प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना पांच साल का कार्यकाल लगभग पूरा कर चुके हैं। पीएम एक बार फिर जनता के बीच पहुंच चुके हैं और दूसरे कार्यकाल के लिए मौका मांगने के लिए देशभर में चुनावी सभा कर रहे हैं। विपक्ष जहां पीएम मोदी पर उनके पिछली बार के चुनावी वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगा रहा है, वहीं पीएम मोदी विकास का राग अलापते हुए विपक्षी कांग्रेस पर हमलावर हैं। इस दौरान विपक्ष भी पीएम मोदी की आलोचना करने और उनकी गलतियों को जनता रके बीच भुनाने में पीछे नहीं है। जानते हैं पीएम मोदी के 10 ऐसे काम जो लोग भुलाए नहीं भूलेंगे।
नोटबंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 की रात आठ बजे नोटबंदी की घोषणा की थी। पीएम ने इसकी घोषणा करते हुए उस समय के प्रचलन में मौजूद 500 और 1000 के करेंसी नोटों की वैधानिक मान्यता खत्म कर दी थी। यह कदम काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उठाया गया था। इस घोषणा के बाद लोग कई महीनों तक बैंकों में पुराने नोट जमा कराने के लिए कतारों में लगे थे। हालांकि, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की फाइनल रिपोर्ट में 99.3 फीसदी पैसा बैकों में वापस आने की बात कही गई है। विपक्ष ने इसे बिना सोचे समझे उठाया गया कदम बता रहा है और आरोप लगा रहा है कि इसकी वजह से देश की आर्थिक रफ्तार थम गई, जीडीपी पिछड़ गई, लोगों की नौकरियां चली गईं।
जीएसटी: जीएसटी मोदी सरकार के बड़े फैसलों में से एक थी। इसे 1 जुलाई 2017 को आधी रात से लागू किया गया था। इसके जरिए सरकार ने वैट, एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स जैसे विभिन्न करों की जगह एक ही टैक्स जीएसटी लगाने की व्यवस्था की और ‘वन नेशन, वन टैक्स’ की बात कह जनहित में प्रचारित किया। मगर सरकार की ब्रांडिंग के बाद संबंधित जटिलताओं के कारण धीरे-धीरे इसकी खामियां भी सामने आने लगीं।
जिस तरह इसे लागू किया गया उससे यह छोटे व मझोले कारोबारियों के लिए परेशानी का सबब बन गया। सरकार की तरफ से व्यापारियों की परेशानी को हल करने के लिए कई कदम भी उठाए गए। इन सब के बावजूद अभी भी कर की दरों संबंधी जटिलताएं, कर चोरी और कर अधिकारियों की मनमानी का बातें अक्सर सामने आ रही हैं। विपक्षी कांग्रेस जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स कहती रही है और आरोप लगाती रही है कि इससे छोटे, मझोले उद्योग बंद पड़ गए और नौकरियों का अकाल पड़ गया।
स्वच्छता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी के जंयती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत एक आंदोलन के रूप में की थी। आंदोलन की विधिवत शुरुआत करते हुए खुद पीएम ने अपने हाथों से झाड़ू लगाया। तब देश-विदेश में मोदी का इसके लिए डंका बजा। इसका उद्देश्य आसपास की सफाई के साथ ही देश को खुले में शौच की आदत को खत्म करना था। सरकार ने इसके लिए खेल, फिल्म, समाजसेवा, बिजनेस, राजनेता समेत अन्य लोगों को स्वच्छता का दूत बनाया। मोदी सरकार की इस पहल का असर देखने को मिला। लोगों में काफी हद तक स्वच्छता को लेकर जागरुकता देखने को मिल रही है।
आंकड़ों की बाजीगरी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर एक आरोप जो लगातार लगता रहा है वह आंकड़ों की बाजीगरी का है। विपक्ष का कहना है सरकार विकास दर और रोजगार के आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ कर रही है। सरकार पर झूठे और मनगढ़ंत आंकड़े पेश करने का भी आरोप है। वहीं सरकार की तरफ से बेरोजगारी के आंकड़े नहीं जारी किए जाने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। इस बीच मुद्रा योजना के आंकड़ों पर भी सवाल खड़े हो गए। सरकार के पास काले धन संबंधी आंकड़े नहीं होने से विपक्ष को हमलावर होने का मौका मिला है।
बीजेपी में एकमुश्त सीनियर्स को किनारे करना: साल 2014 के आम चुनाव के बाद न केवल देश में राजनीतिक स्थितियां बदली हैं बल्कि खुद भाजपा में भी परिस्थितियां बदल गई हैं। पार्टी में सीनियर्स नेता धीरे-धीरे हाशिए पर चले गए। बात चाहे पार्टी संस्थापकों में शामिल लालकृष्ण आडवाणी की हो या फिर मुरली मनोहर जोशी की।
इस सूची में कलराज मिश्र, करिया मुंडा, प्रेम कुमार धूमल, बीसी खंडूरी, शांता कुमार की स्थिति को देखते हुए यह बात ठीक भी प्रतीत होती है। पार्टी में 75 साल के ऊपर के नेताओं के चुनाव लड़ने पर अघोषित रोक भी इसी तरफ इशारा करते हैं। ‘पार्टी विद डिफरेंसेस’ कहलाने वाली भाजपा पर अब आरोप लग रहे हैं कि वह ‘वन मैन शो एंड टू आर्मी पार्टी’ बनकर रह गई है। यानी भाजपा में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ही सबकुछ रह गई है।
उज्ज्वला, जनधन, मुद्रा, शौचालय, गरीबों को मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीब महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना शुरू की। इसमें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले उन परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन मुफ्त में दिए गए जिनकी महिलाएं कई सालों से लकड़ी व अन्य जलावन पर खाना बनाने को मजबूर थीं। इसके साथ ही बिना किसी गारंटी के मुद्रा लोन योजना से भी लोगों को अपना कारोबार शुरू करने में मदद मिली। प्रधान मंत्री जनआरोग्य योजना को भी गरीबों के लिए बहुत महत्वपूर्ण कदम बताया गया।
मॉब लिंचिगः पीएम मोदी के कार्यकाल में भीड़ हिंसा या मॉब लिंचिंग की कई घटनाएं देखने को मिली। ये घटनाएं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेकर देश के अलग-अलग कोनों में देखने को मिलीं। पिछले 4 साल में मॉब लिंचिग के 134 मामले हो चुके हैं। वहीं गोरक्षा के नाम पर भी हिंसा के मामले हुए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2014 से लेकर 2018 तक गोरक्षा के नाम पर हिंसा के 85 मामले आ चुके हैं। इन घटनाओं में 34 लोगों की जान गई।
पांच साल में एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहींः पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने पांच साल के कार्यकाल में एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की। इतना ही नहीं उन्होंने विदेश दौरों में पीएम के साथ मीडिया के ले जाने की परंपरा को भी खत्म कर दिया। पीएम मोदी ने सिर्फ चुनिंदा ही इंटरव्यू दिए हैं।
पूर्व पीएम वाजपेयी की शव यात्रा में पैदल घंटों चलना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम व भारत रत्न अटल बिहारी की शव यात्रा में पैदल चल कर भाजपा संस्थापक को अपनी तरफ से सम्मान दिया। पीएम ने शव यात्रा में पैदल चल कर पार्टी के दिग्गज नेता का सम्मान का अनोखा उदाहरण पेश किया था। शव यात्रा में पीएम के पीछे-पीछे हजारों लोगों का हुजूम चल रहा था।
रिकॉर्ड विदेशी दौरे और राष्ट्राध्यक्षों से मिलने का अनोखा अंदाजः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल में रिकॉर्ड संख्या में विदेशी दौरों के लिए जाने जाएंगे। सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार पीएम ने साल 2014 से 2018 के बीच 84 देशों की यात्रा की। पीएम की यात्रा पर 1484 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसके साथ ही पीएम का विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के साथ गर्मजोशी से गले मिलने की तस्वीरें लंबे समय तक लोगों के जेहन में ताजा रहेंगी।
एससी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटा: भाजपा शाहबाने मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने को लेकर राजीव गांधी सरकार को सवालों के घेरे में खड़ी करती थी। हालांकि, मोदी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट को लेकर खुद सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया। इसके अलावा पीएम पर तीन तलाक समेत कई मुद्दों पर अध्यादेश का सहारा लिया। उन पर आरोप लगे कि जब संसद सत्र चल रहे थे तब उसे अंधेरे में रखकर अध्यादेश लाया गया।
10 लाख रुपये का सूटः कांग्रेस के अनुसार पीएम मोदी के 10 लाख रुपये के सूट को कौन भूल सकता है। पीएम ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मुलाकात के दौरान इस सूट को पहना था। इस सूट पर लंबी धारियां थीं जिसमें इनका पूरा नाम नरेंद्र दामोदर दास मोदी लिखा था। सोशल मीडिया पर यह सूट काफी चर्चित हुआ था। बाद में इसे सूरत के हीरा कारोबारी ने 4.31 करोड़ रुपये में खरीदा था। पीएम देश के अलग-अलग हिस्सों में वहां की परिधान को पहनने को लेकर भी चर्चा में रहें। अपने कपड़ों को लेकर पीएम मोदी काफी सेलेक्टिव थे।
