बीजेपी को उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में एक बार फिर से हार का सामना करना पड़ा है। कैराना में राष्ट्रीय लोकदल की प्रत्याशी तबस्सुम हसन भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह को हराने में कामयाब रहीं। इस जीत के साथ तबस्सुम मौजूदा लोकसभा में उत्तर प्रदेश से पहली मुस्लिम सांसद बन गई हैं। यह पहला मौका नहीं है जब तबस्सुम ने सांसदी का चुनाव जीता है। वह वर्ष 2009 में पहली बार लोकसभा पहुंची थीं। उस वक्त वह बसपा की प्रत्याशी थीं। उन्होंने पति के हरियाणा में एक कार दुर्घटना में मारे जाने के कुछ महीनों बाद ही न केवल चुनाव लड़ा था, बल्कि जीता भी था। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनावों में हारने के बाद कैराना सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया था। इस उपचुनाव से विपक्षी एकता की भी परीक्षा होनी थी। ऐसे में यहां जीत मिलने के बाद आने वाले समय में तबस्सुम का राजनीतिक कद बढ़ेगा। बता दें कि राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव जयंत चौधरी भी यहां से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन सपा समेत अन्य सहयोगी दलों के बीच तबस्सुम पर सहमति बनी थी।
सहारणपुर से की शुरुआती पढ़ाई: बेगम तबस्सुम हसन ने शुरुआती पढ़ाई-लिखाई सहारणपुर से की थी। उन्होंने मैट्रिक तक कि पढ़ाई जेबीएस कन्या इंटर कॉलेज से किया था। लोकसभा चुनाव के दौरान दाखिल हलफनामे के मुताबिक वह पेशे से कृषि वैज्ञानिक हैं। उनके दो बच्चे हैं। उनके पति मुनव्वर हसन सपा के नेता थे और वर्ष 1996-98 के बीच सांसद भी रहे थे। तबस्सुम यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड की सदस्य भी हैं। बतौर सांसद वह लोकसभा में कई महत्वपूर्ण पदों पर रही थीं। तबस्सुम स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मामलों की संसदीय समिति की सदस्य थीं। इसके अलावा वह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता पर संसद की स्थायी समिति में भी शामिल थीं।
ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत: कैराना लोकसभा उपचुनाव के लिए 28 मई को वोट डाला गया था। कई बूथों पर ईवीएम के ठीक से काम न करने की बात सामने आई थी। तबस्सुम ने मतदान के दौरान ही चुनाव आयोग से ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत की थी। उन्होंने खासकर दलित और मुस्लिम बहुल इलाकों में ईवीएम के ठीक से काम न करने की बात कही थी। राष्ट्रीय लोकदल की प्रत्याशी ने भाजपा पर चुनाव जीतने के लिए हेरफेर करने का भी आरोप लगाया था। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं किया जाता तो वह ज्यादा अंतर से चुनाव जीततीं।