यूपी वेस्ट की पार्टी रालोद एनडीए में एंट्री के लिए तैयार है। जयंत चौधरी के एनडीए में जाने से पश्चिमी यूपी में सपा के सामने एक बड़ा रिक्त स्थान पैदा हो गया है। जयंत चौधरी की पार्टी को पश्चिमी यूपी में जाट समुदाय का समर्थन मिलता रहा है। राज्य के इस हिस्से में आने वाले मुजफ्फरनगर, बागपत, सहारनपुर, अलीगढ़ और हापुड़ में जाट मतदाताओं की काफी अच्छी संख्या है।

सपा के नेताओं का मानना है कि जयंत के जाने से पैदा हुए रिक्त स्थान को भरने के लिए उनकी पार्टी को इस क्षेत्र में जाट नेताओं को प्रमोट करना चाहिए। सपा के एक धड़े का यह भी मानना है कि जयंत के जाने से वेस्ट यूपी में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हालांकि सपा यह भी जानती है कि रालोद के जाने के बाद कांग्रेस पार्टी यूपी वेस्ट में सपा से और सीटों की मांग करने वाली है।

मुजफ्फरनगर में सपा के एक नेता ने कहा कि जयंत चौधरी के आने से हमें जाट समुदाय का कुछ वोट जरूर मिला। ये वोटर किसान आंदोलन, पहलवानों के प्रदर्शन की वजह से बीजेपी से नाराज थे। लेकिन पिछले कुछ समय से जाट वोटर बीजेपी को ही वोट कर रहा है। हमारी पार्टी को कुछ नुकसान तो होगा लेकिन हमें जाट नेताओं को प्रमोट करने की जरूरत है। केंद्रीय नेतृत्व को ऐसे नेताओं को खोजना चाहिए और उन्हें प्रमोट करना चाहिए।

‘जयंत सिर्फ एंटी बीजेपी वोट ही लेकर आए’

अमरोहा में सपा के एक नेता ने कहा कि जयंत चौधरी के जाने से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जयंत सिर्फ एंटी बीजेपी वोट को ही सपा को दिलवा पाए। वो वोट सपा को मिलता रहेगा और यह कहीं नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी का कुछ प्रभाव तो है लेकिन इतना भी नहीं है कि वोट एंटी बीजेपी वोट को वापस सत्ताधारी पार्टी को भी दिलवाए पाएं।

सपा के साथ रालोद का कैसा था प्रदर्शन?

रालोद और सपा 2019 लोकसभा चुनाव से एक साथ लड़ रहे थे। रालोद का पिछले कुछ चुनाव में प्रदर्शन देखते हुए अखिलेश को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। सपा-बसपा से गठबंधन के बावजूद रालोद अपने गढ़ में बागपत औऱ मुजफ्फरनगर की सीटें नहीं बचा सकी। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने रालोद को 33 सीटें दी थीं लेकिन वह सिर्फ 2.9% वोट शेयर के साथ 8 सीटें ही जीत सकी थी। रालोद 19 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही और छह सीटें उसने 10 हजार से कम वोटों से गंवा दीं।

सपा क्यों मान रही जयंत को होगा नुकसान?

सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता फरजउद्दीन किदवई ने कहा कि रालोद के जाने से सपा को कोई नुकसान नहीं होंगे क्योंकि जयंत की पार्टी ने अपनी मूल विचारधारा से समझौता किया है, जो किसानों पर आधारित है। इतने सारे किसान बीजेपी के खिलाफ क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं? किसान फिर दिल्ली में प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं। अब क्योंकि जयंत चौधरी विपक्ष छोड़ सत्ता पक्ष के साथ जा रहे तो क्या आने वाले समय में उनकी राजनीति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

कांग्रेस डिमांड करेगी ज्यादा सीटें?

कांग्रेस सपा द्वारा दी गई सीटों से संतुष्ट नहीं है। अब जयंत के जाने के बाद जाने के बाद कांग्रेस निश्चित ही रालोद से यूपी वेस्ट में ज्यादा सीटें डिमांड करेगी। कांग्रेस पार्टी के एक नेता कहते हैं कि सपा ने अब तक हमारे लिए 11 सीटें तय की हैं लेकिन ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सपा नेतृत्व हमसे कहता था कि उन्हें वेस्ट यूपी में रालोद को भी सीटें देनी हैं। अब रालोद के हटने पर हम सपा से ज्यादा सीटें मांगेंगे। उन्हें कम से कम हमें सहारनपुर और अमरोहा तो देना चाहिए, जहां वरिष्ठ नेता इमरान मसूद और दानिश अली (पूर्व में बसपा के) कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसी अन्य सीटें भी हैं जहां हमें गठबंधन के तहत टिकट मिलना चाहिए।

सपा के एक नेता ने बताया कि यूपी वेस्ट में कांग्रेस को कुछ और सीटें देने के लिए सपा के कुछ नेता राजी हैं। उनके पास दो मुस्लिम नेता और दानिश अली हैं। इसलिए सपा का केंद्रीय नेतृत्व कांग्रेस से यह तय करे कि वो मुस्लिम नेताओं को चुनाव लड़वाएगा। यह मुस्लिम वोटर्स के बीच अच्छा संदेश देगा।