चुनाव से पहले वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान की मांग अक्सर उठती रही है। पांच सूबों की मतगणना से पहले फिर से एक बार ये मुद्दा उठा है। सुप्रीम कोर्ट मामले की बुधवार को सुनवाई करेगा। सीजेआई एनवी रमन्ना का कहना है कि परसों मतगणना है। देखना होगा कि कोई नया आदेश दिया जा सकता है या नहीं। कोर्ट ने चुनाव आयोग से भी जवाब मांगा है।

पांचों राज्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और पंजाब में 10 मार्च को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने हैं। इन सभी राज्यों में मतदान हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश में जहां सात चरणों में तो मणिपुर में दो चरणों में मतदान हुआ था। वहीं पंजाब, गोवा और उत्तराखंड में एक ही चरण में मतदान सम्पन्न हुआ था।

मतगणना से ऐन पहले सुप्रीम कोर्ट में वीवीपैट को लेकर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने मामला उठाया। उनका कहना था कि अभी तक के चलन में वीवीपैट की पर्चियों का मिलान तब किया जाता है जब सभी दलों के एजेंट चले जाते हैं। जबकि होना ये चाहिए कि उनके सामने ही पर्चियों का मिलान किया जाए। उनका कहना था कि इससे धांधली की गुंजाइश नहीं रहेगी।

सीजेआई ने कहा कि 2019 की गाइड लाइन इस संबंध में पहले से मौजूद हैं। उनका इशारा सुप्रीम कोर्ट के 8 अप्रैल के उस आदेश की तरफ था जिसमें कहा गया था कि हर असेंबली सेगमेंट में कम से कम पांच ईवीएम की वीवीपैट पर्चियों का मिलान हो। ये आदेश राजनीतिक दलों की एक याचिका पर दिया गया था। उनकी मांग थी कि वीवीपैट की पर्चियों के मिलान को 50 फीसदी पोलिंग स्टेशनों तक बढ़ाया जाए। गौरतलब है कि वीवीपैट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में धोखाधड़ी या खराबी का पता लगाने में मदद करता है।

हालांकि, कोर्ट ने कहा है कि परसों मतगणना है। इसलिए यह देखना होगा कि इस मामले में अब कोई नया आदेश दिया जा सकता है कि नहीं? सीजेआई ने एडवोकेट से सवाल किया कि आखिरी लम्हे में इस तरह की याचिका क्यों दायर की गई।