Karnataka Election Results 2018: कर्नाटक चुनाव परिणाम थोड़ी देर में पूरी तरह साफ हो जाएंगे। अब तक के रुझानों के मुताबिक बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिलने जा रहा है। हालांकि, शुरुआती रुझाानों में वह बहुमत से दूर दिख रही थी। तब जेडीएस किंगमेकर की भूमिका में नजर आ रही थी। उसे तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में दिखाया जा रहा था। तब सोशल मीडिया पर लोग जेडीएस और उसके नेता कुमारस्वामी को लेकर चुटकी लेने लगे थे। एक सोशल मीडिया ने कहा कि जेडीयू की हालत उस कंपनी की तरह है, जिसे किसी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी ने हायर कर लिया हो, जिसके बाद उसका हर कर्मचारी अमीर हो गया हो। वहीं, एक यूजर ने कहा कि जेडीएस को अब सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की नजर उनके विधायकों पर होगी।
दरअसल, जेडीएस किंगमेकर नहीं, किंग की भूमिका में आना चाहती थी। जेडीएस चीफ एचडी कुमारस्वामी ने माना था कि वह खुद चीफ मिनिस्टर बनने की रेस में हैं। उनका आकलन था कि अगर कांग्रेस या बीजेपी का मामला फंसा तो वह कम से कम उप मुख्यमंत्री की सीट के लिए दबाव बना सकते हैं। हालांकि, उनका सपना अब चकनाचूर हो चुका है। वहीं, रुझानों में बहुमत मिलते ही बीजेपी ने ऐलान कर दिया कि उसे किसी से भी गठबंधन करने की आवश्यकता नहीं है।
Neither king nor kingmaker .. just the spoiler … that’s what JD(s) has done
— pallavi ghosh (@_pallavighosh) May 15, 2018
JD(S) is now like a Bengaluru based start-up which will be acquired by a big Company, and now all its employees will be millionaires 😉 #KarnatakaElections #KarnatakaVerdict
— Gabbar (@GabbbarSingh) May 15, 2018
JDS may not be kingmaker at this rate. If BJP wins more than 100 seats, then there is no way Deve Gowda or Kumaraswamy can dictate terms.
— Dhanya Rajendran (@dhanyarajendran) May 15, 2018
Hope Amit Shah will be keeping a watchful eye on JDS MLA’s
— Divya (@divya_16_) May 15, 2018
वहीं, अगर बीजेपी को जेडीएस का समर्थन लेना भी पड़ता तो दोनों पार्टियों का साथ आना राजनीतिक पंडितों को ज्यादा चौंकाता नहीं। मतदान से पहले कई ऐसी खबरें आईं, जिससे संकेत मिले कि बीजेपी और जेडीएस साथ आ सकते हैं। शुरुआत में पूर्व पीएम देवगौड़ा ने मोदी की जिस तरह तारीफ की, उससे तो कम से कम यही संकेत मिले। हालांकि, बाद में देवगौड़ा का रुख बदल गया। फिर खबरें आईं कि जेडीएस और बीजेपी में कुछ सीटों को लेकर गुप्त समझौता हुआ। हालांकि, दोनों ही पार्टियां बाद में इसे खारिज करती नजर आईं।
उधर, मणिपुर और गोवा में हाथ जला चुकी कांग्रेस भी अब संभल हुई दिखी। सबसे ज्यादा सीट होने के बावजूद इन दोनों राज्यों में सरकार न बना पाने के बाद उसे कड़ी सीख मिली। कांग्रेस को भी जेडीएस की अहमियत पता चल चुकी थी। शायद तभी पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को मैदान में उतारा। आजाद सोमवार को बेंगलुरु पहुंच गए। सूत्रों की मानें तो कर्नाटक जाने से पहले आजाद ने दिल्ली में एक वरिष्ठ जेडीएस नेता से बैठक की। सीएम सिद्दारमैया द्वारा दलित मुख्यमंत्री के लिए कुर्सी खाली करने का बयान भी इसी दिशा में आगे बढ़ने का एक संकेत माना गया। साफ है कि दलित सीएम के मुद्दे पर जेडीएस के साथ कांग्रेस एकराय बनाने की कोशिश करना चाहती थी।
शनिवार को मतदान के बाद जेडीएस प्रमुख कुमारस्वामी सिंगापुर चले गए थे। इसके बाद अटकलें लगीं कि वह खंडित जनादेश की स्थिति में पार्टियों के साथ जोड़तोड़ का फॉर्मूला निकालने वहां गए हैं। हालांकि, जेडीएस की चर्चा राजनीतिक गलियारों में ही नहीं, सोशल मीडिया पर भी जोरों से है। मंगलवार को चुनाव नतीजों के रुझान आने के शुरुआत ही सोशल मीडिया पर हलचल शुरू हो गई। लोगों ने चुनाव नतीजों और जेडीएस पर जमकर चुटकियां लेनी शुरू कर दीं। नीचे देखें कुछ चुनिंदा प्रतिक्रियाएं