अकरम एम.

कांग्रेस में शामिल होने के एक दिन बाद, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार (Jagadish Shettar) ने मंगलवार को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी एल संतोष (B L Santhosh) पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उनके प्रति वफादार लोगों को कई वरिष्ठ नेताओं की कीमत पर पदोन्नत किया गया।

शेट्टार ने कहा कि बीजेपी को हार का सामना करना पड़ेगा, भले ही संतोष अपने “गेम प्लान” को अंजाम देने में सक्षम हो। छह बार भाजपा विधायक रहे पूर्व सीएम ने कहा, ‘पार्टी (भाजपा) में एक कहावत है कि पार्टी किसी भी व्यक्ति से ज्यादा महत्वपूर्ण है। हालांकि, (इन दिनों) किसी व्यक्ति के प्रति वफादारी पार्टी के प्रति वफादारी से ज्यादा महत्वपूर्ण है। उनके प्रति वफादार लोगों को प्राथमिकता दी गई थी।”

सत्ताधारी दल ने हुबली-धारवाड़ सेंट्रल (Hubli-Dharwad Central) से महेश तेंगिनाकयी (Mahesh Tenginakayi) को मैदान में उतारा है, जिन्हें शेट्टार ने संतोष का “मानस पुत्र” कहा। पूर्व सीएम ने कहा, ”संतोष की प्रतिबद्धता की वजह से उन्हें टिकट मिला है।” शेट्टार ने कहा कि 2018 में जनता के विरोध के कारण तेंगिनाकायी को धारवाड़ के कलघाटगी निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन वापस लेना पड़ा था। आखिरकार सी एम निंबनवार (C M Nimbannavar) बीजेपी के टिकट पर जीते।

पूर्व सीएम ने आरोप लगाया कि संतोष की विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी (Vishweshwar Hegde Kageri) और एस सुरेश कुमार (S Suresh Kumar) जैसे अन्य वरिष्ठ नेताओं को मैदान में नहीं उतारने की योजना थी। लेकिन, कई उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिलने पर झटका लगने के डर से बीजेपी के केंद्रीय नेता इस पर अमल नहीं कर पाए। शेट्टार ने दावा किया कि मैसूर में पूर्व मंत्री एस ए रामदास (S A Ramdas) को टिकट नहीं दिया गया और संतोष के करीबी टी एस श्रीवत्स (T S Srivatsa) को नामांकित किया गया।

आरोपों का जवाब देते हुए, तेंगिनाकायी ने कहा, “संतोषजी एक संघ प्रचारक हैं और बिना किसी इच्छा या आकांक्षा के काम कर रहे हैं। वह पकड़ने और चुनने का काम नहीं करते है। कोई एक व्यक्ति पार्टी में इस तरह के फैसले नहीं ले सकता। निर्णय भाजपा संसदीय बोर्ड ही लेता है।”

शेट्टार के आरोपों ने संतोष को पिछले कुछ चुनावों की तरह फिर से सुर्खियों में ला दिया है। संतोष और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बीच टकराव की बातें पहले होती रही हैं। जब संतोष राज्य इकाई के भाजपा महासचिव (संगठन) थे। चुनाव टिकट बंटवारे के दौरान अक्सर दोनों खेमों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ जाते थे। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, पूर्व में ऐसी अटकलें लगाई जाती रही हैं कि संतोष मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और प्रत्येक जिले में अपने समर्थकों की मंडली तैयार करते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में जैसे ही येदियुरप्पा का राज्य इकाई पर प्रभाव कम हुआ, कर्नाटक के रहने वाले संतोष ने खुद को मुखर करने की कोशिश की। पिछले कुछ चुनावों में जैसे कि 2020 में राज्यसभा चुनाव में संतोष को बढ़त मिली, क्योंकि उन्होंने अपने द्वारा चुने गए उम्मीदवारों के लिए टिकट हासिल किया, जो राज्य के कुछ नेताओं के लिए बहुत दुख की बात थी। आने वाले चुनावों में भी संतोष अपने कई वफादारों को टिकट दिलाने में सफल रहे हैं।