Bihar Election 2020: बिहार में विधानसभा चुनाव है। इस मौके पर आज हम बिहार की उस शख्सियत के राजनीतिक सफर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका जिक्र किये बिना चुनाव की बातें शायद अधूरी हैं। राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सबसे बड़े चेहरे रहे हैं। जब कभी आप बिहार की राजनीतिक इतिहास के पन्नों को पलटेंगे तब उससे पता चलता है कि बीते 3 दशक में राज्य में अगर कोई बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा रहा है तो वो हैं सुशील कुमार मोदी। 68 साल के सुशील मोदी फिलहाल राज्य सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं और वित्त मंत्री हैं। हाल ही में सुशील मोदी की कोरोना रिपोर्ट पॉजीटिव आई है। उनका इलाज राज्य के अस्पताल में चल रहा है।
यूं तो सुशील कुमार मोदी के बारे में बताया जाता है कि उन्होंने वर्ष 1962 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ज्वायन किया था। आरएसएस की विचारधार से प्रभावित सुशील मोदी ने संघ की सबसे कड़ी ट्रेनिंग कही जाने वाली ‘ऑफिसर ट्रेनिंग कोर्स’ भी किया। 5 जनवरी 1952 को जन्मे सुशील मोदी के पिता का नाम मोती लाल मोदी और माता का नाम रत्ना देवी है। पटना के मशहूर बीएम कॉलेज से सुशील मोदी ने बीएससी किया और साल 1973 में उन्होंने बॉटनी (जीवविज्ञान) विषय में ऑनर्स किया। यह वो दौर था जब राज्य में जेपी आंदोलन जोर पकड़ रहा था। सुशील मोदी M.SC की पढ़ाई कर रहे थे और जेपी आंदोलन से इतने प्रभावित हुए कि पढ़ाई बीच में ही छोड़ आंदोलन में कूद पड़े और फिर यहीं से शुरू हुआ उनका राजनीतिक सफर।
सुशील मोदी के राजनीति सफर की शुरुआत छात्रसंघ की राजनीति से हुई। वैसे लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान और नीतीश कुमार भी छात्रसंघ की राजनीति से ही सक्रिय राजनीति में आए। वर्ष 1973 में सुशील मोदी पटना कॉलेज में छात्रसंघ के महामंत्री बने। इसके बाद वह बिहार प्रदेश छात्र संघर्ष समिति के सदस्य 1974 में बने। 1973 से 1977 के बीच ‘मीसा’ काननू (MISA) के तहत सुशील मोदी 5 बार जेल गए और कुल 24 महीने जेल में रहे। इसके बाद सुशील मोदी को बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीपी (ABVP) के बिहार प्रदेश का महासचिव बना दिया गया।
कहा जाता है कि साल 1990 से सुशील मोदी सक्रिय राजनीति में आ गए। 1990 के विधानसभा चुनाव में पटना सेंट्रल सीट (वर्तमान में कुम्हरार विधानसभा) से सुशील मोदी मैदान में उतरे और जीत हासिल की। इसके बाद वह इस सीट से दो बार चुनाव लड़े और उन्हें दोनों बार जीत हासिल हुई।
1990 में ही जीत हासिल करने के बाद उन्हें बिहार बीजेपी के विधानमंडल दल का चीफ व्हिप बना दिया गया। इसके बाद 1996 से 2004 तक वह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर रहे। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर वह संसद पहुंच गए हालांकि, एक साल बाद ही उन्होंने सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया।
2005 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-जेडीयू ने गठबंधन में चुनाव लड़ा लेकिन बहुमत नहीं मिला। इसके कुछ महीने बाद नवंबर में फिर चुनाव हुआ और एनडीए ने बहुमत की सरकार बनाई। नीतीश कुमार दूसरी बार सीएम बने और सुशील मोदी ने पहली बार डिप्टी सीएम की कुर्सी संभाली। बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार ने अब तक 6 बार शपथ ली, उसमें से दो मौके को छोड़कर 4 बार सुशील मोदी उनकी कैबिनेट का हिस्सा रहे हैं।

