मजहर आजाद

सिद्धार्थनगर जिले में लोकसभा डुमरियागंज की सीट पर 2019 का चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार डॉक्टर चंद्रेश उपाध्याय के आ जाने से चुनाव त्रिकोणीय हो गया है। कांग्रेस की टिकट देने की सोच का नतीजा है इस सीट पर ध्रुवीकरण की परिस्थितियां नहीं बन पा रही हैं। गठबंधन के प्रत्याशी आफताब आलम बसपा के हैं। उनका आधार दलित और मुस्लिमों पर टिका है। इस बार पीस पार्टी के डॉक्टर अयूब भी चुनाव मैदान में नहीं है। भाजपा के उम्मीदवार जगदंबिका पाल तीसरी बार संसद में पहुंचने के लिए मैदान में हैं। वे 2009 में कांग्रेस से जीते थे और 2014 में भाजपा में शामिल होकर मोदी लहर में संसद पहुंचे थे। भाजपा उम्मीदवार के सामने कुछ भितरघात जैसी स्थितियां भी हैं। इसके अलावा शोहरतगढ़ विधानसभा से अपना दल के विधायक चौधरी अमर सिंह गठबंधन धर्म निभाते नजर नहीं आ रहे हैं। वे पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल की 2 मई की चुनावी जनसभा से नदारद रहे। उधर डॉक्टर चंद्रेश उपाध्याय दो वर्षों से अपनी चिकित्सा सर्जर्री की ख्याति को डॉक्टर अयूब पीस पार्टी की तरह आधार बनाकर अपना विस्तार समाज में कर रहे थे। पूर्व सांसद मोहम्मद मुकीम भी कांग्रेस के सारथी हैं।

उधर, आम आदमी की पार्टी ने भी प्रधानमंत्री मोदी की 4 मई की बस्ती जनसभा के साथ ही सिद्धार्थ नगर मे प्रेस वार्ता करके अपना समर्थन गठबंधन के उम्मीदवार आफताब आलम को दे दिया है। बसपा अध्यक्ष मायावती ने 3 मई को जिला मुख्यालय पर चुनावी जनसभा की और कहा कि जय भीम आने वाले हैं। बस्ती राजकीय पॉलिटेक्निक में 4 मई को प्रधानमंत्री की चुनावी जनसभा तो एैतिहासिक रही। मोदी ने अपील की कि 2014 का रेकॉर्ड तोड़ना है। इस बार हैट्रिक बनाना है। छोटे-बड़े राष्ट्रीय क्षेत्रीय दल और निर्दल मिलाकर 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। जिला प्रशासन ने 220 संवेदनशील/अतिसंवेदनशील बूथों की वेबकास्टिंग की घोषणा है। चुनाव अब स्पष्ट होने लगा है क्योंकि यहां 12 मई को मतदान है।

संघर्ष फिलहाल भाजपा के साथ गठबंधन उम्मीदवार का आमने-सामने का है। बावजूद इसके कांग्रेस उम्मीदवार के होने से यह त्रिकोणीय हो सकता है।डॉक्टर चंद्रेश संघर्ष के त्रिकोणात्मक होने का दावा करते हैं। डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर की तहसील है, जो कि यूपी के पिछड़े इलाकों में आता है। अपने शाक्य खंडहरों के लिए प्रसिद्ध, भगवान बुद्ध का नाम लिये नेपाल के रुपन्देही और कपिलवस्तु जिले के पास बसा है। वैसे सिद्धार्थ नगर अपने ‘काला नमक’ चावल के लिए दुनिया भर में काफी मशहूर है, आयरन और जिंक से भरपूर चावल का जिक्र संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि संबंधी संस्था ने अपनी किताब ‘स्पेसिअलिटी राइस आॅफ वर्ल्डत में भी किया है। यहां की शिक्षण संस्थानों में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय मुख्य है।

डुमरियागंज लोकसभा सीट से भाजपा के जगदंबिका पाल सांसद हैं। साल 2014 में भाजपा ने यह सीट बसपा को 103588 वोटों से हराकर जीती थी। इस क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है। 2,895 वर्ग किलोमीटर में फैले इस जिले को 2006 में देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल किया था। डुमरियागंज लोकसभा सीट में यूपी विधानसभा की पांच सीटें आती है। इनमें शोहरतगढ़, इटवा, कपिलवस्तु, डुमरियागंज और बांसी शामिल हैं। कपिलवस्तु की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।

डुमरियागंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 60वें नंबर की सीट है। अस्तित्व में आने के बाद से ही यह लोकसभा सीट सामान्य श्रेणी की रही है। 1952 में यहां पहली बार चुनाव हुए। उस वक्त यह सीट गोण्डा-बस्ती सीट का हिस्सा थी। 1952 में हुए चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के केडी मालवीय ने जीत दर्ज की। 1957 में डुमरियागंज में पहले आम चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस के राम शंकर लाल ने जीत हासिल की और यहां के सांसद बने। 1962 के चुनावों में कांग्रेस और 1967 के चुनावों में जनसंघ ने जीत पाई। 1971 में कांग्रेस के केशव मालवीय इस सीट पर जीत हासिल करके फिर लोकसभा पहुंचे और भारत के तेल पुरुष के खिताब से उन्हें नवाजा गया। भारत के पहले पेट्रोलियम मंत्री बने थे।