मध्य प्रदेश में इस बार कांग्रेस ने पूरा जोर लगा दिया है, पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर भी लंबे समय तक असमंजस की स्थिति बनी रही कांग्रेस के बड़े नेताओं के बीच आपसी मनमुटाव की भी खबरें आईं। कुछ के टिकट काटे गए, कुछ का टिकट पक्का होने के बाद भी पार्टी ने उन्हें आखिरी वक्त में मैदान में नहीं उतारने का फैसला लिया। इसी में एक नाम है व्यापमं घोटाले को उजागर करने वाले डॉक्टर आनंद राय का।
राहुल ने किया था टिकट देने का वादा
व्यापमं घोटाले में व्हिसिलब्लोअर डॉक्टर आनंद राय ने दावा किया है कि राहुल गांधी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट देने का वादा किया था। उन्होंने कहा- ”मुझे विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया गया जबकि राहुल गांधी ने मुझसे वादा किया था। सिर्फ मेरे कारण ही ऐसा हो पाया कि कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना (व्यापमं आरोपी) को टिकट नहीं दिया गया। ”
I have not been given a ticket to fight elections even though Rahul Gandhi had assured me of it. It was only because of me that Congress's Sanjeev Saxena (Vyapam accused) was not given a ticket: Dr Anand Rai, Vyapam whistleblower #MadhyaPradesh pic.twitter.com/k6mP85ohCT
— ANI (@ANI) November 8, 2018
जानकारी के मुताबिक, आनंद इंदौर-5 से चुनाव लड़ना चाहते थे. इसे लेकर कांग्रेस में उनकी बातचीत भी हुई थी. पर राय का दावा है कि पक्का आश्वासन होने के बाद भी आखिरी समय में उनका टिकट काट दिया गया। बता दें कि इंदौर 5 से कांग्रेस ने सत्यनारायण पटेल को टिकट दिया है।
कौन हैं डॉ. आनंद राय?
राय पेशे से डॉक्टर हैं। व्यापमं मामले को उजागर करने का श्रेय उन्हें जाता है। पहली बार उन्होंने ही इस मामले को सार्वजनिक लाया था। वे भाजपा से भी जुड़े रह चुके हैं। फिर बाद में उन्हें इस मामले में व्हिसिलब्लोअर बनाया गया था। राय ने कभी दावा किया था कि उन्होंने इस मामले को उजागर करने के लिए दस हजार से ज्यादा आरटीआई लगाई हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस से टिकट न मिलने की अवस्था में आनंद राय निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भी चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं। इलाके में अच्छी पकड़ के साथ आनंद राय के पास सोशल मीडिया पर भी हमेशा चर्चा में रहते हैं।
[bc_video video_id=”5849842032001″ account_id=”5798671092001″ player_id=”JZkm7IO4g3″ embed=”in-page” padding_top=”56%” autoplay=”” min_width=”0px” max_width=”640px” width=”100%” height=”100%”]
बता दें कि 2013 जुलाई में मध्यप्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले का मामला सामने आया था। खुलासा होने के बाद जांच का जिम्मा अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंपा गया था। फिर इस मामले को उच्च न्यायालय ने संज्ञान में लेते हुए पूर्व न्यायाधीश चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी बनाई, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच कर रहा था। अब मामला सीबीआई के पास है। जांच के दौरान 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इस मामले को लेकर कांग्रेस शिवराज सरकार को कटघरे में खड़ी करती आई है।