राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। राज्य की 200 विधानसभा सीट के लिए 25 नवंबर को मतदान होगा। एक तरफ जहां बीजेपी ने कैंडीडेट के नामों की अपनी पहली सूची निकाल दी है वहीं, कांग्रेस में गहलोत गुट और सचिन पायलट गुट में जारी रस्साकशी की वजह से प्रत्याशियों के ऐलान में देरी हो रही है। इन सबके बीच भारत आदिवासी पार्टी (BAP) भी दोनों बड़ी पार्टियों का गेम बिगाड़ने के लिए मैदान में है।

2018 के चुनाव मेंपहली बार उतरने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) राजस्थान विधानसभा चुनावों में अप्रत्याशित रूप से सामने आई, जिसने दो सीटें जीतीं और राज्य के दक्षिणी हिस्से में कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर रही। पांच साल बाद, राजस्थान में आदिवासी समूहों ने बीटीपी से अलग होने के बाद भारत आदिवासी पार्टी (BAP) नाम से एक और राजनीतिक संगठन बनाया है। बीटीपी के दोनों विधायक – चोरासी विधायक राजकुमार रोत और सागवाड़ा विधायक रामप्रसाद डिंडोर पार्टी छोड़कर बीएपी में शामिल हो गए हैं।

BAP का चुनाव चिन्ह हॉकी स्टिक और गेंद

एक तरफ कांग्रेस और भाजपा दोनों राज्य में आदिवासी आबादी तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। 2011 की जनगणना राज्य में अनुसूचित जनजातियों (ST) की संख्या आबादी का 13.48% है। ऐसे में नवगठित बीएपी चुनावी रुख बदल सकती है और दक्षिणी राजस्थान में गणित भी। पार्टी मध्य प्रदेश में पदार्पण के अलावा क्षेत्र के पांच जिलों में कम से कम 17 सीटों पर चुनाव लड़ने पर विचार कर रही है।

9 अक्टूबर को, चुनाव आयोग ने राजस्थान में चुनाव लड़ने के लिए BAP को हॉकी स्टिक और गेंद का चुनाव चिन्ह आवंटित किया। मध्य प्रदेश में पार्टी ऑटो रिक्शा चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेगी।

भीलों के लिए अलग राज्य की मांग

पार्टी MLA राजकुमार रोत ने कहा, “विधायकों, प्रधानों और सरपंचों सहित सभी बीटीपी कैडर बीएपी में स्थानांतरित हो गए हैं। हमने दक्षिणी राजस्थान में कम से कम 17 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई है। हम राष्ट्रीय दलों के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं अगर वो आदिवासियों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाने के इच्छुक हैं।” उन्होंने कहा कि लंबे समय से भीलों के लिए अलग राज्य की मांग की जा रही है, न तो कांग्रेस और न ही भाजपा सरकारों ने संविधान का पालन किया है और दक्षिणी राजस्थान में आदिवासियों के लिए आरक्षण नीति का पालन किया है। जनता बीएपी के साथ है, जो इन मुद्दों को उठा रही है।

पिछले कुछ सालों में आदिवासी आबादी का एक वर्ग दक्षिणी राजस्थान में हिंदुत्व के खिलाफ एक मजबूत आवाज के रूप में उभरा है। जहां भाजपा से जुड़े संगठनों और आदिवासियों के बीच काम करने वाले वनवासी कल्याण आश्रम जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठनों के साथ टकराव में रहा है।

हमारी संस्कृति हिंदू संस्कृति से मेल नहीं खाती- BAP के राष्ट्रीय अध्यक्ष

बीएपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहनलाल रोत ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हम आदिवासियों को हिंदू के रूप में दर्शाने वाले इस खेल के खिलाफ हैं। हमारी संस्कृति हिंदू संस्कृति से मेल नहीं खाती। हम आदिवासियों के अधिकारों के बारे में जो मुद्दे उठा रहे हैं, उनके लिए जनता के बीच बड़े पैमाने पर समर्थन है।”

बीएपी नेताओं ने कहा कि पार्टी उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और सिरोही जिलों की कई विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, जिनमें उदयपुर ग्रामीण, झाड़ोल, सलूंबर, डूंगरपुर, सागवाड़ा, चोरासी, आसपुर, बांसवाड़ा, कुशलगढ़, बागीदौरा, घाटोल, shप्रतापगढ़, धरियावद, और पिंडवाड़ा शामिल हैं।