Sanath Prasad

लोकसभा चुनाव से पहले बेंगलुरु में पानी का मुद्दा चर्चा में है। बेंगलुरु को भारत का सिलिकॉन वैली कहा जाता है। यह शहर 50 बिलियन डॉलर का राजस्व देता है। सिल्क बोर्ड जंक्शन से केआर पुरम तक 18 किमी लंबा आईटी कॉरिडोर वाला शहर बेंगलुरु तीन लोकसभा क्षेत्रों में फैला है। यहां बेंगलुरु दक्षिण, मध्य और उत्तर सहित तीन लोकसभा सीट आती है। बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यहां से सांसद भाजपा के पी सी मोहन हैं।

इस बार पीसी मोहन का मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार मंसूर अली खान से है, जो देश भर में दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) चलाने वाले केके एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव हैं। बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट पर 26 अप्रैल को मतदान होना है। महादेवपुरा में लगभग 4.5 लाख मतदाता हैं और आईटी क्षेत्र का केंद्र है। ये बेंगलुरु की आर्थिक सफलता का अभिन्न अंग है। पिछले लोकसभा परिणामों के रुझान से पता चलता है कि इसके अंदर आठ विधानसभा क्षेत्रों में से, महादेवपुरा और सी वी रमन नगर (दोनों एससी-आरक्षित सीटें) में महत्वपूर्ण बढ़त ने हमेशा भाजपा को बेंगलुरु सेंट्रल जीतने में मदद की है। एससी समाज ने यहां बीजेपी को खूब वोट दिया है और इनकी आबादी 16% है।

बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा के अंतर्गत चामराजपेट, शांतिनगर, सर्वज्ञनगर और शिवाजी नगर विधानसभा में मुस्लिम बड़ी संख्या में हैं। यहां कांग्रेस का लक्ष्य बड़ी बढ़त हासिल करने पर है जबकि भाजपा अपने वोट बरकरार रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।

महादेवपुरा और उसके आसपास और मध्य बेंगलुरु के अन्य हिस्सों में बड़े अपार्टमेंट परिसर चुनाव परिणाम निर्धारित करते हैं। इस वित्तीय वर्ष में महादेवपुरा ने टैक्स कलेक्शन में 1,039 करोड़ रुपये का योगदान दिया। हालांकि यह क्षेत्र अन्य मुद्दों के अलावा पानी की कमी, खराब सड़क बुनियादी ढांचे और पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जूझ रहा है। यह भूजल स्तर की कमी के बीच हाल ही में पानी की कमी हो गई, जिसने बाद में अपार्टमेंट परिसरों और निवासियों को पानी के टैंकर अपने खर्च पर लेने पड़े।

हालांकि सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए प्रमुख चुनावी मुद्दा भाजपा शासित केंद्र द्वारा टैक्स वितरण को लेकर राज्य के खिलाफ कथित अन्याय है। महादेवपुरा निवासियों की शिकायत है कि राज्य सरकार अपने द्वारा इकठ्ठा किए गए टैक्स का पर्याप्त हिस्सा वापस नहीं ले रही है। महादेवपुरा में रहने वाले एक टेक प्रोफेशनल प्रसाद एम ने इस बात पर असंतोष व्यक्त किया कि कैसे राज्य सरकार महादेवपुरा जैसे क्षेत्रों से टैक्स इकठ्ठा कर इसका उपयोग मुफ्त सुविधाओं के लिए करती है।

टेक प्रोफेशनल ने कहा, “यह देखना निराशाजनक है कि कांग्रेस सरकार महादेवपुरा जैसे क्षेत्रों से टैक्स के माध्यम से अपनी मुफ्त वाली योजनाओं को फाइनेंस कर रही है। जिस तरह कांग्रेस केंद्र पर टैक्स वितरण पर कर्नाटक के साथ अन्याय करने का आरोप लगाती है, उसी तरह महादेवपुरा में हम निराश महसूस करते हैं, क्योंकि हम टैक्स में इतना योगदान करते हैं और फिर भी क्षेत्र की सड़क बुनियादी ढांचे और जल प्रणाली खराब हो रही हैं।”

प्रसाद ने यह भी कहा कि कांग्रेस उम्मीदवार मंसूर नौसिखिया हैं। वह एक नया चेहरा हैं जिन्हें इस क्षेत्र के लोग धीरे-धीरे जान रहे हैं, जो एक चुनौती है। हालांकि, गृहिणी स्वरा मनोज को लगता है कि राज्य सरकार की पांच गारंटी योजनाएं इस साल कांग्रेस को बढ़त दिलाएंगी। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि महिला मतदाता कांग्रेस की ओर झुकेंगी, जिससे उसे बढ़त मिलेगी। हालांकि सभी महिलाओं को इन योजनाओं से लाभ नहीं मिला है, लेकिन पूरे निर्वाचन क्षेत्र में फैली लो इनकम की कई महिलाएं अपने जीवन को आसान बनाने के लिए कांग्रेस का समर्थन करेंगी। खासकर वह गृह लक्ष्मी और शक्ति योजनाओं का समर्थन करेंगी। इसके अलावा चुनावी बांड और कर्नाटक के साथ टैक्स शेयर अन्याय ऐसे मुद्दे हैं जो धीरे-धीरे मतदाताओं के बीच चर्चा का विषय बन रहे हैं।”

कुछ मतदाताओं का मानना ​​है कि मेट्रो रेल कार्यों (चरण 2A, चरण 3), उपनगरीय रेलवे परियोजना, केंद्र द्वारा डिजिटल बुनियादी ढांचे (यूपीआई, बैंकिंग, आदि) का काम भाजपा के पक्ष में काम करेगा। एक टेक विशेषज्ञ संगप्पा मिश्रा ने कहा, “कांग्रेस के घोषणापत्र में श्रमिक वर्ग के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने केवल नकद प्रोत्साहन समेत मुफ्त सुविधाओं का वादा किया है। इस प्रकार का शासन केवल मध्यम वर्ग को प्रभावित करेगा, जिसके लिए भाजपा ने डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार किया है, बैंकिंग को और अधिक अच्छा बनाया है, जबकि मेट्रो और उपनगरीय रेल परियोजनाएं भी चल रही हैं। हालांकि हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार निर्माण प्रक्रिया में तेजी लाएगी। राज्य सरकार ने अभी तक बेलंदूर और वर्थुर झीलों को पुनर्जीवित करने के लिए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) के निर्देश को लागू नहीं किया है, जो पूर्वी बेंगलुरु की पानी की जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण हैं।”

26 वर्षीय सिद्धांत सिम्हा ने कहा, “मैं अपना वोट डालते समय कई कारणों पर विचार करूंगा। मोहन ठीक नहीं हैं, जबकि मंसूर अली खान एक मजबूत चुनौती देने वाले की तरह दिखते हैं। फिर भी राम मंदिर, यूसीसी और अनुच्छेद 370 जैसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाए और हल किए गए मुद्दों के कारण इस बार मेरा वोट भाजपा को जाएगा।”