Lok Sabha Election Results 2019 में दिल्ली वालों ने विधानसभा चुनाव से ठीक आठ महीने पहले में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी बड़ा झटका दे दिया है। आप के सात उम्मीदवारों में से कोई भी भगवा तूफान के सामने टिक नहीं पाया। बड़ी बात यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत करने वाली आम आदमी पार्टी वोट शेयर के मामले में भी तीसरे नंबर पर खिसक गई। आप को दिल्ली में महज 18.1 फीसदी वोट मिल पाए। वहीं भाजपा 56.5 फीसदी के साथ पहले और कांग्रेस 22.5 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर रही।

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आप का गढ़ रहा है दिल्लीः विधानसभा चुनाव 2015 में  आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 67 पर जीत हासिल कर इतिहास रचा था। साल 2012 में अस्तित्व में आने के बाद से लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन देखा गया। साल 2013 के विधानसभा चुनाव में जब आप सिर्फ एक साल पुरानी थी तब उसे 29.5 फीसदी वोट मिले थे, जो 2015 में बढ़कर 54 फीसदी हो गए। इसके बाद साल 2017 में हुए एमसीडी चुनाव (नगर निगम) में बुरी तरह से विफल रही और केवल 26 फीसदी वोट ही बटोर सकी।

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शिक्षा-स्वास्थ्य के मुद्दों पर किया कैंपेनः दिल्ली में साल 2020 की शुरुआत में चुनाव होंगे। ऐसे में लोकसभा चुनाव के नतीजे अपने पक्ष में न होने से आप बैकफुट पर है। इसके सात उम्मीदवारों ने अपने अभियानों को अपनी सरकार के कामकाज पर फोकस किया था। इनमें शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कार्य प्रमुख रूप से शामिल हैं।

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ये थे प्रमुख वोट बैंकः 67 विधानसभा सीटें जीतने के बाद आप ने यह दावा करना शुरू कर दिया कि राजधानी में जेजे क्लस्टर, अवैध कॉलोनियां, अनुसूचित जाति, मुस्लिम और पूर्वांचली- इनके वोट सबसे ज्यादा अहम थे। आप नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान इन वर्गों को बड़े पैमाने पर केंद्र में रखा।

अच्छी छवि ने दिलाई थी जीतः साल 2015 में आप की जीत का कारण लोगों के बीच उनकी अच्छी छवि थी। हालांकि चुनावी वादों को निभाने में असफल रहने, केंद्र के साथ तकरार के साथ-साथ अपारदर्शिता के कई आरोप लगे। इनका नुकसान आम आदमी पार्टी को उठाना पड़ा। यहीं नहीं केजरीवाल की कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोशिशों ने भी उनके समर्थकों को निराश किया।

भाजपा के संपर्क में पार्टी विधायकः लोकसभा चुनाव के दौरान आप के दो नेता भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने दावा किया था कि आप के 14 विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। ऐसे में दिल्ली में आप के सामने अपनी सरकार को बरकरार रखने की चुनौती है। पार्टी में कुछ असंतुष्ट नेता हैं, इसमें कुछ ऐसे नेता भी शामिल हैं जिन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया था। लोकसभा चुनाव में हारने के बाद अब आप के पास दिल्ली में दोबारा सत्ता में आने के मेहनत के लिए केवल आठ महीने का समय है।