केंद्र की एनडीए सरकार में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने मंगलवार (18 दिसंबर) की शाम भाजपा को सीट शेयरिंग पर चेतावनी दी थी, अब 48 घंटों के अंदर फिर से लोजपा ने दो नए दांव चले हैं। इससे भाजपा पर प्रेशर बढ़ गया है। सूत्रों के मुताबिक लोजपा संसदीय दल के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के सांसद बेटे चिराग पासवान ने न केवल बिहार में लोकसभा चुनाव में सात सीटें देने की मांग की है बल्कि केंद्रीय वित्त मंत्री को खत लिखकर नोटबंदी से हुए नफा-नुकसान की जानकारी भी मांगी है। इससे पहले लोजपा बिहार में सम्मानजनक सीटें देने की ही बात कर रही थी लेकिन पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद से लोजपा के रुख में बदलाव महसूस किया जा रहा है। बता दें कि 2014 में लोजपा ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा था , इनमें से छह पर जीत दर्ज की थी।
बता दें कि जब से बिहार में सीट बंटवारे के मुद्दे पर नीतीश कुमार और अमित शाह के बीच बातचीत हुई है और बराबर-बराबर सीटों पर लड़ने का एलान हुआ है, तब से एनडीए के अन्य सहयोगी दल नाराज चल रहे थे। उस वक्त कहा गया था कि लोजपा चार सीटों पर लड़ेगी और उसे असम से एक राज्यसभा सीट दी जाएगी क्योंकि रामविलास पासवान चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे। उधर, रालोसपा अधिक सीटों की मांग कर रही थी लेकिन उसे दो सीटें ही ऑफर की जा रही थीं, इससे नाराज उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा एनडीए से नाता तोड़कर आज (20 दिसंबर) ही महागठबंधन में शामिल हो गई। बिहार के राजनीतिक हलकों में चर्चा इसकी भी है कि पासवान भी जल्द एनडीए से नाता तोड़कर महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं। इस बीच नई दिल्ली में गुरुवार (20 दिसंबर) को महागठबंधन के नेताओं की बैठक हुई। इसमें राजद के तेजस्वी यादव और कांग्रेसी नेताओं के अलावा, उपेंद्र कुशवाहा, शरद यादव और जीतनराम मांझी भी शामिल हुए।
चिराग ने बुधवार को राहुल गांधी की भी तारीफ करते हुए कहा था कि उनमें सकारात्मक बदलाव आए हैं। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने अच्छे तरीके से किसानों और बेरोजगारी के मुद्दे को उठाया, जिसमें वह सफल हो गए जबकि एनडीए धर्म और मंदिरों में उलझी रही। उन्होंने कहा था कि एनडीए नेताओं से आग्रह करता हूं कि केवल विकास के मुद्दे पर ध्यान दें। नोटबंदी पर लिखी चिट्ठी में भी चिराग ने विकास के मुद्दे और आम आदमी के सरोकार के मुद्दे उठाए हैं। उन्होंने जानकारी मांगने के पीछे तर्क दिया है कि चुनावों के दौरान वो जनता को बता सकेंगे कि सरकार ने उनके लिए क्या कदम उठाए हैं।
अक्सर चुनावों से पहले राजनीतिक पाला बदलने के लिए मशहूर रामविलास पासवान को राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहा जाता है। भाजपा की तरफ नजरें टेढ़ी करने से इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या फिर से रामविलास पासवान पाला बदल सकते हैं? 2014 में लोकसभा चुनाव से ऐन पहले पासवान ने यूपीए छोड़कर एनडीए का दामन थाम लिया था। इससे पहले वो 2004 में भी एनडीए छोड़कर यूपीए में शामिल हो गए थे। उस वक्त भी केंद्र में यूपीए की नई सरकार में वो मंत्री बनाए गए थे। हालांकि, जब रामविलास पासवान से सीट बंटवारे पर नाराजगी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कोई नाराजगी नहीं है लेकिन इस बारे में चिराग पासवान ही बात करेंगे।
Union Minister, Ram Vilas Paswan on seat sharing in Bihar: Koi narazgi nahi hai, Chirag Parliamentray Board k chairman hain, wahi is sambandh main baat karenge. pic.twitter.com/SI37YFmRhE
— ANI (@ANI) December 20, 2018

