तेलंगाना विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने इस बार ट्रांसजेंडर उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। पार्टी ने राज्य की वारांगल (पूर्व) सीट से 32 वर्षीय ट्रांसजेंडर चित्रपु पुष्पिथालय (Chithrapu Pushpithalaya) को मैदान में उतारा है। उनके बारे में कहा जा रहा है कि वह महिलाओं की उन्नति और उनकी बेहतरी के लिए काम करती रही हैं। हालांकि उनका खुद का जीवन संघर्षमय रहा है। शुरुआती जीवन में वह जीविका के लिए दिल्ली में कॉल सेंटर में जॉब की थीं। इसके अलावा उन्होंने ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगने जैसे काम भी किए हैं। उनका मुकाबला सत्तारूढ़ बीआरएस, कांग्रेस और बीजेपी से हैं। उनके चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनके पास 52,000 रुपये का बैंक बैलेंस है और कोई चल या अचल संपत्ति नहीं है।

15 साल की उम्र में लिंग परिवर्तन सर्जरी के लिए दिल्ली चली गई थी

पीटीआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी तरह के पीड़ितों के खिलाफ आवाज उठाने और कार्रवाई करने की इच्छा ने उन्हें चुनाव लड़ने का दृढ़ संकल्प दिया और मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने उन्हें मंच दिया। चुनाव जीतने पर वह न केवल ट्रांसजेंडरों को नहीं, बल्कि सभी को अच्छी शिक्षा प्रदान करने का वादा करती हैं। चित्रपु पुष्पिथालय ने कहा कि जब वह 15 साल की थी तो वह लिंग परिवर्तन सर्जरी कराने के लिए दिल्ली चली गई थी।

अपने शहर वारंगल में अंबेडकर एसोसिएशन से जुड़कर काम किया

उन्होंने कहा, “मैं एक छोटे कॉल सेंटर में काम कर रही थी और समुदाय के सदस्यों के साथ दिल्ली में ट्रैफिक सिग्नलों पर भीख भी मांगती थी। हालांकि, मुझे एहसास हुआ कि मुझे और अधिक करना चाहिए और दूसरों से अलग होना चाहिए। मेरी प्रमुख चिंता महिलाओं पर हो रहा अत्याचार है। इसलिए मैंने भीख मांगना बंद करने और एक उद्देश्य के लिए काम करने का फैसला किया। इसके बाद में वह वारंगल जिले में अपने मूल स्थान पर लौट आईं और जरूरतमंदों की सेवा करने के लिए डॉ. बीआर अंबेडकर एसोसिएशन में सक्रिय रूप से भाग लिया।”

उन्होंने कहा, “मैं डबल बेडरूम वाले घर या ऐसा कुछ भी वादा नहीं करती। अगर मैं चुनी गई तो मैं सभी को अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं देने की कोशिश करूंगी। शिक्षा सुविधाएं प्रदान करना प्राथमिक उद्देश्य है।”

यह पूछे जाने पर कि वह सत्तारूढ़ बीआरएस पार्टी के निवर्तमान विधायक नन्नापुनेनी नरेंद्र और कांग्रेस के कोंडा सुरेखा जैसे लोगों के खिलाफ कैसे प्रतिस्पर्धा कर पाएंगी, पुष्पिथालय ने कहा कि लोग उनका “इतिहास” जानते हैं और उन्हें बीसी, एससी और एसटी का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने पूछा “जब आबादी का केवल एक प्रतिशत हिस्सा रखने वाले लोग हम पर शासन कर सकते हैं, तो हम बहुसंख्यक, उनसे प्रतिस्पर्धा क्यों नहीं कर सकते?”