Lok Sabha Election 2019: बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट इस बार सबसे चर्चित सीटों में शुमार हो गई है। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार सीपीआई के टिकट से यहां चुनावी मैदान में डटे हैं। इससे मुकाबला त्रिकोणात्मक हो गया है। भाजपा ने दोबारा कमल खिलाने के लिए फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को उतारा है तो राजद ने तनवीर हसन पर दांव खेला है। 2014 के चुनाव में भाजपा के भोला सिंह यहां से जीते थे। 3 लाख 69 हजार 892 मत हासिल कर दूसरे स्थान पर राजद के तनवीर हसन रहे थे। वैसे इस सीट से कुल दस उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं जिनकी किस्मत का फैसला 19 लाख 58 हजार 382 मतदाता 29 अप्रैल को करेंगे।

भूमिहार बहुल बेगूसराय संसदीय सीट से कांग्रेस अब तक नौ बार जीत चुकी है। 1980 से 2014 तक हुए दस चुनाव के नतीजों पर गौर करने पर पता चलता है कि नौ बार भूमिहार उम्मीदवार की ही जीत हुई है। मसलन, 1952, 1957 और 1962 में कांग्रेस के मथुरा प्रसाद सिंह, 1971 में श्यामनंदन मिश्र, 1980, 1984 और 1991 में भी कांग्रेस की कृष्णा शाही, 1998 और 1999 में कांग्रेस के राजो सिंह जीते। 1967 में सीपीआई के योगेंद्र शर्मा और 1996 में रमेंद्र कुमार ने जीत दर्ज की। 1977 में जनता पार्टी से श्यामनंदन मिश्र जीते। 1989 में जनता दल के ललित विजय सिंह, 2004 में जदयू के राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, 2009 में जदयू के मोनाजिर हसन जीते। बेगूसराय में पहली दफा भाजपा का कमल 2014 में भोला सिंह ने खिलाया। तनवीर हसन को इन्होंने 56 हजार मतों से हराया था। तीसरे स्थान पर रहे सीपीआई के राजेन्द्र प्रसाद सिंह को 1 लाख 92 हजार 639 मत मिले थे।

बेगूसराय संसदीय सीट सात विधानसभा क्षेत्र वाली है। ये विधान सभा सीटें हैं चेरिया बरियारपुर, बछवाड़ा, तेघड़ा, मटिहानी, साहेबपुर कमाल, बेगूसराय और बखरी। यहां जातीय समीकरण के ख्याल से भाजपा ने नवादा से लाकर गिरिराज सिंह को खड़ा किया है। मगर कन्हैया कुमार और ये दोनों भूमिहार जाति से आते हैं। जानकार बताते हैं कि यहां भूमिहारों के करीब पौने पांच लाख वोट हैं। ढाई लाख मुस्लिम, डेढ़ लाख यादव और दो लाख कुर्मी-कोयरी मतदाता भी हैं। पिछड़े और अतिपिछड़े व दलित और महादलित मतदाता हार-जीत में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

राजद के तनवीर हसन को माई समीकरण का भरोसा है। वहीं कन्हैया कुमार जात-पात से ऊपर उठकर मुस्लिम मतदाताओं में सेंध लगाने की पुरजोर कोशिशों में जुटे हैं। इस क्रम में उनके लिए फिल्म जगत की हस्तियां जावेद अख्तर, शबाना आजमी, प्रकाश राज, स्वरा भास्कर, बीएचयू के प्रोफेसर, जेएनयू के प्रोफेसर, इनके साथी स्टूडेंट, गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी बगैरह वोट मांग रहे हैं। शायद इसी का असर है कि कन्हैया के साथ नौजवानों का झुंड बगैर जातपात का भेद किए चल रहा है।

उधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गिरिराज सिंह की जीत के लिए हेलिकॉप्टर से कई चक्कर लगाकर सभाएं की हैं। वहीं तनवीर हसन के लिए तेजस्वी यादव कई सभाएं कर उनकी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं। मगर जातीय जटिलताओं में नेताओं ने बुनियादी समस्याएं भुला दी हैं। किसानों, नौजवानों के मुद्दे, पीने के पानी की किल्लत इनके लिए कोई मुद्दा नहीं है। बावजूद इसके लोकतंत्र को मजबूत करने के नाम पर सोमवार को मतदाता वोट देकर अपनी ड्यूटी पूरी कर लेंगे पर समस्याएं वहीं की वहीं रह जाएंगी।