अजय पांडेय
दिल्ली के लोग रविवार को 17वीं लोकसभा के लिए मतदान कर केंद्र की नई हुकूमत को लेकर अपना फैसला सुना देंगे, उनका वोट प्रदेश के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित का सियासी भविष्य भी तय करेगा। इतना ही नहीं, इस चुनाव में राजधानी में भाजपा, कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के कई अन्य सियासी दिग्गजों की किस्मत का फैसला भी होगा। चुनाव को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि इसका असर महज 8 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों पर पड़ना लाजिमी है।
शीला दीक्षित ने दिल्ली के लोगों के सामने अपने 15 साल की सरकार की उपलब्धियों का ब्योरा पेश कर उनसे कांग्रेस के पक्ष में वोट करने की अपील की है। उनका दावा है कि दिल्ली की जनता इस बार दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी। 80 की उम्र में खराब सेहत के बावजूद पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री न केवल खुद चुनाव मैदान में हैं, बल्कि उनकी ही अगुआई में पार्टी के कई तीन-तीन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व अन्य नेता ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव के नतीजे यह तय करेंगे कि आठ महीने बाद होने वाले दिल्ली विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस अपना मुख्यमंत्री का चेहरा किसे बनाएगी।
दीक्षित जाहिर तौर पर पहली पसंद हैं लेकिन आम चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर सबकी नजर रहेगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुआई में आम आदमी पार्टी ने लोकसभा के इस चुनाव में भी दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के मुद्दे को अपना सबसे अहम मुद्दा बनाया है। पिछले चुनाव में उन्होंने खुद ही ताल ठोकी थी लेकिन इस बार वे खुद चुनाव मैदान में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में यदि भाजपा जीती तो इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जिम्मेदार होंगे। लेकिन दिल्ली की सातों सीटों पर आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं हुआ तो केजरीवाल की साख पर बट्टा लगना तय माना जा रहा है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी की प्रतिष्ठा भी इस चुनाव में दांव पर है। उनके लिए सुविधा यह है कि भाजपा सभी सीटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्र की राजग सरकार की उपलब्धियों के नाम पर वोट मांग रही है। लेकिन यह भी सच है कि तिवारी को सूबे में पार्टी के मुखिया की कुर्सी इसीलिए मिली क्योंकि वह पूर्वांचल से ताल्लुक रखते हैं जहां के लोगों का मत दिल्ली में निर्णायक है। तिवारी खुद भी चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में उनके और पार्टी के प्रदर्शन से यह तय होगा कि विधानसभा के चुनाव में भाजपा किसको अपना चेहरा बनाएगी। शीला, केजरीवाल और तिवारी के अलावा लोकसभा के इस चुनाव में डॉ हर्षवर्धन के अलावा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जेपी अग्रवाल, अरविंदर सिंह लवली, अजय माकन और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा के तमाम सांसदों सहित अन्य कई उम्मीदवारों की प्रतिष्ठा भी इस चुनाव में दांव पर लगी है।
