कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे महाराष्ट्र में भाजपा के लिए एक चेतावनी कॉल है। इससे लगता है पार्टी नेतृत्व इससे सबक लेगा और ऑपरेशन लोटस रणनीति पर फिर से विचार करेगा। ऑपरेशन लोटस की काफी आलोचना हो चुकी है। अब जबकि कांग्रेस कर्नाटक में सरकार बनाने जा रही है, भाजपा के सामने दो सवाल जरूर उठेंगे। पहला क्या बसवराज बोम्मई सरकार की हार ऑपरेशन लोटस की नाकामी को साबित करती है और दूसरा क्या पड़ोसी राज्य की तरह 2024 के चुनाव में महाराष्ट्र की भी यह गति होगी?
भाजपा के कई सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि पार्टी की महाराष्ट्र इकाई एक-दो दिनों में मीटिंग करेगी और कर्नाटक के नतीजों का अपने राज्य में पड़ने वाले असर का विश्लेषण करेगी। पार्टी के एजेंडे में चुनाव रणनीति के साथ एक व्यापक मिड-टर्म कोर्स करेक्शन भी शामिल है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा, “हर राज्य का विधानसभा चुनाव की अपनी गणित है। स्थानीय मुद्दों से लेकर नेतृत्व तक हर चीज अहम भूमिका निभाती है। केंद्रीय और राज्य नेतृत्व इसका विश्लेषण करेगा और जो भी सुधार के कदम की जरूरत होगी उसे शीर्ष नेतृत्व उठाएगा। हम दो चुनावों की तुलना नहीं कर सकते हैं।”
कर्नाटक और महाराष्ट्र में भाजपा में बहुत समानता है। 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में कांग्रेस और जद (एस) गठबंधन ने सरकार बनाई। भाजपा जो सबसे बड़ी पार्टी थी, विपक्ष में चली गई।
एक साल के भीतर, 2019 में 15 कांग्रेस और दो जद (एस) विधायकों के इस्तीफा देने के बाद भाजपा ने ऑपरेशन लोटस के माध्यम से कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन को गिरा दिया। इस्तीफा देने वालों ने उपचुनाव लड़ा, जिससे कर्नाटक में 224 सदस्यीय सदन में भाजपा के लिए 113 के जादुई आंकड़े को पार करना संभव हो गया।