पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और उसकी अध्यक्ष सीएम ममता बनर्जी को भाजपा ने लोकसभा चुनावों में करारी टक्कर दी है। उसके बाद भी भाजपा पश्चिम बंगाल में अपनी जमीन मजबूत करने के लिए मैदान में डटी हुई है। भाजपा कार्यकर्ता देशभर में ममता के खिलाफ जय श्रीराम की मुहिम चला रहे हैं। इस मुहिम के तहत भाजपा 10 लाख पोस्टकार्ड पर जय श्रीराम लिखकर ममता बनर्जी को उनके आधिकारिक आवास पर भेज रही है। उधर, टीम ममता की तरफ से भी पलटवार करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आधिकारिक आवास पर करीब 20 लाख पोस्टकार्ड भेजने की प्रक्रिया चल रही है।
टीएमसी अपने पोस्टकार्ड पर ‘जय श्रीराम का बदला ‘जय बांग्ला’ और ‘जय हिन्द’ लिखकर ले रही है। पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री ज्योतिप्रिया मलिक ने द टेलिग्राफ को बताया कि दीदी ने हमलोगों को भाजपा की विभाजनकारी राजनीति का जवाब उन्ही की भाषा में देने के लिए कहा है। इसके तहत पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को 20 लाख पोस्टकार्ड भेजे जाएंगे। यानी दोनों पक्षों को मिला दें तो इस वॉर में कुल 30 लाख पोस्टकार्ड इस्तेमाल किए जाएंगे।
इस पोस्टकार्ड वॉर में पब्लिक को 3 करोड़ 49 लाख 50 हजार रुपये से ज्यादा का चूना लगने का अनुमान है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एक पोस्टकार्ड के उत्पादन पर करीब 12.15 रुपये का खर्च आता है, जबकि उससे मात्र 50 पैसे की आय होती है। यानी प्रति पोस्टकार्ड 11.65 रुपये का घाटा होता है। यह आंकड़ा 2016-17 पर आधारित है। 2019-20 में यह आंकड़ा और ज्यादा हो सकता है। इस लिहाज से कुल तीस लाख पोस्टकार्ड पर सरकारी खजाने को करीब 3.5 करोड़ रुपये का चूना लगने जा रहा है, जबकि उसका सियासी फायदे के अलावा आमजन को कोई फायदा होता नहीं दिख रहा।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2010-11 में एक पोस्टकार्ड के उत्पादन पर 7.49 रुपये की लागत आती थी, जबकि आय 50 पैसे होती थी। उत्पादन लागत 2016-17 में बढ़कर 12.15 रुपये हो गई है, जबकि आय 50 पैसे पर ही टिकी है। 2003-04 में एक पोस्टकार्ड की लागत 6.89 रुपये आती थी, जबकि आय 50 पैसे ही होती थी। इस तरह देखें तो 2003 -4 से 2016-17 के बीच पोस्टकार्ड की लागत में करीब 76 फीसदी का इजाफा हो चुका है, जबकि आय वहीं स्थिर है।

