कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 (Karnataka Assembly Elections 2023) के लिए अब कुछ ही दिन का समय रह गया है। राज्य में इस समय चुनाव लड़ने के लिए पर्चे दाखिल करने का दौर खत्म हो चुका है। राज्य में नॉमिनेशन पेपर्स की छटनी 21 अप्रैल को की जाएगी। स्क्रूटनी के बाद नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 24 अप्रैल है।

कर्नाटक में 10 मई को चुनाव, 13 मई को रिजल्ट

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए पूरे राज्य में एकसाथ 10 मई को वोट डाले जाएंगे। राज्य में 13 मई को वोटों की गिनती होगी। कर्नाटक विधानसभा में किसी एक पार्टी को बहुमत मिलेगा या साल 2018 की तरफ त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति पैदा होगी, यह 13 मई को शाम तक स्पष्ट हो जाने की संभावना है।

कर्नाटक में कितनी विधानसभा सीटें?

कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 सीटें हैं। यह देश की सातवीं सबसे बड़ी विधानसभा है। राज्य में चुनाव तीन मुख्य पार्टियों- बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के बीच माना जा रहा है लेकिन चुनाव में आम आदमी पार्टी सहित कई अन्य दलों ने भी अपने प्रत्याशी उतारे हैं। राज्य में इस बार का चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बीजेपी के लिंगायत नेता और राज्य के पूर्व सीएम येदियुरप्पा चुनाव मैदान में नहीं हैं जबकि कांग्रेस के दिग्गज सिद्दारमैया ने ऐलान किया है कि यह उनका आखिरी विधानसभा चुनाव है।

पिछली बार क्या रहा था परिणाम?

साल 2018 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुआ था। राज्य में बीजेपी सबसे ज्यादा 104 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस को 80 सीटें मिली थीं। कुमारस्वामी की पार्टी जेडी(एस) को 37 सीटें नसीब हुई थीं। इसके बाद राज्य के सीएम पद की शपथ येदियुरप्पा ने ली लेकिन वो बहुमत साबित नहीं कर पाए। उन्होंने इस्तीफा दे दिया। येदियुरप्पा के बाद राज्य की कमान कुमारस्वामी ने संभाली उनकी सरकार में कांग्रेस शामिल थी। हालांकि बाद में बीजेपी ने राज्य में सरकार बना ली।

कर्नाटक में क्या हैं मुद्दे?

  1. एंटी इनकंबेंसी- बीजेपी कर्नाटक में एंटी इनकंबेंसी का सामना कर रही है। राज्य में पिछले 20 सालों से कोई भी पार्टी दोबारा वापसी नहीं कर पाई है। कांग्रेस लगातार बीजेपी के खिलाफ करप्शन का आरोप लगा रही है।
  2. आरक्षण- कर्नाटक के चुनाव में इस बार आरक्षण भी बड़ा मुद्दा है। बीजेपी ने एससी कोटे में 2 फीसदी और एसटी कोटे में 4 फीसदी का इजाफा किया है। इसके अलावा लिंगायत और वोक्कालिगा जातियों के आरक्षण में भी दो फियसी का इजाफा किया है।
  3. सोशल इंजीनियरिंग- कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि उसे मल्लिकार्जुन खड़गे, सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की वजह से दलितों, कुरुबा और वोक्कालिगा समुदाय के लोग देखे हैं। इसके अलावा राज्य में 11 फीसदी मुस्लिम वोटों के भी मिलने की उम्मीद है जबकि बीजेपी लिंगायतों पर दांव लगा रही है, इसके अलावा जेडीएस के परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले वोक्कालिगा समुदाय को भी साधने की कोशिश की जा रही है।
  4. कांग्रेस की गारंटी, बीजेपी का विकास- कांग्रेस पार्टी ने राज्य में किसानों, बेरोजगारों और महिलाओं से कई बड़े वादे किए है। इसके अलावा मतदातओं को सरकार बनने पर फ्री बिजली देने की बात भी कही गई है। बीजेपी की तरफ से बात विकास की हो रही है। पीएम नरेंद्र मोदी जनवरी से अबतक 8 बार कर्नाटक आ चुके हैं। यहां वह कई विकास कार्यों का उद्घाटन कर चुके हैं। बीजेपी राज्य में लोगों के बीच विकास को बड़ा मुद्दा बना रही है।