Lok Sabha Election 2019 में टिकट कटने के बाद बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने एक ब्लॉग लिखा है। इसमें उन्होंने लिखा, ‘मैं गंभीरतापूर्वक चाहता हूं कि हम सभी को मिलकर भारत की लोकतांत्रिक छवि को मजबूत करने के लिए संयुक्त प्रयास करना चाहिए। चुनाव लोकतंत्र का त्योहार होते हैं। इसके साथ ही यह लोकतंत्र के स्तंभों की समीक्षा के लिए अवसर भी होता है। इनमें राजनीतिक दल, मीडिया, चुनाव कराने वाली संस्थाएं और सबसे ऊपर मतदाता भी शामिल हैं।’
उल्लेखनीय है कि बीजेपी ने इस बार गांधीनगर लोकसभा सीट से आडवाणी की जगह पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को मैदान में उतारा है। इसके बाद पहली बार आडवाणी का ब्लॉग सामने आया है। इसे उन्होंने, ‘नेशन फर्स्ट, पार्टी नेक्स्ट, सेल्फ लास्ट’ (सबसे पहले देश, फिर पार्टी, अंत में स्वयं) का शीर्षक दिया है।
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बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में शुमार रहे आडवाणी को इस बार टिकट नहीं मिल पाया है। वे छह बार गांधीनगर सीट से सांसद रह चुके हैं। उन्होंने लिखा, ‘लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा हमेशा से बीजेपी के लिए गर्व का विषय रही है। भारतीय लोकतंत्र में विविधता के सम्मान और अभिव्यक्ति की आजादी की खास जगह है। बीजेपी में इसकी शुरुआत से ही कभी भी असहमति जताने वालों को दुश्मन नहीं समझा गया, उन्हें सिर्फ प्रतिकूल माना गया है। इसी तरह भारतीय राष्ट्रवाद की अवधारणा में हमने असहमति जताने वालों को देशद्रोही नहीं समझा। पार्टी हमेशा से प्रत्येक नागरिक को व्यक्तिगत और राजनीतिक स्तर पर विकल्प चुनने की आजादी की पक्षधर रही है। बीजेपी हमेशा से ही मीडिया समेत सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं की आजादी, गरिमा और पारदर्शिता की रक्षा की पक्षधर रही है।’
उन्होंने लिखा, ‘बीजेपी के लिए हमेशा से चुनावी सुधार खासतौर से राजनीतिक और चुनावी चंदे में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति प्राथमिकता पर रही है। संक्षेप में कहें तो सत्य, राष्ट्र निष्ठा, लोकतंत्र (पार्टी के अंदर और बाहर दोनों तरफ) ने मेरी पार्टी का मार्गदर्शन किया है। इन सभी मूल्यों का योग ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और सु-राज है जिसके लिए हमेशा मेरी पार्टी संघर्ष किया है।’