साफ है कि पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में से तीन हिंदी भाषी तीन राज्यों में बीजेपी को झटका लगा है। हालांकि, यह झटका अप्रत्याशित नहीं था। खुद पार्टी के नेता मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उम्मीद से कम प्रदर्शन का अनुमान लगा रहे थे। कहा तो यहां तक जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व ने पहले ही मन बना लिया है कि नतीजे आने के बाद इन तीन राज्यों में चेहरा बदला जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मध्य प्रदेश से शिवराज सिंह चौहान, राजस्थान से वसुंधरा राजे और छत्तीसगढ़ से रमन सिंह को हटाने का प्लान पहले से तैयार है। इन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। इनकी जगह राज्यों में नया चेहरा तैयार किया जाएगा, जिसके दम पर 2019 लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा। बताया जाता है कि पार्टी ने उन नेताओं की पहचान भी कर ली है, जिन्हें मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में आगे बढ़ाया जाएगा। बीजेपी लोकसभा चुनावों के दौरान इन राज्यों की कमान नए चेहरों को सौंप सकती है।
Election Result 2018 LIVE: Rajasthan | Telangana | Mizoram | Madhya Pradesh | Chhattisgarh Election Result 2018
जानकारों का मानना है कि ऐसा कई बातों को ध्यान में रख कर सोचा गया है। एक तो एंटी इनकंबेंसी का खतरा कम किया जा सके और दूसरा, पार्टी की अंदरूनी खींचतान से भी निजात पाई जा सके। बताया जाता है कि प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह अब अपना पूरा ध्यान लोकसभा चुनाव पर ही लगाना चाहते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि केंद्र में सरकार को मजबूती मिले और उसकी कार्यक्षमता बढ़े। इस लिहाज से सालों तक राज्यों की कमान संभाल चुके रमन सिंह, शिवराज सिंह और वसुंधरा राजे का अनुभव नरेंद्र मोदी सरकार केे काम आ सकता है।
क्यों जरूरी है केंद्र सरकार की मजबूती: सुषमा स्वराज और उमा भारती ने पहले ही चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा का ऐलान कर दिया है। अरुण जेटली पूरी तरह स्वस्थ नहींं हैैं। अनंत कुमार के देहांत से भी बेहतर लीडरशिप की कमी हो गई है। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी की सेंट्रल लीडरशिप शिवराज, वसुंधरा और रमन सिंह पर गौर फरमा सकती है।
मीडिया में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक 5 राज्यों में खुद के प्रदर्शन को पहले ही भांपते हुए बीजेपी ने तैयारी शुरू कर दी थी। सेंट्रल लीडरशिप का ध्यान उस तरफ भी गया है, जिसमें अक्सर पीएमओ के द्वारा सरकार चलाने की बात कही जाती है। उदाहरण के तौर पर तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में यह चर्चाआम रही है कि विदेश नीति के मामले में विदेश मंत्रालय नहीं बल्कि पीएमओ का दखल होता है। सांसद भी कार्यशैली को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। पिछले दिनों बहराइच से सांसद सावित्रीबाई फुले का पार्टी से अलग होना भी इसी का हिस्सा बताया जा रहा है। ऐसे में बीजेपी आगामी लोकसभा चुनावों में अधिकांश सीटों पर बड़ा फेरबदल कर सकती है और इस कड़ी में उसे नए कद्दावर चेहरों की जरूरत भी पड़ने वाली है।