Madhya Pradesh Election Results: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने रविवार को प्रचंड जीत दर्ज की। बीजेपी की इस जीत के बाद पार्टी के उत्साही कार्यकर्ता राज्य बीजेपी चीफ वीडी शर्मा के आवास पर एकत्र हुए। कार्यकर्ताओं ने वीडी शर्मा को अपने कंधो पर उठाया और उन्हें अपने घर तक ले गए। यह राज्य बीजेपी प्रमुख के लिए एक विजय जुलूस था, जो पार्टी के कई नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने के बाद महीनों से आलोचना का सामना कर रहे थे।
बीजेपी कार्यकर्तओं के इस जश्न के बीच वीडी शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह काएक प्लेकार्ड लहराया। इसके बाद उन्होंने यह बताना शुरू किया कि भाजपा की जीत के पीछे क्या कारण था। कैसे पार्टी ने उस चुनाव में वापसी की, जिसको कांग्रेस खुद अपनी जीत मान के चल रही थी।
40 लाख बूथ कार्यकर्ताओं ने अमित शाह की रणनीति का पालन किया: अमित शाह
राज्य बीजेपी चीफ वीडी शर्मा ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ’40 लाख बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं ने अमित शाह की रणनीति का पालन किया। यह उसी का परिणाम है। अमित शाह जी ने प्रदेश के हर बूथ पर 51 फीसदी वोट लाने का टास्क दिया था। हमारे कार्यकर्ताओं ने राज्य के 64,523 बूथों पर अथक परिश्रम किया और हमें उस लक्ष्य तक पहुंचने में मदद की।’
शर्मा ने कहा कि भाजपा को वापसी की तैयारी में एक साल से अधिक का समय लगा, पार्टी ने चुपचाप बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं की एक सेना तैयार की, जिन्होंने शाह की योजना को लागू किया और कांग्रेस को शांत करा दिया।’
जनवरी 2022 में पार्टी ने कम से कम 96 प्रतिशत निर्वाचन क्षेत्रों में बूथ समितियां बनाने की योजना पर काम किया। यह कवायद पार्टी के दिग्गज नेता कुशाभाऊ ठाकरे के शताब्दी समारोह के दौरान की गई।
राज्य भाजपा सचिव रजनीश अग्रवाल ने कहा, ‘इस अभ्यास के दौरान, हमने अपने सभी बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के रिकॉर्ड को उनकी तस्वीरों के साथ डिजिटल कराया गया और बूथ स्तर पर कार्यों और हमारी योजनाओं के लाभार्थियों से संपर्क करने की रणनीतियों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि हमने अपनी योजनाओं के लाभार्थियों, विशेष रूप से एससी, एसटी और अन्य समुदायों के साथ संपर्क स्थापित किया और उन्हें अपनी योजनाओं के बारे में बताया। हमने वस्तुतः इसमें एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को चिह्नित किया। हम चाहते थे कि जब वे बूथ पर (वोट देने) जाएं तो वे हमारी योजनाओं को याद रखें।’
रजनीश अग्रवाल ने कहा, ‘डिजिटलीकरण से भी मदद मिली और राज्य नेतृत्व सीधे कार्यकर्ताओं के संपर्क में था। उन्होंने कहा कि भाजपा की डबल इंजन सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों की सूची गांववार और शहरों में वार्डवार संकलित कर बूथ कार्यकर्ताओं को उपलब्ध कराई गई। कांग्रेस ने अपना चुनाव निजी एजेंसियों को आउटसोर्स किया और उसके पास जमीनी स्तर के कार्यकर्ता नहीं थे।’
फिर मार्च में पार्टी ने वैचारिक प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित कीं। जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी के बारे में फीडबैक था, जिसे एक ऐसे कारक के रूप में देखा गया जिसके कारण पार्टी को 2018 के चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को कई प्रशिक्षण के दौरान ‘राष्ट्र प्रथम’ की विचारधारा के बारे में बताया गया।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘अयोध्या और राम मंदिर ऐसे मुद्दे थे, जिनसे उन्हें एकजुट होने में मदद मिली, लेकिन उन्हें इस बात की उचित समझ की जरूरत थी कि बीजेपी किस ओर जा रही है। उन्हें वैचारिक यात्रा को समझने की जरूरत थी। यह बात उनको समझाई गई । हर रविवार को बूथ कार्यकर्ताओं को पीएम की मन की बात सुननी होती थी और ऐप पर तस्वीरें पोस्ट करनी होती थीं।’
पार्टी ने बूथ स्तर पर कई नए पद बनाए, जिनमें सोशल मीडिया प्रभारी, लाभार्थी प्रभारी और शक्ति केंद्र प्रभारी शामिल हैं। शक्ति केंद्र 6-8 बूथ स्तर के स्वयंसेवकों का एक समूह है। कुल 10,916 शक्ति केंद्र बनाए गए, जिससे पार्टी की पन्ना प्रमुख नियुक्तियों को बल मिला। एससी/एसटी समुदायों से कम से कम 10 स्वयंसेवकों की भर्ती पर विशेष जोर दिया गया।
नरसिंहपुर बीजेपी के उपाध्यक्ष रमाकांत धाकड़ ने कहा, ”हमें बड़ी संख्या में महिला स्वयंसेवक भी मिलीं। हमें आश्चर्य हुआ, वे सभी लाडली बहना योजना की लाभार्थी थीं, जो हमारी मदद के लिए स्वयं आई थीं। हमें तब पता था कि हम जीत रहे हैं।”
एक बीजेपी नेता ने कहा, ‘पार्टी ने सुनिश्चित किया कि बूथ कार्यकर्ता अलग-थलग काम न करें। विभिन्न क्षेत्रों के बूथ-स्तरीय कार्यकर्ताओं की बैठकें आयोजित की गईं जहां वे “खेल और भोजन पर मिले। इससे बाधाओं को तोड़ने और प्रतिस्पर्धा को कम करने में मदद मिली, इस तरह उन्होंने चुनावी रणनीतियों पर चर्चा की, जिससे क्षेत्रीय बाधाएं टूट गईं और एक-दूसरे को मदद मिली। समन्वय सुनिश्चित करने के लिए बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं द्वारा कुल 42,000 व्हाट्सएप समूह बनाए गए थे।’
भाजपा का सबसे बड़ा आउटरीच कार्यक्रम जून में शुरू किया गया था, जब बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं ने मतदाताओं के साथ घर-घर जाकर संपर्क किया और मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर उन्हें केंद्र सरकार की योजनाओं के संदेश दिए। जब यह अभियान चलाया गया, तब तक भाजपा ने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं का एक नया कैडर तैयार कर लिया था। पार्टी ने नियमित रूप से बूथ विस्तार कार्यक्रम चलाए, जहां सभी जिलों के कार्यकर्ता मिले और चुनावों के लिए रणनीति बनाई। जून में भोपाल में ऐसे ही एक कार्यक्रम की अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी।
अक्टूबर के दौरान, कार्यकर्ता महाकुंभ आयोजित किए गए जहां राज्य के नेताओं ने “बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को अमित शाह की 15 रणनीतियों” का अभ्यास कराया गया। एक बीजेपी नेता ने कहा कि उन्हें चुनावी रणनीतियों के प्रिंटआउट दिए गए। उन्हें कार्यों की विस्तृत सूचियां दी गईं – घर-घर जाकर प्रचार करने से लेकर उन सीटों पर तीसरी पार्टियों की जीत सुनिश्चित करने तक, जहां भाजपा वोट शेयर में विभाजन सुनिश्चित करने के लिए कमजोर थी। प्रत्येक रणनीति इस आधार पर तैयार की गई थी कि पिछले चुनाव में उस बूथ ने कैसा प्रदर्शन किया था।’