जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आरजेडी सुप्रीम लालू यादव की पत्नी और पूर्व सीएम राबड़ी देवी के एक दावे पर पलटवार किया है। दरअसल, राबड़ी देवी ने शुक्रवार को कहा था कि किशोर ने उनके पति लालू प्रसाद से मुलाकात करके यह प्रस्ताव रखा था कि आरजेडी और जेडीयू का विलय हो जाए और इस तरह बनने वाली नई पार्टी को चुनावों से पहले अपना ‘प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार’ घोषित करना चाहिए। राबड़ी के इस बयान के बाद प्रशांत किशोर ने पलटवार करते हुए कहा, ‘वे लोग जो दोषी करार दिए जा चुके हैं या पब्लिक ऑफिस व सरकारी खजाने के गलत इस्तेमाल के आरोपी हैं, खुद को सत्य के संरक्षक होने का दावा कर रहे हैं।’ प्रशांत किशोर ने कहा, ‘ लालू जी जब चाहें, मेरे साथ मीडिया के सामने बैठ जाएं, सबको पता चल जाएगा कि मेरे और उनके बीच क्या बात हुई और किसने किसको क्या ऑफर दिया।’
बता दें कि राबड़ी ने यह भी कहा था कि अगर किशोर लालू प्रसाद से इस प्रस्ताव को लेकर मुलाकात करने से इनकार करते हैं तो वह ‘सफेद झूठ’ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं इससे बेहद नाराज हो गई और उनसे निकल जाने को कहा क्योंकि नीतीश के धोखा देने के बाद मुझे उनपर भरोसा नहीं रहा।’ राबड़ी देवी ने आगे कहा, ‘हमारे सभी कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी इस बात के गवाह हैं कि उन्होंने हमसे कम से कम पांच बार मुलाकात की। इनमें से अधिकांश तो यहीं (दस सर्कुलर रोड) पर हुईं और एक-दो मुलाकात पांच नंबर (पांच देशरत्न मार्ग-छोटे बेटे तेजस्वी यादव के आवास) पर हुई। किशोर को नीतीश कुमार ने इस प्रस्ताव के साथ भेजा था – दोनों दलों का विलय कर देते हैं और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करते हैं। वह दिन के उजाले में आए थे न कि रात में।’
Those convicted or facing charges of abuse of public office and misappropriation of funds are claiming to be the custodians of truth.@laluprasadrjd जी जब चाहें, मेरे साथ मीडिया के सामने बैठ जाएं, सबको पता चल जाएगा कि मेरे और उनके बीच क्या बात हुई और किसने किसको क्या ऑफर दिया।
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) April 13, 2019
बता दें कि साल 2017 में नीतीश कुमार आरजेडी और कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो गए थे। वहीं, हाल में प्रकाशित अपनी आत्मकथा में लालू प्रसाद ने भी दावा किया था कि जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किशोर ने नीतीश कुमार के दूत के तौर पर उनसे मुलाकात की थी और यह प्रस्ताव रखा था कि मुख्यमंत्री की पार्टी को महागठबंधन में फिर से शामिल कर लिया जाए। किशोर ने प्रसाद के इस दावे के बाद स्वीकार किया था कि उन्होंने जेडीयू की सदस्यता लेने से पहले प्रसाद से कई बार मुलाकात की थी। हालांकि, किशोर ने यह भी कहा कि अगर वह यह बताएंगे कि किस बात पर चर्चा हुई थी तो उन्हें (प्रसाद को) शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है।
(भाषा इनपुट्स के साथ)