कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के साथ ही सबकी निगाहें कुछ प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों पर टिक गई हैं। आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हुबली-धारवाड़ सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र में लड़ाई और दिलचस्प होने वाली है क्योंकि दो प्रमुख लिंगायत नेताओं के बीच ‘गुरु-शिष्य’ की लड़ाई ने इस सीट पर चुनावी गर्मी बढ़ा दी है। भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव में इस सीट से पार्टी छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन करने वाले जगदीश शेट्टार के खिलाफ महेश तेंगिंकाई को मैदान में उतारा है।

महेश तेंगिंकाई ने 18 अप्रैल को हुबली-धारवाड़ सेंट्रल सीट के लिए अपना नामांकन दाखिल करने से पहले जगदीश शेट्टार से आशीर्वाद मांगा था। तेंगिंकाई ने कहा, “जगदीश शेट्टार मेरे गुरु रहे हैं। यह लड़ाई एक गुरु और उनके शिष्य के बीच है। मुझे विश्वास है कि मेरे गुरु मुझे आशीर्वाद देंगे।”

जगदीश शेट्टार बोले मैं महेश तेंगिंकाई का गुरु नहीं

वहीं, दूसरी ओर न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए जगदीश शेट्टार ने कहा, “मैं न तो महेश तेंगिंकाई का गुरु हूं और न ही वह मेरा शिष्य है। उनके गुरु दिल्ली में हैं और वह दिल्ली में अपने गुरु के वफादार शिष्य हैं। बीएल संतोष उनके गुरु हैं। अपने गुरु के कारण उन्हें टिकट मिला है।” कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने तेंगिंकाई पर पिछले छह से सात महीनों में उनके खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया।

एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देंगे दो प्रमुख लिंगायत नेता

जगदीश शेट्टार ने आगे कहा, “उनका क्या योगदान है? सिर्फ एक पदाधिकारी होना ही काफी नहीं है। हुबली के लोग निर्वाचन क्षेत्र में अपने प्रतिनिधि की भागीदारी चाहते हैं। केवल भाजपा से टिकट हासिल करना काफी नहीं है।” गौरतलब है कि कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं मिलने के बाद भाजपा छोड़ने के एक दिन बाद शेट्टार सोमवार को कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे।

हुबली में लड़ाई और दिलचस्प हो गई है क्योंकि दो प्रमुख लिंगायत नेता एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देंगे। हुबली-धारवाड़ सेंट्रल सीट से जगदीश शेट्टार की जगह लेने वाले भाजपा नेता महेश तेंगिंकाई ने कहा कि पार्टी को अभी भी लिंगायतों का समर्थन प्राप्त है और कुछ नेताओं के बाहर निकलने से कोई फर्क नहीं पड़ता है।