श्रेयसी झा, मुजफ्फरपुर
बिहार के मुजफ्फरपुर जिला स्थित कटरा क्षेत्र के दुमरी गांव में बैनर लगे हुए हैं। इन पर लिखा है, ‘पुल नहीं तो वोट नहीं।’ गांव की आबादी 5 हजार के आसपास है। लखनदेई नदी के ऊपर कंक्रीट ब्रिज न बने होने की वजह से गांववालों को बांस से बने पुल का इस्तेमाल करना होता है। स्थानीय भाषा में इसे ‘चचरी पुल’ कहते हैं। गांववालों ने अपने पैसों से इस पुल का निर्माण करवाया है। हालांकि, यह पुल हर बार बाढ़ में बह जाता है और बीते दो दशकों में कई बार बनवाया जा चुका है। गांववालों का कहना है कि चचरी पुल बनाने में करीब डेढ़ लाख रुपये का खर्च आता है। बता दें कि इसी जिले में पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार के सिलसिले में मंगलवार को पहुंचे थे। यहां 6 मई को मतदान होने वाला है।
यहां दुमरी गांव जैसे हालात पूरे क्षेत्र के हैं। कटरा में करीब 18 से 20 ‘चचरी पुल’ हैं। गांवों में ‘चचरी पुल’ के सहारे ही काम चल रहा है। कुछ की हालात बेहद जर्जर है, जो 22 पंचायतों के तहत आने वाली ढाई लाख की आबादी के लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं। दुमरी गांव के रहने वाले 36 साल के मोहम्मद तौशिक रजा ने कहा कि उन लोगों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है। उनक कहना है कि इलाके की बेहतरी के लिए वे लोग जनप्रतिनिधियों को चुनते हैं, लेकिन उन्हें बदले में राजनेताओं के बस झूठे वादे मिलते हैं। रजा के मुताबिक, ग्राम विकास अधिकारी ने उन्हें वोट देने के लिए राजी करने की कोशिश की है। इस पर रजा ने कहा, ‘लेकिन हम सरकार से यह पूछना चाहते हैं कि ज्यादा अहम क्या है, हमारा वोट या हमारी जान जो इन चचरी पुल के इस्तेमाल की वजह से खतरे में रहती है।’
रजा के मुताबिक, इलाके के बीजेपी सांसद अजय निषाद पिछले साल 9 जून को इफ्तार पार्टी में शामिल होने के लिए आए थे। उन्होंने ब्रिज बनवाने का वादा किया था। रजा ने बताया, ‘हम आजादी के बाद से चचरी पुल पर निर्भर हैं। सीएम नीतीश कुमार और बाकी सरकारी अधिकारियों को कई खत लिखे जा चुके हैं।’ गांववाले बताते हैं कि करीब 2 साल पहले एक 18 साल का लड़का पुल से गिर गया था। चार दिन बाद उसकी लाश मिली थी। पुल पर हाल ही में कुछ अन्य लोग भी हादसों का शिकार हुए हैं। अपना दर्द बयां करते हुए एक अन्य गांववाले सादिक अली ने कहा, ‘किसी लेडी को डिलिवरी के लिए रात बिरात पीड़ा होती है तो बहुत परेशानी हो जाती है इधर से ले जाने में। मुजफ्फरपुर लेके जाते हैं जिसमें डेढ़ से दो घंटे लगते हैं। कई महिलाएं मर चुकी हैं।’ बता दें कि स्कूली बच्चे भी इसी पुल का इस्तेमाल करते हैं। घरवालों को यह बात हमेशा परेशान करती है।