पंकज रोहिला 

दिल्ली का सबसे बड़ा चुनावी घमासान इस बार उत्तर पूर्व दिल्ली लोकसभा सीट पर है। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों व आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व प्रदेश संयोजक के बीच लड़ाई है और तीनों अध्यक्ष फिर से अपना दम दिखा रहे हैं। सीट की इस त्रिकोणीय उठापटक में इस बार छोटे दल निर्णायक भूमिका में रहेंगे। दलों से होने वाले नुकसान के आधार पर ही इस सीट पर हार-जीत का आखिरी फैसला होगा। यही कारण है कि नुकसान वाली जगहों पर तीनों दलों ने ताकत झोंक दी है।

भाजपा प्रत्याशी व वर्तमान सांसद मनोज तिवारी 5 साल के कार्यकाल बनाम 15 साल कांग्रेस की विफलता के नाम पर वोट मांग रहे हैं, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी शीला दीक्षित 15 साल के विकास कार्यों और ‘आप’ प्रत्याशी दिलीप पांडे वर्तमान ‘आप’ सरकार के कामकाज पर वोट मांग रहे हैं, लेकिन विशेष समुदाय के वोट बैंक पर इन तीनों ही दलों की सीधी नजर है। इस सीट पर भाजपा ने एक बार फिर से मनोज तिवारी पर विश्वास जताया है। बतौर सांसद, स्टार प्रचारक व प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका में होने की वजह से इन्हें जमीनी स्तर पर समर्थन मिल रहा है। इसके अतिरिक्त इनके साथ अन्य स्टार चेहरे भी क्षेत्र में आ रहे हैं। हाल ही में हरियाणा की संगीतकार सपना चौधरी ने इनके समर्थन में मोर्चा संभाला है और भीड़ जुटाई है। इस भीड़ को वोट में बदलना ही पार्टी के लिए बड़ी चुनावी जीत होगी। इस सीट पर 2014 के लोकसभा के चुनाव में ‘आप’ दूसरे पायदान पर थी। हालांकि पार्टी ने इस बार अपने पुराने चेहरे को इस सीट से बदल दिया है।

कांग्रेस ने इस सीट पर कांग्रेस की अध्यक्ष व 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को मैदान में उतारा है। कांग्रेस के कोटे में यह सीट अब तक जयप्रकाश अग्रवाल के पास थी, अब यह शीला दीक्षित के पास है। इस वजह से यहां विपक्ष के अलावा कैडर के साथ भी अधिक तालमेल की जरूरत होगी। पूर्व के लोकसभा चुनाव में ‘आप’ इस सीट पर दूसरे नंबर पर थी। इसलिए पार्टी को लगता है कि कांग्रेस के सबसे बड़े वोट बैंक मुसलिम/पूर्वांचल वोट पर अगर कब्जा होता है तो वह इस सीट पर दोनों प्रत्याशियों के लिए पटखनी दे सकती है।