Lok Sabha Election 2019: मुम्बई में 26/11 के आतंकी हमले में शहीद हुए पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे के बारे में दिये गये अपने विवादित बयान पर चारों ओर से आलोचना से घिरने के बाद मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी और भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने माफी मांगते हुए अपना बयान वापस ले लिया है। हालांकि, एक टीवी चैनल पर हेमंत करकरे से जुड़े सवाल पूछने पर साध्वी तमतमा गईं और तीसरा सवाल सुनते ही ईयरफोन निकाल दिया। टीवी पैनल से उठ गईं।
टीवी9 भारतवर्ष पर एंकर ने उनसे पूछा, “हेमंत करकरे को पूरा देश शहीद के तौर पर जानता है। उन्हें अशोक चक्र मिला। उन हेमंत करकरे के लिए आपने जिस तरह के शब्द का इस्तेमाल किया, ये सब एक शहीद के लिए कहना लगता नहीं कि शर्मिंदगी वाला बयान है?” इस पर साध्वी ने कहा, “ऐसा है कि किसी को भी द्विपक्षीय बातें नहीं करनी चाहिए। मैं एक ही बात कहूंगी कि जिस व्यक्ति को मैंने प्रत्यक्ष झेला है, उसके बारे यदि मैंने कहा है, तो उसकी सत्यता पता करनी चाहिए। दूसरी बात मेरा ये कहना है कि जो भी देशभक्ति का दमन करेगा, आतंकवाद से मरेगा।”
एंकर ने दूसरा सवाल पूछा, “वो देशभक्त थे। वो देश के लिए गोलियां खाए। जिस शख्स को देश ने एक जांबाज के तौर पर देखा, उसे आप देशद्रोही कहती हैं, उन्हें हिंदू विरोधी कह एक जामा पहनाती हैं और साथ में खुद को देशभक्त कहती हैं। आपने ऐसा क्या किया कि आप देशभक्त हो गईं और जो देश के लिए शहीद हुआ, वो हिंदू विरोधी हो गया? देशद्रोही हो गया और उसका सर्वनाश हो गया?”
इस सवाल पर प्रज्ञा ने कहा, “आप मुझसे ये प्रश्न न करें। मैंने जो कहा है, वह मैंने झेला है। जो व्यक्ति झेलता है, उससे अच्छा कोई नहीं जानता है। कानून के अंतर्गत गैरकानूनी काम करने वाला वो था, ये मैंने स्वंय झेला है। इससे ज्यादा मैं और क्या कहूं। इतनी गंदी गालियां देता था वो मुझे, इतनी भयानक गालियां देता था, वो मैं कैमरे के सामने नहीं बोल सकती। तब मैं एक ही बात कहती थी कि जा, अपनी बेटी से पूछ कि ये क्या होता है? क्या कहोगे आप इसको? था कोई इसका कानून? ये क्या कानून था कि मुझे 13 दिनों तक गैरकानूनी तरीके से रखा गया।”
उन्होंने आगे कहा, “ये कानून का रक्षक है क्या? किस प्रकार की बात करते हैं? हमारी संवेदना, संवेदना नहीं होती? कौन सी संवेदना, संवेदना होती है? ऑम्ले जब शहीद हुआ तो क्यों उसे पुरस्कार नहीं दिया गया? अगर वो ऑम्ले नहीं नहीं होता तो कसाब पकड़ा नहीं गया होता और दिग्विजय सिंह जैसे लोग हमें आतंकी सिद्ध कर देते। इसलिए प्रश्न समाज से करिए। प्रश्न कांग्रेसियों से करिए। ये समाज, ये देश उनको उत्तर देगा।”
एंकर ने पूछा, “ये सही है प्रज्ञा सिंह अगर आपके साथ टार्चर हुआ तो आप अदालत में अपनी बात कहती। कोर्ट जाती। देश में प्रधानमंत्री मोदी, राजनाथ सिंह, महाराष्ट्र सरकार आपकी शुभचिंतक है। आप इन तमाम दरवाजों को खटखटातीं। लेकिन आज चुनाव के वक्त आप ऐसी कहानियां सुना रही हैं, और साथ में आप करकरे को देशद्रोही कह रही हैं। आपको यदि कांग्रेस से शिकायत थी तो आप कहिए। आपको हक है कहने का। लेकिन कांग्रेस से शिकायत के नाते आप हेमंत करकरे के लिए कह रही हैं, तो मुझे लगता है कि इसके लिए आपको एक बार सोचना चाहिए कि आप उन लाखों-करोड़ों लोगों की भावनाओं के साथ भी खिलावाड़ कर रही हैं चुनावी फायदे के लिए, जिन्होंने करकरे को शहीद माना है।” इस सवाल को सुनने के बाद साध्वी ने ईयरफोन अपने कान से निकाल दिया और उठ कर चली गईं।
भोपाल से 45 किलोमीटर दूर बैरसिया में मंच से साध्वी ने अपना विवादित बयान वापस लेते हुए इसके लिये क्षमा मांगी है। साध्वी की सहयोगी उपमा ने फोन पर साध्वी के बयान वापस लेने के सवाल पर उनके हवाले से कहा हां, उन्होंने (साध्वी प्रज्ञा) कहा, ‘‘ क्योंकि मैं (प्रज्ञा) किसी समय इमोशनल (भावुक) हो गयी थी। मैं (प्रज्ञा) रो रही थी। इसलिये मेरे (प्रज्ञा के) मुख से जो निकला, उसके लिये क्षमा मांगती हूं।’’ उपमा ने कहा कि साध्वी ने खुले मंच से माफी मांगते हुए कहा कि उनके बयान से किसी कि भावना को ठेस पहुंची है या कष्ट हुआ है तो वह माफी मांगती हैं। उपमा ने इस बारे में लिखित नोट जारी किये जाने से इंकार किया।
इससे एक दिन पहले बृहस्पतिवार शाम को भोपाल उत्तर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक में मुम्बई एटीएस के तत्कालीन प्रमुख हेमंत करकरे पर यातना देने का आरोप लगाते हुए प्रज्ञा ने कहा था, ‘‘मैंने उन्हें (करकरे) सर्वनाश होने का शाप दिया था और इसके सवा माह बाद आतंकवादियों ने उन्हें मार दिया।’’
प्रज्ञा ने बृहस्पतिवार को लालघाटी क्षेत्र में भोपाल उत्तर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक में दिवंगत मुंबई एटीएस प्रमुख का नाम लेते हुए कहा था, ‘‘मैं उस समय मुंबई जेल में थी। जो जांच बैठाई गयी थी..सुरक्षा आयोग के सदस्य ने हेमंत करकरे को बुलाया और कहा था कि जब सबूत नहीं है तुम्हारे पास तो साध्वीजी को छोड़ दो। सबूत नहीं है तो इनको रखना गलत है, गैरकानूनी है। वह व्यक्ति (करकरे) कहता है कि मैं कुछ भी करूंगा, मैं सबूत लेकर के आऊंगा। कुछ भी करूंगा, बनाऊंगा करूंगा, इधर से लाऊंगा, उधर से लाऊंगा लेकिन मैं साध्वी को नहीं छोड़ूंगा।’’
साध्वी ने हिरासत के दौरान यातना देने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘इतनी यातनाएं दीं, इतनी गंदी गालियां दीं जो असहनीय थी मेरे लिए। मेरे लिए नहीं किसी के लिए भी। मैंने कहा तेरा सर्वनाश होगा। ठीक सवा महीने में सूतक लगता है। जब किसी के यहां मृत्यु होती है या जन्म होता है। जिस दिन मैं गई थी उस दिन इसके सूतक लग गया था। ठीक सवा महीने में जिस दिन इसको आतंकवादियों ने मारा उस दिन सूतक का अंत हो गया।’’
प्रज्ञा ने कहा, ‘‘यह उसकी कुटिलता थी। यह देशद्रोह था, यह धर्मविरुद्ध था। तमाम सारे प्रश्न करता था। ऐसा क्यों हुआ, वैसा क्यों हुआ? मैंने कहा..मुझे क्या पता भगवान जाने। तो क्या ये सब जानने के लिए मुझे भगवान के पास जाना पड़ेगा। मैंने कहा कि बिल्कुल। अगर आपको आवश्यकता है तो अवश्य जाइए। आपको विश्वास करने में थोड़ी तकलीफ होगी, देर लगेगी। लेकिन मैंने कहा तेरा सर्वनाश होगा।”
वर्ष 2008 में मालेगांव बम विस्फोट मामले में प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए कानून) के तहत मामला अदालत में विचाराधीन है। हालांकि, इस मामले में मकोका के तहत उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी है। गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने मुंबई के कई स्थानों पर हमले किए थे। उसी दौरान करकरे और मुंबई पुलिस के कुछ अन्य अधिकारी शहीद हुए थे। बता दें कि भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के खिलाफ भाजपा ने कट्टर हिन्दुत्व छवि की साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। भोपाल लोकसभा सीट के लिये 12 मई को मतदान है।

