Meghalaya Assembly Election 2023: मेघालय के मुख्यमंत्री और नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) सुप्रीमो कोनराड के संगमा के लिए 27 फरवरी को होने वाला विधानसभा चुनाव एक काफी महत्वपूर्ण और चुनौतियों से भरा चुनाव है। भाजपा मेघालय में एनपीपी के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा रही, लेकिन फिलहाल अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ रही है। मेघालय के गारो हिल्स में तुरा स्थित अपने निवास पर कोनराड संगमा ने पिछले पांच वर्षों में उनकी पार्टी के प्रदर्शन के बारे में द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की चुनौती के अलावा भाजपा के साथ ठंडे रिश्ते पर खुलकर अपने विचार रखे।

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के इंटरव्यू के कुछ प्रमुख अंश:

सवाल – विपक्ष के साथ-साथ सहयोगी दलों ने भी पिछले पांच वर्षों से एनपीपी पर निशाना साधा है …

जवाब – लोकतंत्र में सबकी अपनी आवाज होती है। लेकिन यह बहुमत की आवाज है जो मायने रखती है। आलोचकों को यह कहने का अधिकार है कि वे क्या कह रहे हैं। लेकिन वे बहुमत की आवाज नहीं हैं। हम सब कुछ हल करने का दावा तो नहीं करते, लेकिन हमारे मन में और यहां तक ​​कि जनता के मन में भी संतोष का भाव है। जब हमने सत्ता संभाली थी तब मेघालय प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से एक था। आज पांच साल के मामले में हम सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से एक हैं। पिछले 15 साल में करीब 700 किलोमीटर सड़कें बनीं, जबकि पिछले पांच साल में हमने 2000 किलोमीटर सड़कें बनाईं। हमारे पचास फीसदी बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ था, लेकिन तीन से चार साल में हम दूसरे…तीसरे…रैंक पर हैं। अगर यह एंटी-इनकंबेंसी है, तो मुझे नहीं पता कि एंटी-इनकंबेंसी की परिभाषा क्या है।

सवाल – क्या आप टीएमसी को खतरा मानते हैं?

जवाब – हर विरोधी एक योग्य प्रतिद्वंद्वी है। मैं किसी को भी हल्के में नहीं लेता, चाहे वह भाजपा हो या टीएमसी या कोई भी छोटी पार्टी। बता दें कि टीएमसी कांग्रेस से निकली है। कांग्रेस आधे में बंट चुकी है। टीएमसी से फिर चार से पांच विधायक निकल गए हैं। अब उनके पास गिने-चुने विधायक रह गए हैं। अगर आप 2018 में कांग्रेस से इसकी तुलना करें तो टीएमसी अभी काफी कमजोर है। कांग्रेस एक मजबूत, एकजुट विपक्ष थी और अब राजनीतिक परिस्थितियों के कारण वे (विपक्ष) बंटे हुए हैं।

सवाल – लेकिन डॉ. मुकुल संगमा बहुत लोकप्रिय हैं…

जवाब – डॉ. मुकुल लंबे समय से राजनीति में हैं और वे एक वरिष्ठ नेता हैं…इसमें कोई शक नहीं है। लोगों ने वह सब काम देखा है जो वह कर सकते थे या इससे भी महत्वपूर्ण बात, वह काम जो वह नहीं कर सके। साल 2018 में भले ही उन्हें (कांग्रेस को) 21 सीटें मिलीं, वे गठबंधन नहीं कर पाए। क्योंकि लोग डॉ. मुकुल के नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर रहे थे। आज, यह उम्मीद करना कि वे पिछली बार की तुलना में बेहतर कर पाएंगे, अपेक्षा को बहुत अधिक बढ़ा रहा है। जब चुनाव की बात आती है तो यह इतना आसान नहीं होता है।

सवाल – टीएमसी ने हाल ही में आरोप लगाया था कि आपने नस्लीय टिप्पणी की और उन्हें “बंगाली पार्टी” कहा।

जवाब – पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान मैडम ममता बनर्जी जिनके लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है ने कहा कि भाजपा एक ‘बाहरी’ पार्टी थी। मैं उस भाषण का जिक्र कर रहा था। अगर हम मेघालय के लिए समान उदाहरण का इस्तेमाल करें, अगर भाजपा पश्चिम बंगाल के लिए एक ‘बाहरी’ पार्टी थी, तो टीएमसी मेघालय के लिए एक ‘बाहरी’ पार्टी है। जब मैं यह कहता हूं तो इसमें कुछ भी नस्लीय नहीं है। क्योंकि वे पश्चिम बंगाल की पार्टी हैं। अगर उन्हें लगता है कि यह नस्लीय है, तो यह दुखद है। उन्हें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि वे पश्चिम बंगाल से हैं।

सवाल – एनपीपी और भाजपा के बीच अब दुश्मन जैसे संबंधों के बारे में बहुत कुछ कहा जा रहा है। आप अकेले भी चुनाव लड़ रहे हैं…

जवाब – हमने (एनपीपी) हमेशा अपनी शर्तों, अपनी विचारधाराओं के आधार पर चुनाव लड़ा है। जब हम लड़ते हैं, हम लड़ते हैं। बीजेपी हमारे खिलाफ लड़ रही है और हम उनके खिलाफ। यही लोकतंत्र है। लोगों को फैसला करने दीजिए। चुनाव के बाद गठबंधन कुछ ऐसा है जिसे हमने हमेशा खुला रखा है। अगर लोग एनपीपी को जनादेश नहीं देते हैं और इसे गठबंधन करना है, तो राजनीतिक दलों के पास एक साथ बैठने और राज्य और इसके लोगों के लिए एक अच्छी और स्थिर सरकार का पता लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’ के नारे पर पीएम ने कुछ यूं दिया जवाब, देखें वीडियो

सवाल – और बर्नार्ड मारक की गिरफ्तारी? बीजेपी आप पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगा रही है…

जवाब – बर्नार्ड जिस रास्ते पर चल रहा था, उसके बारे में कई शिकायतें मिली थीं। पुलिस ने कानून के अनुसार काम किया। जब एक नाबालिग लड़की ने अदालत को लिखित में दिया कि उसके साथ कई बार बलात्कार किया गया। तभी पुलिस ने अंदर जाकर देखा और तरह-तरह के हथियार, अवैध गतिविधियां पाई गईं… लेकिन पुलिस ने कानून के मुताबिक काम किया। उस पूरे मामले में, एक बार भी ऐसा नहीं हुआ जब मैंने बैठक बुलाई या जिला एसपी को भी यह देखने के लिए बुलाया कि क्या हो रहा है। मैं सिर्फ प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता था। लेकिन इसके बाद भी लोग मुझे दोष देते हैं।

सवाल – असम के साथ आपके सीमा समझौते को लेकर आलोचना होती रही है।

जवाब – इस तरह का फैसला लेने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। वे हमेशा आलोचक रहेंगे। हमें पता था कि हम लंबे समय से लंबित इस मुद्दे को हल करके लोगों को बेहतर स्थिति में ले जा रहे हैं, जो कि सिर्फ इसलिए छोड़ दिया गया था क्योंकि लोग राजनीतिक रूप से इसे छूने से डरते हैं या क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी उंगलियां जल जाएंगी। बहुत सारे राजनीतिक लोग आए और मुझसे कहा कि ‘ऐसा मत करो’, लेकिन मैंने कहा नहीं। सालों बाद जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं और खुद से सवाल पूछता हूं, ‘क्या मुझे ऐसा करने का पछतावा है?’ खैर, अगर मैंने कुछ नहीं किया होता तो मुझे इसका पछतावा होता।

सवाल – लेकिन क्या मुकरोह में हुई गोलीबारी की घटना प्रक्रिया के दूसरे हिस्से को रोक देगी?

जवाब – कोई सटीक समाधान कभी नहीं होगा, लेकिन हम सबसे बेहतर संभव समाधान की दिशा में प्रयास करेंगे। मुकरोह की घटना दुखी करने वाली और बदकिस्मती थी। इसने इस पूरी प्रक्रिया पर अड़ंगा लगा दिया है। हमें असम और भारत सरकार के साथ चर्चा करने की जरूरत है कि इसे कैसे दूर किया जाए, लेकिन इससे समाधान खोजने का हमारा अंतिम लक्ष्य नहीं बदलना चाहिए।