दीपक रस्तोगी

Maharashtra & Haryana Election Results/Chunav Results 2019: हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में भाजपा द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का मुद्दा भुनाने की कोशिश और कांग्रेस द्वारा अर्थव्यवस्था की बदहाली पर केंद्र को कोसने समेत विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दे दोनों ही राष्ट्रीय दलों के काम नहीं आए। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने दोनों राज्यों में राष्ट्रीय मुद्दे उठाए, जिनपर लोगों ने कम ध्यान दिया। दोनों राज्यों में भाजपा ने पिछली बार से कमजोर प्रदर्शन किया है। कांग्रेस का प्रदर्शन सुधरा जरूर है, लेकिन यह साफ है कि उसके नेता चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से संपर्क में पीछे रहे।

जानकारों का मानना है कि कृषि क्षेत्र में उभरते संकट, मंद आर्थिक वृद्धि और बढ़ती बेरोजगारी ने धीरे-धीरे चुनावी नतीजों पर असर डालना शुरू कर दिया है। हरियाणा में दुष्यंत चौटाला की जजपा और महाराष्ट्र में शरद पवार की एनसीपी ने स्थानीय मुद्दे उठाकर अपनी-अपनी जमीन मजबूत कर ली। दुष्यंत चौटाला ने रोजगार और जनसमस्याओं की बात उठाई तो पवार ने किसानों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया।

भाजपा और उसके सहयोगी दल दोनों ही राज्यों में खुद के द्वारा तय लक्ष्य से दूर रह गए। महाराष्ट्र में भाजपा नीत गठबंधन सरकार बनाने की स्थिति में है, मगर पार्टी की अपनी सीटें पिछली बार से घट गई हैं। महाराष्ट्र में भाजपा ने गठबंधन के लिए 212 और खुद के लिए 144 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया था। हरियाणा में 75 पार का नारा देने वाली भाजपा बहुमत के लिए जरूरी 45 के आंकड़े से दूर रह गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित तमाम शीर्ष नेताओं ने दोनों राज्यों में रैलियां कर स्थानीय को छोड़ राष्ट्रीय मुद्दे उठाए थे। कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को साहसिक कदम बताते हुए प्रचारित किया गया कि पिछले 70 वर्षों में जो काम किसी सरकार ने नहीं किया, उसे उन्होंने कर दिखाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सतारा रैली में अनुच्छेद 370 और रफाल मुद्दे पर विपक्ष पर निशाना साधा था। शिवसेना ने वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग उठाई थी और भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में सावरकर को यह सम्मान देने का वायदा किया था।

दूसरी ओर, महाराष्ट्र में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी रैलियों में राज्य सरकार पर बेरोजगारी, नोटबंदी के दुष्प्रभावों, जीएसटी और पीएनबी घोटाले को मुद्दा बनाया। राहुल में अपनी रैलियों में यहां तक कहा कि चांद पर राकेट भेजने से युवाओं का पेट नहीं भरता। वहीं एनसीपी ने औद्योगिक घाटे, बुनियादी ढांचे, बेरोजगारी और आर्थिक मंदी को अपने भाषणों में शामिल किया। किसानों की आत्महत्या और मराठा आरक्षण को लेकर भी विपक्ष भाजपा पर आक्रामक दिखा।

महाराष्ट्र में पीएमसी बैंक घोटाला और आरे में पेड़ों को काटने के मुद्दे का असर भी रहा। ये मुद्दे भाजपा गठबंधन के खिलाफ गए। लेकिन विपक्ष इन मुद्दों पर लाभ उठाने में नाकाम रहा। हरियाणा में राष्ट्रीय मुद्दों के साथ ही भाजपा ने दो लाख से अधिक रिटायर्ड सैनिकों को लुभाने के लिए वन रैंक वन पेंशन की बात की। शहीदों के परिवार और जवानों के बच्चों के लिए संचालित योजनाओं के जरिए भाजपा ने राष्ट्रवाद का कार्ड चला। लेकिन स्थानीय समीकरण, खासकर जातीय समीकरण हावी रहे। इनेलो से टूटकर बनी दुष्यंत चौटाला की जेजेपी उभरी और सत्ता का चाबी अपने पास रखने की स्थिति में आ गई।