Lok Sabha Election 2019:  कुंभ 2019 स्वच्छता को लेकर देश-विदेश में सुर्खियों में रहा, लेकिन मेला क्षेत्र से सटे मधवापुर और पुराना बैरहना मोहल्ले की सीवर लाइनें पिछले छह महीने से खराब है। प्रशासन ने अभी तक इस ओर ध्यान नहीं दिया। इन मोहल्ले के लोगों ने अपना आक्रोश व्यक्त करने के लिए आगामी चुनाव में नोटा का बटन दबाने की ठानी है। क्षेत्र के पूर्व पार्षद दिनेश गुप्ता (छेदी) ने पीटीआई भाषा को बताया, ‘भले ही प्रधानमंत्री स्वच्छता की बात करते हैं और घर-घर शौचालय बनवाने पर जोर देते हैं, लेकिन जिन घरों में पहले से शौचालय है, वहीं गंदगी दूर नहीं हो रही है।’ उन्होंने कहा, ‘यह हाल तब है जब पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक भाजपा से हैं। हमने कई बार महापौर और नगर आयुक्त से इस जन समस्या की शिकायत की, लेकिन वे इसका ठीकरा गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई पर फोड़ देते हैं। लोगों ने खुद आकर आगामी चुनाव में नोटा का बटन दबाने की ठानी है।’

मोदी का स्वच्छता अभियान केवल नारा भरः गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक पी.के. अग्रवाल ने मधवापुर और पुराना बैरहना क्षेत्र में सीवर लाइन की समस्या के बारे में पूछे जाने पर बताया, ‘हमने नमामि गंगा के तहत इस बारे में दिल्ली पत्र भेजा है। धन आवंटित होते ही इस पर काम शुरू होगा।’ पुराना बैरहना निवासी मंगला जायसवाल ने बताया, ‘पिछले कई महीने से गलियों में सीवर लाइन का पानी इकट्ठा हो रहा है जिससे मच्छर पैदा हो रहे हैं। अगर ज्यादा दिनों तक यह समस्या बनी रही तो हम खुले में शौच जाने के लिए मजबूर होंगे।’

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उन्होंने कहा, “यह समस्या तब है जब शहर से तीन-तीन मंत्री (उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी) हैं और खुद महापौर भाजपा से हैं। मोदी का स्वच्छता अभियान इनके लिए केवल नारा भर है।’ उल्लेखनीय है कि कुंभ मेले में दो मार्च को एक साथ 10,000 से अधिक सफाई कर्मियों ने झाड़ू लगाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में प्रयागराज का नाम दर्ज कराया था। जहां पूरे मेला क्षेत्र में 1,20,000 से अधिक शौचालय स्थापित किए गए थे, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सफाईकर्मियों के पांव पखारकर उन्हें सम्मानित किया था।

जेसीबी से खुदाई से सीवर में मलबा गिराः स्थानीय लोगों का आरोप है कि कुंभ मेले की तैयारी के दौरान जेसीबी से खुदाई के कारण सीवर में मलबा गिर गया जिससे वह चोक हो गया। इसके लिए मेला प्रशासन जिम्मेदार है। मेलाधिकारी विजय किरण आनंद से इस बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘गंगा प्रदूषण नियंत्रण की परियोजनाओं के लिए कुंभ के फंड से धन खर्च नहीं किया गया था, इसलिए अधिशेष कोष होने के बावजूद हम इसके लिए धन आवंटित नहीं कर सकते।’ नगर आयुक्त और मंडलायुक्त से फोन पर कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन जहां नगर आयुक्त का सीयूजी नंबर बंद पाया गया। वहीं, मंडलायुक्त का नंबर नहीं भी उठा।

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