ने फिर से अपने निवर्तमान सांसद रामस्वरूप शर्मा पर ही दांव खेला है। भाजपा इस सीट पर कांग्रेस की फूट का लाभ उठाकर नया इतिहास कायम करना चाहती है। 10 मई को मंडी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक रैली से भाजपा का मनोबल बढ़ा है जबकि कांग्रेस के स्टार प्रचारक अंतिम दौर में आ सकते हैं जिनमें 14 मई को कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी की इसी क्षेत्र के सुंदरनगर में रैली है।
पहली बार दो ब्राह्मणों में मुकाबला हो रहा है मगर मंडी सीट के इस चुनाव में उठापटक भी कम नहीं है। कांग्रेस के उम्मीदवार आश्रय शर्मा के पिता अनिल शर्मा अभी तक भाजपा में ही हैं, हालांकि उन्होंने मंत्री पद छोड़ दिया है। वे अपने ही घर में रहकर ‘प्रचार’ कर रहे हैं क्योंकि बेटे के पक्ष में खुले तौर पर आने से उनकी विधायकी जा सकती है। सुखराम परिवार व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की प्रतिष्ठा से जुड़ जाने के कारण मंडी लोकसभा सीट हाइप्रोफाइल बन गई है।
दोनों ही दलों की उम्मीदवार महज मोहरे बन कर रह गए हैं। आश्रय के पीछे पंडित सुख राम व उनका परिवार खड़ा है तो रामस्वरूप की पीठ पर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का हाथ है। आश्रय शर्मा अपने दादा पंडित सुख राम के संचार मंत्री व अन्य महकमों में केंद्रीय मंत्री रहते हुए किए गए कामों को गिना रहे हैं। साथ ही भाजपा उम्मीदवार रामस्वरूप की नाकामियों का जिक्र कर रहे हैं। वे पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का भी गुणगान कर रहे हैं।
दूसरी तरफ रामस्वरूप अपने कामों से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नाम पर वोट मांग रहे हैं। स्पष्ट है कि दोनों ही उम्मीदवारों की अपनी झोली में कुछ ज्यादा नहीं है। अब जबकि मतदान का दिन नजदीक आ रहा है दोनों ही दलों ने अपना सर्वस्व झोंक दिया है। पूरे मंडी संसदीय क्षेत्र की सभी 17 सीटों की बात करें तो इस समय 13 में भाजपा के विधायक हैं जबकि एक जोगिंदरनगर में आजाद विधायक प्रकाश राणा भी भाजपा के लिए ही काम कर रहे हैं। कांग्रेस के पास केवल तीन विधायक कुल्लू सदर, किन्नौर व रामपुर से हैं।
रामपुर में सिंघी राम ने भाजपा में शामिल होकर कांग्रेस के मजबूत किले में सेंध लगाई है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का क्षेत्र होने के कारण यहां से भाजपा को कभी लीड नहीं मिली। इस बार भाजपा यहां काफी उम्मीद में है। इस बार भाजपा ने मुख्यमंत्री के गृह विधानसभा क्षेत्र सराज से रेकार्ड लीड की उमीद लगा रखी है ताकि मुख्यमंत्री अपना वर्चस्व साबित कर सकें जबकि जोगिंदरनगर से भी 2014 की बढ़त जो 20 हजार से अधिक मतों की थी को बढ़ाने का प्रयास हो रहा है।
