मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। चुनावी सरगर्मी के बीच इंदौर जिले की नौ विधानसभा सीटों पर मुख्य उम्मीदवारों के असली नामों पर उनके प्रचलित उपनाम भारी पड़ रहे हैं। सोशल मीडिया से लेकर चुनाव प्रचार और नारों और भाषणों तक उनके ये निकनेम ही छाए हैं।

इंदौर के चुनाव मैदान में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की ओर से उतरे ज्यादातर प्रत्याशी आम जनता के बीच अपने असली नाम से कम और निकनेम से ज्यादा पहचाने जाते हैं। इंदौर-1 के भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय को उनके कई स्थानीय समर्थक ‘बॉस’ कहकर बुलाते हैं। वहीं, इस सीट के मौजूदा कांग्रेस विधायक और उम्मीदवार संजय शुक्ला के लिए ‘संजू भैया’ संबोधन का इस्तेमाल किया जाता है।

‘बाबा’, ‘भाभी’ और ‘चिंटू’ लड़ रहे चुनाव

उम्मीदवारों में शामिल इंदौर-2 के भाजपा विधायक रमेश मेंदोला ‘दादा’, इंदौर-4 की भाजपा विधायक मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ ‘भाभी’ और इंदौर-5 के भाजपा विधायक महेंद्र हार्डिया ‘बाबा’ के नाम से मशहूर हैं। इंदौर-2 में रमेश मेंदोला उर्फ ‘दादा’ का गढ़ ढहाने की कोशिश में जुटे कांग्रेस प्रत्याशी चिंतामणि चौकसे है को लोग उनके उपनाम ‘चिंटू’ चौकसे से ही जानते हैं। इसी तरह, इंदौर-5 में महेंद्र हार्डिया उर्फ ‘बाबा’ के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनावी मोर्चा संभाल रहे सत्यनारायण पटेल ‘सत्तू’ पटेल कहकर पुकारे जाते हैं।

इंदौर की राऊ सीट पर भी उम्मीदवारों के उपनामों का बोलबाला है। राऊ के मौजूदा कांग्रेस विधायक और पार्टी प्रत्याशी जितेंद्र पटवारी को लोग ‘जीतू’ पटवारी कहकर पुकारते हैं। वहीं, उनके खिलाफ खड़े भाजपा उम्मीदवार महादेव वर्मा को ‘मधु’ वर्मा के नाम से जाना जाता है। इंदौर-3 के उम्मीदवारों की बात करें, तो इस क्षेत्र में कांग्रेस के ‘पिंटू’ जोशी और भाजपा के ‘गोलू’ शुक्ला के बीच मुख्य भिड़ंत है। हालांकि, पिंटू का असली नाम ‘दीपक जोशी’ और गोलू का मूल नाम ‘राकेश शुक्ला’ है।

प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल करते समय जोड़ा उपनाम

दीपक जोशी उर्फ पिंटू ने न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा’ से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘मुझे अपने उपनाम पिंटू से पुकारे जाने पर कभी-कभी खुद हंसी आती है। वैसे लोग बड़े प्यार से मेरा उपनाम लेते हैं तो मुझे पिंटू के संबोधन से कोई परेशानी नहीं है।’’ राकेश शुक्ला उर्फ गोलू ने कहा, ‘‘मुझे अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत से ही गोलू के उपनाम से पुकारा जाता रहा है। मुझे यह उपनाम अच्छा लगता है क्योंकि यह मुझे मेरे माता-पिता ने दिया है।’’

अधिकारियों ने बताया कि इंदौर में कई प्रत्याशियों ने विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करते समय अपने मूल नाम के साथ उपनाम भी जोड़ा है ताकि मतदाता जब EVM का बटन दबाएं, तो उम्मीदवार की पहचान को लेकर उनमें कोई भ्रम न रहे।