कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बुधवार को बताया कि 10 मई को एक ही चरण में मतदान होगा और नतीजे 13 मई 2023 को जारी किए जाएंगे। गौरतलब है कि कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 24 मई को समाप्त हो रहा है।

आइए जानते हैं कि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी से लेकर अन्य दलों के हाथ कितनी सीटें आई थीं और चुनाव के बाद अचानक बीजेपी ने क्यों अपने सीएम चेहरे येदियुरप्पा को ही बदल दिया था? 2018 में एक चरण में हुए चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन बहुमत से 9 सीटें दूर रही थी। उस चुनाव में 224 में से भाजपा ने 104 सीटें पाईं थीं। कांग्रेस को 80 और कुमार स्वामी की जेडीएस को 37 सीटों पर जीत मिली थी। गौरतलब है कि कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 113 सीटों की जरूरत होती है।

येदियुरप्पा ने अपना अलग दल बनाने के बाद भाजपा में विलय कर दिया

भाजपा के सबसे बड़े चेहरे बीएस येदियुरप्पा की बात की जाए तो 2008 में वह पहली बार कर्नाटक में भाजपा को सत्ता में लाने में सफल रहे। भ्रष्टाचार के एक मामले में विवाद उठने के बाद उन्होंने 2011 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था हालांकि, 2016 में वह बरी हो गए थे। येदियुरप्पा ने अपना अलग दल बनाने के कुछ समय बाद उन्होंने भाजपा में विलय कर दिया और 2014 के लोकसभा चुनावों में शिमोगा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

Karnataka Election: 6 दिन बाद ही येदियुरप्पा को देना पड़ा था इस्तीफा

बाद में येदियुरप्पा ने 2018 कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतकर 6 दिनों के लिए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और फिर इस्तीफा दे दिया था क्योंकि बीजेपी बहुमत साबित करने में असमर्थ थी। हालांकि, उसके एक साल बाद येदियुरप्पा तख्तापलट करने में सक्षम रहे और 18 विपक्षी विधायक कांग्रेस और जेडीएस से बीजेपी में शामिल हो गए और येदियुरप्पा चौथी बार कर्नाटक के सीएम बने।

14 महीने में ही गिर गई थी कांग्रेस की सरकार

कांग्रेस को 2018 के चुनाव में कुल 80 सीटें मिली थीं जबकि जेडीएस के पास 37 सीटें आई थीं। हालांकि, कांग्रेस की सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और 14 महीने में ही गिर गई। कांग्रेस बागी विधायकों के सहारे एक बार फिर येदियुरप्पा ने सरकार बनाई। येदियुरप्पा ने भले ही कांग्रेस के बागी विधायकों के सहारे बीजेपी की सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई हो लेकिन, बीजेपी ने दो साल सरकार चलाने के लिए नए समीकरणों के साधते हुए उन्हें सीएम पद से हटा दिया और बसवराज बोम्मई को कमान सौंपी गई। येदियुरप्पा को हटाए जाने की सबसे बड़ी वजह भाजपा की आंतरिक कलह को बताया जा रहा था।