Lok Sabha Elections 2024: 18वीं लोकसभा के लिए देश मतदान करने के लिए तैयार है। चुनाव आयोग तारीखों की घोषणा कर चुका है। लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे। 19 अप्रैल से पहला चरण शुरू होगा, जबकि अंतिम चरण की वोटिंग 1 जून को होगी। परिणाम 4 जून को आएंगे। ऐसे में प्रत्याशियों के नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
ऐसे में हम आपको बताएंगे कि लोकसभा चुनाव लड़ने वाली प्रत्याशी कैसे अपनी उम्मीदवारी सुनिश्चित करने के लिए नामांकन दाखिल करते हैं। चुनाव आयोग इन प्रत्याशियों से कौन-कौन सी जानकारी मांगता है।
डीएम होते हैं मुख्य निर्वाचन अधिकारी-
लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद हर जिले में चुनाव की घोषणा होती है। नामांकन प्रक्रिया के दौरान कलेक्टर प्रेस नोट जारी करके सभी को सूचित करते हैं। जिसके बाद उम्मीदवार जिलाधिकारी कार्यालय में डीएम के समक्ष नामांकन दाखिल कर सकते है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि चुनाव के दौरान जिले के कलेक्टर को ही मुख्य निर्वाचन अधिकारी माना जाता है।
निर्वाचन अधिकारी की देखरेख में उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल करते हैं। किसी भी चुनाव के दौरान जिलेवार स्तर पर जिले का कलेक्टर ही चुनाव की कमान संभालता है। नामांकन दाखिल करके ही उम्मीदवार चुनाव आयोग के समक्ष अपनी उम्मीदवारी सुनिश्चित करते हैं।
दस्तावेजों की जांच के बाद तय होती है उम्मीदवारी
चुनाव में नामांकन पत्र दाखिल होने के बाद चुनाव आयोग उम्मीदवार के सभी दस्तावेजों की जांच करता है। अगर आयोग को किसी भी दस्तावेज में कुछ भी संदिग्ध लगता है तो चुनाव आयोग उस प्रत्याशी की उम्मीदवारी भी निरस्त कर सकता है। प्रत्याशी चुनाव मैदान में तभी वोट मांगने के लिए प्रचार-प्रसार कर सकते हैं, जब उनकी उम्मीदवारी चुनाव आयोग रजिस्टर्ड घोषित कर दे। जिसके बाद जनता प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला अपना अमूल्य मत देकर करती है।
मतदाता सूची में नाम होना जरूरी-
लोकसभा चुनाव की तारीखों के घोषणा के साथ ही नामांकन पत्र भरने के प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है। इसके तहत कोई भी भारतीय नागरिक लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरकर चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी कर सकता है। इसके लिए शर्त होती है कि उसका नाम वोटर लिस्ट में अनिवार्य रूप से मौजूद होना चाहिए।
देश की राजनैतिक पार्टियां अपने उम्मीदवार घोषित करती है और अपने सिंबल पर चुनाव मैदान में उतारती हैं। इसे ही पार्टी का टिकट मिलना भी कहते हैं। नामांकन के दौरान प्रत्याशी पार्टी (दल) के सिंबल के साथ नामांकन पत्र जमा करते हैं, जिसके बाद इलेक्शन कमीशन उनको उसी संबंधित पार्टी का चुनाव चिह्न देता है।
उम्मीदवार ऐसे जमा कर सकते हैं नामांकन
लोकसभा चुनाव की घोषण के बाद इलेक्शन कमीशन ने देश के हर भाग में अलग-अलग लोकसभा सीटों के लिए निर्वाचन पदाधिकारी और ऑर्ब्जवर्स नियुक्त किए हैं। कोई भी प्रत्याशी जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंच कर अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं। नामांकन के साथ ही उम्मीदवारों को एक निर्धारित जमानत राशि भी चुनाव आयोग के समक्ष जमा करनी होती है।
चुनाव अधिकारी के अनुसार, कोई भी प्रत्याशी नामांकन पत्र जमा करने की प्रक्रिया के दौरान सीमित वाहनों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके साथ ही साथ इन वाहनों को निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से 100 मीटर पहले ही खड़ा करने का आदेश रहता है। इस दौरान निर्वाचन अधिकारी की अनुमति के बिना कोई भी उम्मीदवार ढोल-नगाड़े का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
प्रत्याशी को शपथ पत्र में देनी होती है सभी जानकारियां-
उम्मीदवार को नामांकन पत्र जमा करते समय एक नोटरी स्तर पर बना शपथ पत्र भी जमा करना होता है। प्रत्याशी को इस शपथ पत्र में अपने आय-व्यय के ब्यौरा से लेकर हर एक जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है। साथ ही सुनिश्चित करना होता है कि उसकी दी हुई हर एक जानकारी सही है। इस दौरान प्रत्याशी को पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, पैन कार्ड, मूल निवास, जाति प्रमाण पत्र की फोटोकॉपी जैसे दस्तावेज चुनाव आयोग देने होते हैं।
चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा भी देना होता
सांसद बनने से पहले प्रत्याशी को नामांकन पत्र में अपनी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा, पत्नी और और अगर आश्रित बच्चें हैं तो उनकी भी आय-व्यय एवं लोन की सारी जानकारी देनी पड़ती है।
हथियार, जेवर और शैक्षणिक योग्यता की जानकारी देना भी जरूरी-
उम्मीदवार के पास कितने हथियार हैं, कितना जेवर है, शैक्षणिक योग्यता जैसी जानकारी भी प्रस्तुत करनी होती है। कमाई के साधनों को भी नामांकन पत्र में बताना होता है। इसके अलावा उम्मीदवार पर कितने आपराधिक मामले दर्ज हैं? कितने मामले में कोर्ट केस चल रहा है? और कितने केसेस में सजा हुई है, ऐसी जानकारी भी बतानी होती है। इन सभी मामलों की जानकारी शपथ पत्र के जरिए देनी होती है।
स्क्रूटनी और नामांकन पत्र वापस लेने की प्रोसेस काफी अहम
जब प्रत्याशी नामांकन पत्र दाखिल कर देते हैं। इसके बाद चुनाव आयोग प्रत्याशियों द्वारा दी गई हर जानकारी की बारीकी से जांच करते हैं। इस पूरे प्रोसेस को स्क्रूटनी कहा जाता है। नामांकन के बाद नाम वापसी के लिए भी आयोग कुछ दिन निर्धारित करता है। इस समय तक उम्मीदवार अगर चाहे तो चुनाव से अपना नाम वापस भी ले सकता है।
चुनाव आयोग के मुताबिक, नामांकन पत्र को सही भरा जाना चाहिए, अगर नॉमिनेशन पेपर्स में कुछ भी गलती निकलती है तो ऐसे नामांकन पत्र को अवैध मान कर उम्मीदवारी भी निरस्त कर दी जाती है।
स्क्रूटनी में सब सही पाए जाने पर प्रत्याशी को अपनी मर्जी से नाम वापस लेने का भी समय मिलता है। इसके लिए प्रत्याशी को एक एफिडेविट में घोषणा पत्र देना होता है। इसमें नाम वापसी की जानकारी देनी होती है, फिर वेरिफिकेशन के बाद चुनाव आयोग प्रत्याशी का नाम वापस कर देता है। इन सभी प्रक्रियाओं के बाद उम्मीदवार चुनाव मैदान अपने भाग्य का फैसला आजमाने के लिए उतर सकता है।