Lok Sabha Election 2019: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की आलोचना पर जेल भेजे गए मणिपुर के टीवी पत्रकार किशोर चंद्र वांगखेम को रिहा कर दिया गया है। सोमवार (आठ अप्रैल, 2019) को हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्हें छोड़ा गया। वांगखेम ने सोशल मीडिया पर पीएम और उनकी पार्टी के खिलाफ कुछ पोस्ट्स लिखे थे, जिसे लेकर वह नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) के तहत गिरफ्तार कर लिए गए थे।
39 वर्षीय टीवी पत्रकार को एनएसए के तहत धरा गया था, जिसकी बीते साल दुनिया में कई जगहों पर आलोचना भी हुई थी। पत्नी रंजीता ने मार्च में कोर्ट में कहा था कि हिरासत में पति का इलाज चल रहा है और वह कई गंभीर शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।
पत्रकार को जेल भेजने के फैसले का बचाव करते हुए मणिपुरी सरकार ने दावा किया कि वांगखेम को इसलिए गिरफ्तार किया गया, ताकि राज्य में सुरक्षा व्यवस्था पर कोई असर न पड़े। दरअसल, इससे पहले एक वीडियो सामने आया था, जिसमें कथित तौर पर उस पत्रकार ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को पीएम मोदी की ‘कठपुतली’ करार दिया था।
पत्रकार ने इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा राजधानी इंफाल में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती मनाने की आलोचना भी की थी। वांगखेम का आरोप था कि रानी झांकी का मणिपुर से कोई लेना-देना नहीं था, फिर वहां पर उनकी जयंती मनाने का क्या मतलब है?
पत्रकार ने इसके अलावा अपने फेसबुक पोस्ट्स में लिखा था, “धोखा मत दीजिए, मणिपुर के स्वतंत्रता सेनानियों को बेइज्जत न करें।” वांगखेम के परिवार ने एनएसए के तहत उन्हें पकड़े जाने के बाद मणिपुर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
वहीं, कांग्रेस चीफ राहुल गांधी ने भी पत्रकार की गिरफ्तारी की कड़ी आलोचना की थी। पत्रकार को लिखे पत्र में उन्होंने कहा था, “राज्य के तंत्र द्वारा विभिन्न मत और विचार रखने वालों को चुप किए जाने की एक और कोशिश है। पिछले कुछ महीनों से हम बीजेपी सरकार के उस रवैये के गवाह हैं, जिसके तहत मणिपुरवासियों के संवैधानिक अधिकारों को दबाया गया।”
बता दें कि 11 अप्रैल को पहले चरण के तहत सूबे में मतदान होना है, उससे पहले वांगखेम को रिहा किए जाने के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं।