राजस्थान भाजपा में इन दिनों एक जाट नेता का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। जिसने पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहते हुए कई आंदोलनों के जरिए सुर्खियां बटोरी हैं। हम यहां बात कर रहे हैं सतीश पूनिया की, वह बीजेपी राजस्थान के वरिष्ठ नेता हैं और फिलहाल 2018 से अंबर विधानसभा (आमेर) का प्रतिनिधित्व करने वाले राजस्थान विधान सभा के सदस्य हैं। वह भाजपा राजस्थान के पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं। सतीश पूनिया का जन्म 24 अक्टूबर 1964 को हुआ था। वह राजस्थान के चुरू जिले के एक छोटे से गाँव राजगढ़ में एक किसान परिवार से हैं। उनके पिता सुभाष चन्द्र पूनिया राजगढ़ पंचायत समिति के पूर्व प्रधान थे। उनके चाचा रामस्वरूप पूनिया एक स्वतंत्रता सेनानी रहे और बीकानेर संभाग के स्वतंत्रता सेनानी और प्रजा परिषद आंदोलन के तत्कालीन नेता चौधरी कुम्भाराम आर्य के सहयोगी थे।
सतीश पूनिया का सियासी सफर
भाजपा नेता सतीश पूनिया की शुरुआती शिक्षा राजगढ़ में पूरी हुई, जिसके बाद उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई चूरू से पूरी की। उन्होंने साल 1989 में महाराजा कॉलेज (राजस्थान विश्वविद्यालय) से स्नातक की उपाधि प्राप्त हासिल की। इसके बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय कानून की पढ़ाई की। उन्हें RSS की विचारधारा से काफी लगाव था। इस लगाव के रहते वह एबीवीपी में शामिल हो गए और कई पदों पर रहे।
सतीश पूनीया ने राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव में भी भाग लिया और यही वक़्त तक जब वह राजनीति की ओर बढ़ रहे थे। 989 में वह राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्र संघ के महासचिव भी बने।
इसके बाद सियासत के मैदान में आगे बढ़ते हुए वह मुख्यधारा की राजनीति का हिस्सा हो गए। 1992 में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश महासचिव बने। 1998 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा, राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। यह सफर राजस्थान प्रदेश में भाजपा के अध्यक्ष बनाए जाने तक जारी रहा।
भाजपा के बुरे दौर के साथी सतीश पूनिया
जब भाजपा राज्य में सत्ता से बाहर थी तब ज्यादातर समय तक सतीश पूनिया राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष थे। अध्यक्ष के रूप में तीन साल से अधिक समय तक रहने के दौरान उन्होंने लगातार गहलोत सरकार पर प्रहार किए। 2023 की शुरुआत में उनकी जगह मौजूदा राज्य भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी को नियुक्त किया गया। अध्यक्ष के तौर पर वह वसुंधरा राजे के साथ मनमुटाव को लेकर खबरों में रहे , इस दौरान न्होंने रोहिताश शर्मा जैसे राजे समर्थकों को अनुशासनहीनता के लिए निष्कासित कर दिया और उनके (राजे) समर्थकों को किनारे कर दिया, जबकि मदन दिलावर जैसे उनके विरोधियों को महत्वपूर्ण पद दिए गए। पूनिया जाट समुदाय से हैं, जो तादाद के लिहाज से राजस्थान में सबसे प्रभावशाली जाति है।