कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के साथ ही सबकी निगाहें कुछ प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों पर टिक गई हैं। आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में हुबली-धारवाड़ सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र में लड़ाई काफी दिलचस्प होने वाली है। दो प्रमुख लिंगायत नेताओं के बीच ‘गुरु-शिष्य’ की लड़ाई ने इस सीट पर गर्मी बढ़ा दी है। भाजपा ने चुनाव में इस सीट से कांग्रेस ज्वाइन करने वाले जगदीश शेट्टार के खिलाफ महेश तेंगिंकाई को मैदान में उतारा है। जगदीश शेट्टार ने हाल ही में बीजेपी से इस्तीफा देकर कांग्रेस जॉइन कर ली थी।

हुबली-धारवाड़ सीट पर दो प्रमुख लिंगायत नेताओं के बीच लड़ाई

BJP से कांग्रेस में आए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार को उनके ही क्षेत्र हुबली-धारवाड़ से टिकट मिल गया है। बीजेपी ने इस बार शेट्टार को टिकट नहीं देने का मन बनाया था, जिससे नाराज होकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी। 6 बार के विधायक शेट्टार ने दिल्ली जाकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी बात की और इच्छा जाहिर की कि वो अपने निर्वाचन क्षेत्र से ही लड़ना चाहते हैं।

हालांकि बीजेपी की दो लिस्ट में उनका नाम नहीं था जिसके बाद उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस ज्वॉइन कर ली। जिसके तुरंत बाद बीजेपी ने एक और लिस्ट जारी कर दी जिसमें उनकी सीट से महेश तेंगिंकाई को टिकट दिया गया। गौरतलब है कि 224 सीट वाली कर्नाटक विधानसभा के लिए 10 मई को मतदान होगा और चुनाव के नतीजे 13 मई 2023 को आएंगे।

हुबली धारवाड़ सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सबब बन गई है। यही वजह है कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी को खासतौर से यहां की जिम्मेदारी दी गई है। जगदीश शेट्टार हुबली धारवाड़ सीट से लगातार छह बार जीत हासिल कर चुके हैं। भाजपा भी जानती है हुबली धारवाड़ में शेट्टार के सामने टिकना आसान नहीं है इसीलिए फिलहाल पार्टी ने पूरा फोकस इसी सीट पर कर दिया है।

2018 के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी बीजेपी

2018 के चुनाव में भाजपा राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, इस बार मुश्किल ये है कि पार्टी को चुनाव से पहले ही बगावत का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में ये चुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनता जा रहा है। हुबली धारवाड़ सेंट्रल सीट पिछले छह बार से भाजपा के पास थी। हुबली धारवाड़ सीट पर 1,17,255 पुरुष मतदाता और 1,16,600 महिला मतदाता हैं। भाजपा के जगदीश शेट्टार को 2018 के चुनावों में 51.3% वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस के महेश नालवाड़ को 36.9% वोट मिले थे। 2018 में भाजपा को मिली जीत का मुख्य आधार ओबीसी और लिंगायत वोट बैंक ही था।