मध्य प्रदेश के धार जिले की बदनावर विधानसभा सीट का मुकाबला इस बार दिलचस्प हो गया है। यहां भाजपा और कांग्रेस के दो कट्टर प्रतिद्वंद्वियों ने तीसरी बार एक-दूसरे से मुकाबला करने के लिए पाला बदल लिया है। स्थानीय लोगों की ज़बान पर एक नारा लगतार देखा जा सकता है कि ‘उम्मीदवार वही पर पार्टी नई’। सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा नेता और राज्य के औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और कांग्रेस उम्मीदवार भंवर सिंह शेखावत के बीच है। दोनों नेता राजपूत समुदाय से हैं और 17 नवंबर को होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार एक-दूसरे के सामने हैं। लगभग 2.21 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर राजपूत समुदाय के साथ-साथ आदिवासी और पाटीदार समुदाय के लोग भी चुनाव परिणाम तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
दिलचस्प है मुकाबला
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाने वाले राजवर्धन सिंह दत्तीगांव उन 22 बागी विधायकों में से थे, जिन्होंने 2020 में कांग्रेस छोड़ दी थी और भाजपा में शामिल होने के बाद अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद तत्कालीन कमल नाथ सरकार गिर गई थी। इसके बाद बीजेपी शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में राज्य की सत्ता में लौट आई थी। भंवर सिंह शेखावत ने इस साल 2 सितंबर को सत्तारूढ़ भाजपा छोड़ का साथ छोड़ दिया था और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। अब वह बदनावर में भाजपा उम्मीदवार दत्तीगांव के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने कहा कि इंदौर के रहने वाले भंवर सिंह शेखावत को चुनाव प्रचार के दौरान ही बदनावर क्षेत्र में देखा जाता है लेकिन बड़े पैमाने पर कोरोना के प्रकोप के दौरान वह निर्वाचन क्षेत्र से गायब थे और उन्होंने जनता की पूछताछ करना भी उचित नहीं समझा था। उन्होने आगे कहा कि मेरे कांग्रेस छोड़ने के बाद बदनावर से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस को कोई उपयुक्त स्थानीय उम्मीदवार भी नहीं मिला। शेखावत ने 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के रूप में तत्कालीन कांग्रेस उम्मीदवार दत्तीगांव को 9,812 मतों के अंतर से हराकर बदनावर सीट जीती थी। हालांकि, 2018 के विधानसभा चुनाव में दत्तीगांव ने शेखावत को 41,506 वोटों से हरा दिया था.