Loksabha Elections Results 2019: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे की तरफ से साफ किया गया है कि सीएम ने चुनावी माहौल के बीच बेटे वैभव के प्रचार के लिए थोड़ा ही समय दिया था। गहलोत के करीबियों ने रैलियों और जन सभाओं से जुड़े कुछ दस्तावेज भी पेश किए। दावा किया कि सीएम ने समूचे सूबे में प्रचार के दौरान कुल 104 जन सभाएं और रैलियां की थीं, जिनमें सिर्फ 11 उनके बेटे के समर्थन में थीं।
सीएम के खेमे ने मंगलवार (28 मई, 2019) को यह स्पष्टीकरण उन आरोपों पर दिया, जिसमें कहा गया कि चुनाव प्रचार के दौरान गहलोत का पूरा ध्यान बेटे के इर्द-गिर्द ही था, जिसकी वजह से राज्य में आम चुनाव में पार्टी को भारी खामियाजा भुगतना पड़ा।
बता दें कि हाल ही में निपटे लोकसभा चुनाव में राजस्थान से कांग्रेस का क्लीन स्वीप हुआ है। बीजेपी ने चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर कब्जा जमाया है। वह भी तब, जब पिछले साल के अंत में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार से सत्ता छीन ली थी।
चुनावी नतीजों के दो दिन बाद शनिवार (25 मई, 2019) को नई दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई थी। पार्टी अध्यक्ष ने उसमें कथित तौर पर चुनाव में कांग्रेस के ढीले प्रदर्शन के लिए ऐसे नेताओं पर हार का ठीकरा फोड़ा था, जिन्होंने चुनाव में पार्टी के बजाय बेटों और रिश्तेदारों पर ध्यान दिया। हालांकि, उस दौरान राहुल ने किसी भी नेता का नाम नहीं लिया था, पर कहा जा रहा है कि उनकी ये बातें सीधे तौर पर गहलोत और कमलनाथ सरीखे नेताओं के संदर्भ में थीं।
‘एनडीटीवी’ की एक रिपोर्ट में सीएम के करीबी सूत्रों के हवाले से ताजा मामले में बताया गया, “गहलोत ने चुनावी माहौल के बीच बेटे के प्रचार के लिए कुछ ही समय निकाला था।” सूत्रों के अनुसार, सीएम गहलोत पर हार का अधिकतर दोष डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थकों की ओर से मढ़ा गया था।
वहीं, सीएम से जुड़े करीबी सूत्रों ने बताया कि चुनाव प्रचार के दौरान उनकी जनसभाओं को लेकर ‘अफवाहें’ फैलाई गई थीं। गहलोत ने समूचे राजस्थान में लगभग 104 रैलियों और जन सभाओं को संबोधित किया था। इनमें से 11 जोधपुर में थीं, जो कि उनका गढ़ माना जाता है और वहीं से उनके बेटे वैभव गहलोत चुनाव हारे हैं।
सूत्रों ने रैलियों और बैठकों से जुड़े कागज दिखाते हुए कहा, “सीएम 25 में 22 कांग्रेसी उम्मीदवारों के नामांकन के लिए साथ गए थे। हर संसदीय क्षेत्र में उन्होंने कम से कम तीन बार दौरे किए। सिर्फ जोधपुर में उन्होंने 11 बैठकें कीं और 14 मार्च से चार मई के बीच चुनाव प्रचार के तहत 52 दिनों में वह नौ दिन वहां पहुंचे।”