Lok Sabha Elections: महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी में सीट शेयरिंग को लेकर घमासान मचा हुआ है। एक तरफ जहां शिवसेना यूबीटी ने अपने 17 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है, वहीं प्रकाश आंबेडकर की पार्टी ने 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय कर लिए हैं। ऐसे में अब कांग्रेस पार्टी के अंदर बगावत के सुर नजर आ रहे हैं। मुंबई प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने शिवसेना मुंबई नार्थ वेस्ट सीट से संजय जाधव को टिकट दिए जाने पर आपत्ति जताई है।
संजय निरुपम ने कहा कि आज सुबह शिवसेना यूबीटी ने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। मुंबई की चार सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान हो चुका है और एक पर कल तक कर देंगे। उन्होंने कहा कि 1 सीट कांग्रेस पार्टी को खैरात की तरह दे दी है। मैं इसका विरोध करता हूं। मैं दोनों पार्टी के बीच हुई बातचीत में भी शामिल था। नार्थ वेस्ट के जिस उम्मीदवार को शिवसेना ने टिकट दिया है। उस पर भ्रष्टाचार का आरोप है। उन्होंने कहा कि मैं किसी भी खिचड़ी चोर के लिए चुनाव प्रचार नहीं करूंगा।
कांग्रेस पार्टी ने मुझसे कोई बातचीत नहीं की
कांग्रेस पार्टी को ही टारगेट करते हुए संजय निरुपम ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व ने कई दिनों तक मुझसे कोई चर्चा नहीं की। उन्होंने कहा कि पार्टी न्याय की बात हर तरफ करती है लेकिन अपने ही लोगों पर ज्यादा फोकस नहीं करती है। निरुपम ने कहा कि मैं कई सालों से अपने क्षेत्र के लिए काम कर रहा हूं। लेकिन आलाकमान ने कोई ध्यान नहीं दिया और शिवसेना के सामने हार मान ली। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी के नेतृत्व को दो हफ्ते का समय देता हूं, अगर टाइम रहते कोई फैसला नहीं लिया तो मैं अपने लिए स्वतंत्र रूप से फैसला लूंगा। निरुपम ने यह भी कहा की अब लड़ाई आर-पार की होगी।
महाराष्ट्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता निरुपम ने कहा कि सांगली पर हमारी दावेदारी थी। मगर जिस ढंग से कांग्रेस की सीटों को छीना गया, तो हो सकता है कि शिवसेना का हिडन एजेंडा कांग्रेस पार्टी को समाप्त करना है। प्रकाश आंबेडकर के अलग राह चुनने को लेकर उन्होंने कहा कि वे बड़े नेता हैं। हम चाहते थे कि सभी एकसाथ आएं, लेकिन उनकी मांग कुछ ज्यादा थी। शिंदे गुट में जाने की बात पर उन्होंने कहा कि विकल्प खुले हैं। जब जाएंगे तो पता चल जाएगा।
क्या है खिचड़ी घोटाला?
कोरोना काल के समय बीएमसी ने प्रवासी मजदूरों की सहायता करने के लिए उन्हें खिचड़ी बांटने की योजना चलाई थी। इसके लिए यह तय हुआ था कि जो भी 5000 से ज्यादा पैकेट बनाएगा उसी को ठेका दिया जाएगा। यह कॉन्ट्रेक्ट एनजीओ और चेरिटबल संगठनों को दिया जाना था। साथ ही, यह ठेका उन्हीं को दिया जाना था, जिनके पास किचन और हेल्थ विभाग का सर्टिफिकेट होगा। मगर ऐसे आरोप लगे कि इसमें भी नियमों का पालन नहीं किया गया है और लाइसेंस दे दिए गए। इसी मामले में अमोल कीर्तिकर और सूरज चव्हाण से पूछताछ के लिए समन जारी किया गया है।