कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के अध्यक्ष डीके शिवकुमार राज्य के एक बड़े राजनीतिक खिलाड़ी हैं। 10 मई 2023 को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद के दावेदार शिवकुमार ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के साथ एक इंटरव्यू में कई मुद्दों पर बात की। इस दौरान शिवकुमार ने कांग्रेस की संभावनाओं से लेकर पार्टी के सहयोगी और पूर्व सीएम सिद्धारमैया के साथ उनकी सत्ता की लड़ाई, कुछ असंतुष्ट बीजेपी नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की।
कांग्रेस आलाकमान जो कहेगा, हमें उसी पर चलना होगा- शिवकुमार
हर कोई आपके और सिद्धारमैया के बीच खींचतान की बात कर रहा है? पार्टी में यह शक्ति संघर्ष वास्तव में क्या है? इस सवाल के जवाब में डीके शिवकुमार ने कहा, “ऐसा कुछ नहीं है। आलाकमान जो भी कहेगा, हमें उसका पालन करना होगा। अभी हमारी प्राथमिकता कांग्रेस पार्टी को सत्ता में लाना है। यह व्यक्ति से अधिक महत्वपूर्ण है। पहले पार्टी, फिर हम। आलाकमान जो भी कहेगा, हमें उसी पर चलना होगा। क्या आपको लगता है कि इस सत्ता संघर्ष की चर्चा और रिपोर्ट का पार्टी पर कोई असर पड़ेगा?”
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि इसके बारे में कौन बात कर रहा है? कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और बीजेपी। कोई रस्साकशी या सत्ता संघर्ष नहीं है। मैं किसी से लड़ना नहीं चाहता। मैं बीजेपी से लड़ना चाहता हूं और उन्हें हराना चाहता हूं।
बीजेपी कर्नाटक की सत्ता में वापसी नहीं करेगी- डीके शिवकुमार
आने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आत्मविश्वास क्या कारण हैं? इस सवाल के जवाब में डीके शिवकुमार ने कहा, कर्नाटक में प्रशासन पूरी तरह से चरमरा गया है। आम आदमी तो छोड़िए बीजेपी के अपने नेता भी नहीं मान रहे हैं कि बीजेपी कर्नाटक की सत्ता में वापसी करने जा रही है। पार्टी को खड़ा करने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि अब पार्टी सत्ता में नहीं आ सकती और खेल से बाहर हो गई है। कई नेता पार्टी चाहते थे। फिर आम जनता उन पर कैसे भरोसा करेगी?”
कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जब मैडम सोनिया गांधी द्वारा मुझे केपीसीसी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, तब स्थिति अलग थी। मैंने लगभग 1,000 दिनों तक बिना ठीक से सोए कड़ी मेहनत की है। लोग हमें बहुत विश्वास और सम्मान देते हैं। मुझे लगता है कि कड़ी मेहनत का भुगतान होगा।
कई भाजपा नेताओं को कांग्रेस ने नहीं किया शामिल
बीजेपी के दलबदलु नेताओं को कांग्रेस में शामिल करने के सवाल पर कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष ने कहा, “पांच-छह मंत्री ऐसे हैं जो कांग्रेस में शामिल होना चाहते थे लेकिन हमारे पास ज्यादा लोगों के लिए जगह नहीं थी। हम नहीं चाहते थे कि वे शामिल हों। करीब 12 विधायक ऐसे थे जो कांग्रेस में शामिल होना चाहते थे। क्योंकि हमने पहले ही निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी या सर्वेक्षणों से पता चला था कि हमारे उम्मीदवार उन्हें हरा देंगे तो हमने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल नहीं किया।”
हमारे लिए कोई भी अछूत नहीं- डीके शिवकुमार
पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी के कांग्रेस में शामिल होने के सवाल पर शिवकुमार ने कहा, “सावदी के एमएलसी के तौर पर पांच साल बचे हैं। कम से कम दो अन्य एमएलसी हैं जिन्होंने अभी तक अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। अयानुर मंजूनाथ के पास भी समय बचा है, हम उन्हें समायोजित नहीं कर सके, वे भी हमारे साथ जुड़ना चाहते थे।”
शिवकुमार ने कहा, “राजनीति शेयरिंग और केयरिंग से भरी हुई है। कभी-कभी हमें भावनाओं का सम्मान करना पड़ता है। हमारे लिए कोई भी अछूत नहीं है। अगर कोई कांग्रेस के सिद्धांतों और उसके नेतृत्व को स्वीकार करता है, तो हमें उनकी प्रतिभा और उनके द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले तबके का उपयोग करना होगा।”
किसी भी परिस्थिति में BJP में शामिल नहीं हो सकता- KPCC अध्यक्ष
भाजपा में शामिल होने के सवाल पर केपीसीसी अध्यक्ष ने कहा, “मुझसे नहीं हो सकता। किसी भी परिस्थिति में नहीं। मैं कांग्रेस में रहा हूं और कांग्रेस नेतृत्व चट्टान की तरह मेरे साथ खड़ा रहा है। कभी-कभी दर्द होता है लेकिन मेरा मानना है कि हर दर्द का फायदा भी होता है।” JD (S) की भूमिका पर शिवकुमार ने कहा, “जेडी (एस) उन लोगों को समायोजित करने की कोशिश कर रहा है जिन्हें हमारे या भाजपा द्वारा समायोजित नहीं किया गया है। इसके अलावा उनके पास हासिल करने के लिए बहुत कुछ नहीं है। चुनाव के बाद का ऐसा कोई परिदृश्य नहीं हो सकता है जिसमें भाजपा सरकार बनाने के लिए उसका समर्थन लेती है क्योंकि कांग्रेस पूर्ण बहुमत हासिल करने जा रही है।”
आरक्षण नीति चुनाव से पहले सिर्फ चॉकलेट- शिवकुमार
क्या आपको लगता है कि आरक्षण पर राज्य सरकार का नया फैसला पिछड़े वर्ग के वोटों को भाजपा के पक्ष में मजबूत कर सकता है? इस सवाल के जवाब में डीके शिवकुमार ने कहा कि यह आरक्षण नीति चुनाव से पहले सिर्फ चॉकलेट थी। उन्होंने कहा कि कुछ खबरों में कहा गया है कि बीजेपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि वह नई नीति को लागू नहीं करेगी। फिर आरक्षण का सवाल कहां है?