राजस्थान में चुनावी माहौल पूरे उरूज पर है। जहां भाजपा के सत्ता में लौटने के दावे हैं वहीं कांग्रेस का मानना है की वह सत्ता में बरकरार रहने वाले हैं। अब सवाल यह भी सामने आने लगा है कि अगर भाजपा राजस्थान में सरकार बनाने में कामयाब होती है तो मुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा? राजनीतिक विश्लेषकों और अलग-अलग सर्वे रिपोर्ट्स कहती हैं कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे राज्य में भाजपा का सबसे लोकप्रिय चेहरा बनी हुई हैं। हालांकि सूत्रों के मुताबिक अगर पार्टी को 200 सदस्यीय विधानसभा में स्पष्ट बहुमत मिलता है और फैसला केंद्र के हाथ में होता है तो तीसरी बार उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना कम है। इसकी अहम वजह उनके आलाकमान के साथ असहज रिश्ते हैं।

कौन होगा भाजपा का चेहरा?

राजस्थान में अगर भाजपा स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में आती है यह वसुंधरा राजे के लिए अच्छे संकेत नहीं होंगे। ऐसा माना जाता रहा है कि वसुंधरा राजे को भाजपा आलाकमान ने दरकिनार किया है और यह चुनाव उनके चेहरे पर नहीं लड़ा जा रहा है। वहीं अगर भाजपा को कड़े मुकाबले में मामूली बहुमत मिलता है तो पार्टी उन्हें आगे कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि आगे भी भाजपा नेतृत्व वसुंधरा राजे से निपटने को लेकर आश्वस्त है और चुनावी प्रचार में भी वसुंधरा को खासी तवज्जोह नहीं दी गई है। सूत्रों के मुताबिक वरिष्ठ नेताओं से कहा गया है कि वे वसुंधरा राजे को उचित सम्मान दें लेकिन उनसे निर्देश न लें। सूत्रों ने कहा कि वसुंधरा राजे को उनकी सीट झालरापाटन से टिकट देना उनके समर्थकों को खुश रखने का एक तरीका है, इसके पीछे की एक वजह यह भी बताई जा रही है कि भाजपा उन्हें उनके निर्वाचन क्षेत्र में उलझाए रखना चाहती है। कहा जा गृह मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह राज्य अभियान की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। भाजपा में इस बात की सख्ती से तलकीन की गई है कि सीएम पद की उम्मीदवारी पर किसी तरह की चर्चा ना हो। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी किसी ऐसे चेहरे की तलाश में है जिसे दिल्ली से कंट्रोल किया जा सके। ऐसा बीजेपी वसुंधरा राजे के साथ कर पाने में कामयाब नहीं हो पाई है।

वसुंधरा नहीं तो अब कौन?

सवाल यह है कि अगर राजस्थान में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा वसुंधरा राजे नहीं होंगी तो कौन होगा? इस दौरान एक नाम जो तेजी से उभरा है, वह अलवर से मौजूदा भाजपा सांसद महंत बालकनाथ का नाम है, जो तिजारा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। अपनी ओबीसी पहचान के अलावा बालकनाथ को उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समान और उनका आशीर्वाद प्राप्त माना जाता है। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर भाजपा योगी की तरह बालकनाथ का नाम आगे कर सकती है।

महंत बालकनाथ यादव समुदाय से आते हैं और यादव राजस्थान में संख्यात्मक रूप से बहुत मजबूत नहीं हैं। राज्य की आबादी का 2% से कम यादव है। बलकनाथ अगर सामने नहीं लाए जाते हैं तो केंद्रीय नेतृत्व की पहली पसंद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत हो सकते हैं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शाह दोनों का विश्वास प्राप्त है।

RSS में गहरी जड़ें रखने वाले गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपनी राजनीति की शुरुआत एबीवीपी से की और 1992 में जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष बने। सूत्रों ने कहा कि शेखावत जिन्हें शुरुआती अटकलों के बाद आखिरकार पार्टी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में मैदान में नहीं उतारा के खिलाफ एकमात्र गलतफहमी यह है कि उनका नाम राज्य में कथित संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले से जोड़ा जा रहा है। यही एक वजह है कि उनका नाम सीएम पद की रेस से बाहर हो सकता है। साथ ही वह एक राजपूत हैं और भाजपा शायद यूपी में सीएम आदित्यनाथ और उत्तराखंड में सीएम पुष्कर धामी के बाद उच्च जाति से किसी अन्य नेता को राज्य का मुखिया नहीं चुनना चाहेगी।

भाजपा के दो पूर्व मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह भी राजपूत हैं। राजस्थान में भाजपा के नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ भी सीएम पद की रेस में हैं। हो यह भी सकता है कि भाजपा किसी दलित चेहरे को आगे कर सकती है। इसमें नाम अर्जुन राम मेघवाल का सामना आ रहा है। राजस्थान में मतदान 25 नवंबर को होना है।