Lok Sabha Election 2019 के लिए वोटिंग अब सिर्फ एक रात बची है। गुरुवार (11 अप्रैल) को देशभर में पहले चरण की वोटिंग शुरू हो जाएगी। इससे पहले एक चुनाव प्रचार और वोट मांगने का एक अनोखा मामला सामने आया है। दरअसल श्रीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे बीजेपी प्रत्याशी खालिद जहांगीर देश की राजधानी नई दिल्ली में आकर वोट मांग रहे हैं। दिल्ली में रहने वाले कश्मीरी पंडित उस समय चौंक गए जब श्रीनगर में चुनाव लड़ रहा प्रत्याशी उनके दर पर वोट मांगने पहुंच गया। जहांगीर ने कश्मीरी पंडितों से मुलाकात की और उन्हें पार्टी के वादों के प्रति भरोसा भी दिलाया।

90 के दशक में आतंक से परेशान होकर छोड़े थे घरः 1990 के दशक में निशाना बनाए जाने से डरकर अपनी जमीन छोड़ आए करीब 4 हजार कश्मीरी पंडित आज भी वापसी के इंतजार में हैं। महबूबा मुफ्ती से लेकर नरेंद्र मोदी तक कई राजनेताओं ने उन्हें भरोसे दिए हैं लेकिन उनकी वापसी, पुनर्वास और सुरक्षा अब भी सुनिश्चित नहीं हो पाई है। ऐसे में लोकतंत्र के इस महापर्व पर कई हजार लोग अपने अधिकार से वंचित रह जाते हैं। 30 साल पहले कश्मीर छोड़ने वाले इन लोगों के पास आज भी वहां वोट देने का अधिकार है लेकिन व्यापक स्तर पर उनकी उपेक्षा ही होती रही है। यह शायद पहली बार ही हुआ है जब कोई श्रीनगर से दिल्ली आकर वोट मांग रहा है।

अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन करते कश्मीरी पंडित (एक्सप्रेस फोटो)

40 हजार से ज्यादा कश्मीरी पंडित हैं दिल्ली मेंः चिंता करने वाली बात यह है कि जागरूकता के अभाव में कभी 40 से ज्यादा कश्मीरी पंडितों ने राष्ट्रीय राजधानी में रहते हुए वोट नहीं डाला। उल्लेखनीय है कि ज्यादातर कश्मीरी पंडित प्रवासियों के लिए बने एम-फॉर्म होता है। इस संबंध में चुनाव आयोग को एक डेडलाइन बढ़ाने के लिए एक आवेदन भी भेजा गया था।

यूं चौंक गए कश्मीरी पंडितः श्रीनगर में 18 अप्रैल को दूसरे चरण में मतदान होगा। इससे पहले जहांगीर ने सिलसिलेवार कई बैठकें कीं। 13 फरवरी 1990 को कश्मीर के आतंक से परेशान होकर राकेश राजदान श्रीनगर के गन्पत्यार से दिल्ली चले आए थे। तब उन्होंने अपना वोटर आइडी कार्ड सरेंडर नहीं किया था। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के शालीमार गार्डन में रह रहे राजदान ने कहा, ‘मैंने कश्मीर में रहने का अधिकार और वोट देने का अधिकार कभी नहीं खोया था। न ही अब तक घाटी के किसी नेता ने हमारे बारे में सोचने की कोशिश की। मैं एक पढ़े-लिखे आदमी को इस तरह से हमारी शिकायतों की सूची बनाते देखकर हैरान रह गया। वह वाजिब लग रहा था।’

घाटी के बडगाम में कश्मीरी पंडितों के लिए बने 200 घर (एक्सप्रेस फाइल)

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रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली में बसे कश्मीरी पंडित इस बात से भी खुश हैं कि आखिरी इतने सालों बाद किसी ने उनकी सुनी तो सही, उनके दर पर आकर बात तो की। उनका कहना है, ‘यहां बसे इस समुदाय के लोग कश्मीर के लिए मतदान को बेहद उत्सुक हैं। कश्मीर उनकी पहचान है। जहांगीर ने उन्हें घाटी में कुछ समय रूकने के लिए भी कहा। उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय के लिए राजनीति निष्क्रियता को लेकर भी निराशा जाहिर की।

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कुछ लोगों ने यह भी कहा कि वे उनके घर पर किसी कश्मीरी प्रत्याशी के आने से खुश तो हैं लेकिन साथ ही वे यह भी कहते हैं कि अब काफी देर हो चुकी है। उनका कहना है कि एम-फॉर्म जमा करने की तारीख निकल चुकी है और हर बार की तरह उन्हें फिर से चुनाव आयोग का रूख करना पड़ेगा। लोगों का कहना है कि जहांगीर ने कोई बड़ी घोषणाएं नहीं कीं लेकिन अनौपचारिक बातचीत के दौरान उन्होंने वे कश्मीर से पलायन कर चुके लोगों के लिए कुछ करने की कोशिश करेंगे और उचित मंचों पर उनकी बात रखने की कोशिश करेंगे, भले ही चुनाव में हार मिले या जीत।

उल्लेखनीय है कि बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की बात का जिक्र किया है। पेशे से एक इंटरनेशनल न्यूज चैनल के पत्रकार रह चुके खालिद जहांगीर ने 2014 में ही बीजेपी ज्वॉइन की थी। जम्मू में हुई चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उन्हें उम्मीदवार बनाने की घोषणा की थी। उनका मुकाबला कश्मीर के दिग्गज नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला से होगा। जहांगीर को कई तरह की धमकियां भी मिल चुकी हैं। वे कहते हैं कि कश्मीरी पंडितों से मिलने का उनका मकसद था कि वे उन्हें बता सकें कि बीजेपी धर्म से परे जाकर उनकी फिक्र करती है।

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