Manoj CG, Astha Saxena

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त से नाराज पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी मंगलवार को उनसे मुलाकात करने घर पहुंचे नेताओं से नहीं मिले। उनकी जगह बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ने कांग्रेस नेताओं से बातचीत की। उधर, अध्यक्ष पद छोड़ने के अपने फैसले को लेकर राहुल के रुख में नरमी नहीं आई है। हालांकि, उन्होंने संकेत दिए हैं कि जब तक इस पद के लिए कोई योग्य शख्स नहीं मिलता, तब तक वह पद पर बने रहेंगे। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, राहुल इस बात पर अडिग हैं कि गांधी परिवार के बाहर के किसी शख्स को कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहिए। पार्टी के अंदर के लोगों का कहना है कि इसमें वक्त लगेगा, ऐसे में राहुल पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने के लिए आजाद हैं। इस बात की इजाजत कांग्रेस वर्किंग कमिटी ने भी उन्हें दी है।

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राहुल गांधी के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने अपना रिप्लेसमेंट ढूंढने के लिए 1 महीने का वक्त दिया है। हालांकि, पार्टी नेताओं का कहना है कि इसमें एक महीने से ज्यादा वक्त लग सकता है। बता दें कि जून के पहले हफ्ते में कांग्रेस संसदीय दल की बैठक मुमकिन है। पार्टी नेताओं को ऐसा लगता है कि उसी वक्त यह साफ हो जाएगा कि राहुल गांधी पार्टी में क्या भूमिका चाहते हैं। द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में नेहरू-गांधी परिवार की वफादार मानी जाने वालीं दिल्ली कांग्रेस प्रेसिडेंट शीला दीक्षित ने कहा, ‘फिलहाल किसी निष्कर्ष पर पहुंचना हमारे लिए मुश्किल है। जो कुछ भी हो रहा है, हम उससे बेहद चिंतित हैं। आखिरी फैसला उन्हें ही लेना है। सभी सीनियर नेता अलग-अलग भी मुलाकात कर रहे हैं ताकि पार्टी अध्यक्ष को मनाया जा सके।’

उधर, कांग्रेस पार्टी की समस्याएं खत्म न होती देख लालू प्रसाद यादव और एमके स्टालिन जैसे नेताओं ने भी राहुल गांधी से अपील की है कि वे पद से इस्तीफा न दें। राहुल की मां और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और बहन प्रियंका ने भी उनसे मुलाकात करके इस मुश्किल का समाधान निकालने की कोशिश की। लालू का मानना है कि अगर राहुल गांधी इस्तीफा देते हैं तो वह बीजेपी के जाल में फंस जाएंगे और यह न केवल कांग्रेस पार्टी, बल्कि बीजेपी के खिलाफ लड़ रही सभी पार्टियों के लिए आत्मघाती कदम साबित होगा।