Loksabha Elections 2019: दलित नेता उदित राज कांग्रेस में चले गए। पिछले चुनावी मौसम में वह बीजेपी में आए थे। फरवरी 2014 में उन्‍होंने अपनी इंडियन जस्‍टिस पार्टी का विलय बीजेपी में कर लिया था। मार्च में वह नॉर्थ वेस्‍ट दिल्‍ली लोकसभा क्षेत्र के उम्‍मीदवार घोषित कर दिए गए। मोदी लहर में करीब एक लाख वोट के अंतर से जीत भी गए। इस बार उम्‍मीदवारी अंत समय तक अटकी रही और आखिरकार सिंंगर हंस राज हंस के नाम हो गई। अगले दिन (24 अप्रैल, 2019 को) उदित राज कांग्रेस के हो गए। पार्टी में शामिल होते ही कहा कि कांग्रेस ने जो किया था, बीजेपी ने सब खत्‍म कर दिया। 23 अप्रैल को टिकट कटने की स्‍थिति में बीजेपी छोड़ने की धमकी दी थी और कटने के बाद कहा था- मैं भाजपा का अनुशासित सिपाही हूं।

उदित राज ने अपनी पहचान दलितों के लिए आवाज उठाने वाले नेता के रूप में बनाई। लेकिन, 2016 में उना (गुजरात) में दलितों पर हुए हमले के वक्‍त जब सारे देश में गुस्‍सा था, तब उनकी आवाज दबी हुई थी। हमला करने वालों का संबंध बीजेपी की सहयोगी शिवसेना से बताया गया था। तब राज ने एक अखबार में लिखा था- दलितों के दमन और उनके खिलाफ हिंसा को किसी सरकार या दल विशेष से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता। तब उन्‍होंने यह भी कहा था- मैं इन गोरक्षकों से शर्मिंंदा हूं। मैं यह देख कर शर्मिंदा हूं कि दलितों के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक हो रहा है और ऐसा उनके अपने धर्म के लोग ही कर रहे हैं। पर उस समय दलितों को उनकी बयानबाजी या गुस्‍सा दिखाने से ज्‍यादा ठोस एक्‍शन की उम्‍मीद थी। लुटियंस दिल्‍ली में उनके आलीशान बंगले में कई राज्‍यों के दलित उनसे मिलने आए थे। वे चाहते थे कि राज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल कर दलितों पर हमले का मुद्दा उठाएं। लेकिन, वह कोई ठोस कदम उठाने में मजबूर ही दिखे।

उदित राज को उनके माता-पिता ने राम राज नाम दिया था। 2001 में बौद्ध धर्म अपनाने के बाद उन्‍होंने अपना नाम उदित राज रख लिया था। वह इलाहाबाद के सिरसा गांव में बड़े हुए। बचपन से ही घर में पिता के हाथों मां का उत्‍पीड़न (मार-पीट) देखा। थोड़ा बड़ा होने पर इसके खिलाफ आवाज भी उठाई। लाला राम लाल अग्रवाल इंटर कॉलेज और बाद में इलाहाबाद विश्‍विद्यालय में पढ़ते हुए भी दबे-कुचले लोगों के लिए आवाज उठाना जारी रखा। खुद ऊंची जाति की लड़की सीमा बहल से शादी की। नेशनल अकेडमी ऑफ डायरेक्‍ट टैक्‍सेस में रेवेन्‍यू सर्विस अफसर के तौर पर ट्रेनिंंग के दौरान दोनों की मुलाकात हुई थी। शादी का किस्‍सा बयां करते हुए वह कई मौकों पर बता चुके हैं कि जब सीमा को उन्‍होंने अपने दलित होने के बारे में बताया तो उनका सवाल था- यह क्‍या होता है? इस सवाल से ही मोहित होकर राज ने सीमा से शादी का फैसला कर लिया।

उदित राज ने 2003 में इंडियन जस्‍टिस पार्टी बनाई। लेकिन, बीजेपी में आने और सांसद बनने के बाद दलितों की समस्‍याओं को लेकर वह उतने मुखर और सक्रिय नहीं दिखे। उन्‍होंने खुद बयां किया है- कुछ सांसद मुझे कहते हैं कि जब मैंं बीजेपी में नहीं था तो कहीं ज्‍यादा निडर था। मैं उनसे कहता हूं कि आज भी मैं आक्रामक छवि रखता हूं। पर बीते पांच सालों में उनके किसी एक्‍शन से उनकी यह बात सच साबित होती नहीं दिखी। रोहित वेमुला खुदकुशी केस हो या उना, कर्नाटक और देश के किसी हिस्‍से में दलितों पर हुए अत्‍याचार का मामला, एक्‍शन तो दूर, उदित राज का बयान भी नपा-तुला ही दिखा। बीजेपी या मोदी सरकार के खिलाफ उन्‍होंने खुल कर भड़ास 24 अप्रैल को कांग्रेस में जाने के बाद ही निकाली।